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CBSE Class 9 Hindi B पत्र लेखन

CBSE Class 9 Hindi B लेखन कौशल पत्र लेखन

पत्र-एक आवश्यकता

पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने का एक साधन है। प्राचीन समय में भी इसका प्रचलन रहा है। आज भी है, परंतु प्रारूप में परिवर्तन आ गया है।

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    सूचना-क्रांति के इस युग में मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट आदि के प्रचलन से पत्र-लेखन में कमी आई है, फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्त्व है और रहेगा।

    अन्य कलाओं की तरह ही पत्र-लेखन भी एक कला है। पत्र पढ़ने से लिखने वाले की एक छवि हमारे सामने उभरती है। कहा गया है कि धनुष से निकला तीर और पत्री में लिखा शब्द वापस नहीं आता है, इसलिए पत्र-लेखन करते समय सजग रहकर मर्यादित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।

    अच्छे पत्र की विशेषताएँ-एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

    1. पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रभावपूर्ण होती है।
    2. पत्र में संक्षिप्तता होनी चाहिए।
    3. पत्र में पुनरुक्ति से बचना चाहिए, जिससे पत्र अनावश्यक लंबा न हो।
    4. पत्र में सरल एवं छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए तथा उनका अर्थ समझने में कोई कठिनाई न हो।
    5. पत्र में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए कि उसमें आत्मीयता झलकती हो।
    6. एक प्रकार के भाव-विचार एक अनुच्छेद में लिखना चाहिए।
    7. पत्र में धमकी भरे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    8. पत्र के माध्यम से यदि शिकायत करनी हो तो, वह भी मर्यादित शब्दों में ही करना चाहिए।
    9. पत्र में प्रयुक्त भाषा से आडंबर या दिखावा नहीं झलकना चाहिए।
    10. पत्रों के अंगों आरंभ, कलेवर और समापन में संतुलन होना चाहिए।

    पत्र के प्रकार
    पत्र मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं-

    1. अनौपचारिक पत्र-
    अनौपचारिक पत्रों का दूसरा नाम व्यक्तिगत पत्र भी है। ये पत्र अपने मित्रों, रिश्तेदारों, निकट संबंधियों तथा उन्हें लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा नजदीकी या घनिष्ठ संबंध होता है। इन पत्रों में आत्मीयता झलकती है। इनका कथ्य निजी एवं घरेलू होता है।

    2. औपचारिक पत्र-
    इस प्रकार के पत्र सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, संस्थाओं आदि को लिखे जाते हैं। इनमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सरकारी-अर्धसरकारी पत्र आदि शामिल हैं।
    ध्यान दें – नौवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में केवल अनौपचारिक पत्र निर्धारित है। यहाँ अनौपचारिक पत्रों के बारे में हम विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।

    अनौपचारिक पत्र कैसे लिखें-

    अनौपचारिक पत्र के विभिन्न अंगों को ध्यान में रखकर ये पत्र निम्नलिखित चरणों में लिखे जाते हैं-

    1. लिखने वाले का पता एवं दिनांक-
    पत्र लेखन का आरंभ पत्र लेखक अपना पता और दिनांक लिखकर करता है। इसे बाएँ कोने में सबसे ऊपर लिखा जाता है। पहले पता लिखकर उसके ठीक नीचे दिनांक लिखना चाहिए।

    2. संबोधन-
    दिनांक से ठीक नीचे अगली पंक्ति में उसके लिए संबोधन लिखा जाता है, जिसे हम पत्र भेज रहे हैं। (उचित संबोधन के लिए तालिका देखें।)

    3. अभिवादन-
    संबोधन से अगली पंक्ति में पत्र पाने वाले के लिए उसकी उम्र, संबंध आदि के अनुसार उचित अभिवादन सूचक शब्द लिखा जाता है। (कृपया तालिका देखें।)

    4. पत्र का कलेवर-
    इसे पत्र की सामग्री या विषय-वस्तु भी कहा भी जाता है। यह पत्र का मुख्य भाग है। हम जो कुछ भी कहना चाहते हैं, उसे इसी अंश में लिखा जाता है। भाव एवं विचार के अनुसार इसे अनुच्छेदों में बाँटा जा सकता है।

    5. पत्र का समापन-
    पत्र को समाप्त करते समय पत्र पाने वाले के लिए यथायोग्य अभिवादन ज़रूर लिखना या ज्ञापित करना चाहिए।

    6. स्वनिर्देश- यह पत्र का अंतिम चरण है। इस चरण में पत्र लिखने वाला अपने संबंध में उल्लेख करता है। इसमें पत्र पाने वाले
    के साथ संबंध और अपनी आयु का ध्यान रखना चाहिए। (स्वनिर्देश के लिए तालिका देखें।)

    ध्यान दें – प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश आदि पत्र बाईं ओर से लिखने का प्रचलन है।

    संबोधन, अभिवादन और समापन के शब्द

    CBSE Class 9 Hindi B पत्र लेखन 1

    अब इन पर भी ध्यान दें-

    • यदि प्रश्न-पत्र में लिखने वाले का नाम-पता दिया गया हो, तो परीक्षा में पत्र लिखते समय वही नाम-पता लिखें, अपना नहीं।
    • प्रश्न-पत्र में कोई नाम-पता न होने पर ‘प्रेषक का पता’ के स्थान पर परीक्षा भवन तथा ‘नाम’ के स्थान पर क. ख. ग. या अ. ब. स. लिखना चाहिए।
    • व्यक्तिगत पत्रों में अपने नाम के साथ जाति सूचक नाम देने की आवश्यकता नहीं होती है।

    CBSE Class 9 Hindi B पत्र लेखन 2

    अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

    CBSE Class 9 Hindi B पत्र लेखन 3

    अपने से बड़ों के लिए पत्रों के कुछ उदाहरण

    1. आपके विद्यालय से जम्मू-कश्मीर भ्रमण हेतु छात्रों का एक दल जा रहा है। इस यात्रा में शामिल होने के कारणों का उल्लेख करते हुए अपने पिता जी से अनुमति माँगते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    10 मार्च 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श!

    मैं छात्रावास में स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सानंद होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। पिता जी ! इस माह के अंतिम सप्ताह में परीक्षा समाप्त होने के बाद हमारे विद्यालय से छात्रों का एक दल शैक्षिक भ्रमण हेतु जम्म-कश्मीर जा रहा है। इस दल के साथ हमारे कक्षाध्यापक, पी.टी.आई. तथा तीन अन्य अध्यापक भी जा रहे हैं। इस भ्रमण का उद्देश्य छात्रों को जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक रचना से परिचय कराते हुए वहाँ की संस्कृति की जानकारी देना है। इस भ्रमण का एक अन्य लाभ यह भी है कि छात्र ‘धरती का स्वर्ग’ कहलाने वाले कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य साक्षात् देख सकें। इस दल में शामिल होने के लिए तीन हज़ार रुपये तथा आपकी अनुमति आवश्यक है।

    पूज्या माता जी को चरण स्पर्श तथा सरिता को स्नेह।
    शेष सब ठीक है।
    आपका प्रिय पुत्र
    साक्ष्य सिंह

    2. भविष्य में दसवीं के बाद क्या करना चाहते हैं। इससे अवगत कराते हुए अपने मामा जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    महाराणा प्रताप छात्रावास
    जयपुर, राजस्थान
    15 मार्च 20XX
    पूज्य मामा जी
    सादर प्रणाम!

    मैं छात्रावास में सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी परिवार के साथ आनंद-मंगल से होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताना चाहता हूँ। मामा जी मेरी वार्षिक परीक्षा समाप्त होने को है। अब तक मेरे सभी प्रश्नपत्र बहुत अच्छे हुए हैं। मैं दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई विज्ञान वर्ग से करना चाहता हूँ। मैं सभी विषयों पर ध्यान देने के साथ जीवविज्ञान विषय पर विशेष ध्यान देना चाहता हूँ। मेरा सारा ध्यान अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाली परीक्षा मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी की ओर लगा हुआ है। मैं अथक परिश्रम से इसमें सफल होकर एम.बी.बी.एस. करना चाहता हूँ। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहता हूँ। इसके लिए ईश्वर की कृपा और आपके आशीर्वाद की आवश्यकता है।

    मामा जी को मेरा प्रणाम और शिल्पी को स्नेह कहना। शेष सब कुशल है। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
    आपका भांजा
    विपुल शर्मा

    3. अपने पिता जी को पत्र लिखकर सूचित कीजिए कि वार्षिक परीक्षा के लिए आपकी तैयारी कैसी है।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली।
    28 जनवरी, 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श।

    कल शाम आपका पत्र मिला। पढ़कर बड़ी खुशी हुई कि आप सभी सकुशल हैं। मैं भी यहाँ स्वस्थ रहकर अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ। आपने पत्र में वार्षिक परीक्षा की तैयारी के बारे में जानना चाहा है, जो मैं लिख रहा हूँ।

    पिता जी! इस बार मैंने आपके निर्देशानुसार शुरू से ही पढ़ाई की, जिससे समय से पहले कोर्स पूरा हो गया है। आजकल मैं कोर्स को दोहरा रहा हूँ। इस बार मैंने सभी विषयों के लिए समान समय दिया, जिससे कोई विषय कठिन नहीं लगा। अब मैं कठिन प्रश्नों को ढूँढकर विषयाध्यापक की सहायता से हल कर लेता हूँ। इधर कक्षा टेस्ट में मुझे अच्छे अंक मिले हैं। मुझे विश्वास है कि इस बार जरूर अच्छे अंक प्राप्त करूँगा।

    पूजनीय माता जी को चरण स्पर्श और शैली को स्नेह। शेष मिलने पर।
    पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
    आपका आज्ञाकारी पुत्र
    विशाल

    4. आपके चाचा जी ने आपके लिए कुछ पुस्तकें भेजी हैं। उन पुस्तकों की उपयोगिता एवं आवश्यकता बताते हुए उन्हें धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    05 अक्टूबर 20XX
    पूज्य चाचा जी
    सादर प्रणाम!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सानंद होंगे। मैं ईश्वर से कामना भी करता हूँ।
    चाचा जी, कल शाम को आपके द्वारा भेजा गया पार्सल प्राप्त हुआ। पार्सल वजनदार होने के कारण मैं तरह-तरह के अनुमान लगाते हुए उसे उत्सुकतावश खोलने लगा। मेरी खुशी और आश्चर्य का ठिकाना उस समय नहीं रहा जब पार्सल में से एक के बाद एक पूरी पाँच पुस्तकें निकलीं। इनमें दोनों कहानी संग्रह से मेरा ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन होगा तो ‘विज्ञान की खोजें’ ‘हमारे वैज्ञानिक’ नामक पुस्तकें विज्ञान विषय में मेरी रुचि उत्पन्न करते हुए जिज्ञासा बढ़ाएँगी। ‘हमारे पूर्वज’ नामक पुस्तक हमें भारतीय संस्कृति से परिचित कराते हुए जीवन मूल्यों की शिक्षा देगी। इतनी सुंदर एवं उपयोगी पुस्तकें भेजने हेतु आपको बार-बार धन्यवाद। इन्हें देखते ही आपकी छवि एवं याद मानस पटल पर तरोताज़ा हो उठेगी। एक बार पुनः आपको धन्यवाद।

    चाची जी को प्रणाम एवं कविता को स्नेह। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
    आपका भतीजा
    अनुराग वर्मा

    5. अपने पिता जी को पत्र लिखकर बताइए कि ग्रीष्मावकाश में आपने क्या-क्या कार्यक्रम बनाया है?
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    02 मई, 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श।

    आपका भेजा हुआ पत्र मिला। पत्र पढ़कर सब हाल-चाल मालूम किया। आप सभी की कुशलता जानकर खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ। पत्र में आपने ग्रीष्मावकाश कार्यक्रम के बारे में पूछा था, मैं उसी के बारे में लिख रहा हूँ।

    पिता जी! इस बार ग्रीष्मावकाश में मैंने कुछ नया करने का मन बनाया है। हमारे विद्यालय से कुछ दूरी पर मज़दूरों की जो अस्थायी बस्ती है, मैं अपने मित्र के साथ सवेरे नियमित रूप से जाऊँगा और मज़दूरों के बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाऊँगा। इसके लिए पिछले रविवार को मेरे मित्र ने वहाँ जगह देख ली है और मज़दूरों से बातचीत कर ली है। हमारी योजना जानकर वे बड़े खुश हुए। अब मैं अपने प्रधानाचार्य से प्रार्थना करूँगा कि वे पुस्तकालय से कुछ पुस्तकें तथा कापियाँ देने की कृपा करें। रबड़ और पेंसिल का प्रबंध हम दोनों अपनी जेब खर्च के बचाए पैसों से कर लेंगे। हमारा प्रयास होगा कि हम उन बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर उन्हें पढ़ना-लिखना सिखा सकें। इसके लिए आपकी प्रेरणा और उत्साहवर्धन ज़रूरी है।

    पूजनीय माता जी को चरण स्पर्श तथा संचिता को स्नेह। शेष सब ठीक है।
    पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
    आपका प्रिय पुत्र
    यश

    6. आप लंबी दौड़ प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम आए हैं। राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आपको मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया जाना है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपने दादा जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    बिरसा मुंडा छात्रावास
    राँची, झारखंड
    20 नवंबर 20XX
    पूज्य दादा जी
    सादर चरण स्पर्श!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आपकी कुशलता की कामना किया करता हूँ।

    दादा जी, आपको यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि कल 19 नवंबर आयोजित प्रदेश स्तरीय दौड़ प्रतियोगिता में मैंने भी भाग लिया था। आपके आशीर्वाद से इसमें मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि पर मैं भी गर्व एवं रोमांच का अनुभव कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया जाएगा। मेरी हार्दिक इच्छा है कि इस कार्यक्रम में आप भी उपस्थित रहें और मुझे पुरस्कृत होता हुआ देखें। इसका आयोजन 30 नवंबर को राँची में किया जाएगा।

    दादी जी को चरण स्पर्श कहना। शेष कुशल है। आपके आने की प्रतीक्षा में
    आपका पौत्र
    रंजन टेटे

    7. आप स्वामी विवेकानंद छात्रावास, जयपुर रोड कोटा, राजस्थान के छात्र हैं। नए सत्र की तैयारी हेतु आपको कुछ रुपयों की आवश्यकता है। रुपये मँगवाने के लिए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    स्वामी विवेकानंद छात्रावास
    जयपुर रोड, कोटा
    राजस्थान
    03 अप्रैल, 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श

    आपका पत्र मिला। यह पढ़कर बड़ी खुशी हुई कि आप सभी आनंदपूर्वक जीवन बिता रहे हैं। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ। पिता जी! यह जानकर आपको अत्यंत हर्ष होगा कि 31 मार्च को नौवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया, जिसमें 85% अंक प्राप्त हुए हैं। अब नए सत्र की पढ़ाई 07 अप्रैल से शुरू होनी है। इसके लिए मुझे पुस्तकें और कापियाँ खरीदनी हैं। मुझे छात्रावास की फ़ीस भी जमा करानी है। इसके अलावा दसवीं कक्षा की तीन महीने की फ़ीस भी जमा करवानी है। इन सब कामों के लिए मुझे 5000 रु. की आवश्यकता है। आप इन्हें शीघ्र भिजवा दीजिए ताकि मैं नए सत्र की तैयारी समय से करके अपनी पढ़ाई-लिखाई शुरू कर सकूँ।

    पूज्या माता जी को चरण स्पर्श एवं शैली को स्नेह। पत्र का जवाब शीघ्र देना।

    आपका प्रिय पुत्र
    अर्पित

    8. पढ़ाई के लिए लैपटॉप और इंटरनेट की उपयोगिता बताते हुए इसे खरीदने का अनुरोध करते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    मानसरोवर छात्रावास
    मानसरोवर गार्डेन, दिल्ली।
    10 अगस्त, 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श!

    मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।

    पिता जी, आगामी महीने में हमारी मिड टर्म परीक्षा होनी है। इसे देखते हुए अत्यंत जोर-शोर से पढ़ाई कराई जा रही है। विभिन्न विषयों के पाठ पढ़ाते हुए गृहकार्य दिए जा रहे हैं तथा प्रोजेक्ट वर्क भी करवाए जा रहे हैं। प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक सामग्री ढूँढ़ने के लिए कैफे में काफ़ी समय नष्ट करना पड़ता है। इससे पढ़ाए गए पाठों को दोहराने का समय ही नहीं मिल पाता है तथा कभी-कभी तो गृहकार्य तक अधूरा रह जाता है। जिन बच्चों के पास कंप्यूटर या इंटरनेट है, वे अपने सभी काम शीघ्रता से कर लेते हैं। इतना ही नहीं कई छात्र पी.डी.एफ. के रूप में पाठ्यपुस्तकों को लैपटॉप में डाउनलोड कर रखा है। इससे उनके बस्ते का बोझ कम हो गया है। इसके अलावा लैपटॉप अन्य शैक्षिक कार्यों में बहुत उपयोगी एवं सहायक है। मैं भी एक लैपटॉप की आवश्यकता महसूस कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए भी एक लैपटॉप खरीदने का कष्ट करें।

    पूज्या माता जी को चरण स्पर्श तथा सुरभि को स्नेह। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    आपका प्रिय पुत्र
    सौरभ कुमार

    9. आपके विद्यालय ने वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें अपनी भूमिका का उल्लेख करते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली।
    25 अगस्त 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श।

    कल शाम आपका पत्र मिला। आप सभी के स्वस्थ होने की बात जानकर बड़ी खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ तथा समय-समय पर विद्यालय द्वारा आयोजित पाठ्येत्तर क्रियाओं में भाग ले रहा हूँ। पिता जी!

    अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में हमारे विद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम मनाया गया। इसमें अन्य छात्रों के अलावा मैंने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रधानाचार्य जी ने उद्यान अधिकारी को पत्र लिखकर 500 पौधे मँगवा लिए थे। इनमें अधिकांश छाया देने वाले पौधे हैं। हमने खेल शिक्षक के निर्देशानुसार जगह-जगह गड्ढे खोदे। उन गड्ढों में खाद मिलाई । नौ बजते-बजते इस कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि उप शिक्षा निदेशक भी आ गए। उन्होंने नीम का एक पौधा लगाकर शुभारंभ किया। इसके बाद प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने एक-एक पौधा लगाया। मैंने भी दो गड्ढों में नीम और पीपल के पेड़ लगाए। उनमें पानी देकर तार की जालियाँ लगाईं। मैंने इन पौधों की रक्षा का वचन भी लिया। हमारे इस पुनीत काम से बादल भी प्रसन्न हुए और उन्होंने पौधों को स्वयं पानी देना शुरू कर दिया। इन पौधों के लगने से विद्यालय का वातावरण बदला-सा नज़र आ रहा था।

    पूज्या माता जी को चरण स्पर्श और काव्या को स्नेह।
    आपके पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में

    आपका प्रिय पुत्र
    क्षितिज

    10. आप जिम कार्बेट अभयारण्य घूमकर लौटे हैं। वहाँ के रोमांचक एवं अनूठे अनुभव को बताते हुए बड़ी बहन को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    टैगोर छात्रावास
    टैगोर गार्डेन, दिल्ली
    30 सितंबर 20XX
    आदरणीया बड़ी बहन
    सादर नमस्ते!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगी। बहन, जैसा कि मैंने पिछले पत्र में बताया था कि हमारे विद्यालय से शैक्षिक भ्रमण हेतु टूर जिम कार्बेट अभयारण्य गया था। मैं भी इस दल में शामिल था। उसी टूर के अद्भुत अनुभव मैं आपको बताना चाह रहा हूँ।

    जिम कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य के रामनगर में स्थित है जो नैनीताल में है। यह भारत का पहला ‘बाघ संरक्षित क्षेत्र’ एवं राष्ट्रीय पार्क है। हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित इस पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत मनोहारी है। यह हमारी प्राकृतिक विरासत का एक भाग है। यहाँ बाघ एवं अन्य जीवों के शिकार पर प्रतिबंध है। यहाँ उन्मुक्त रूप से टहलते, उछलते-कूदते बाघों को देखना, कभी-कभी उनकी मादा और शावकों के साथ देखने का अनुभव अत्यंत रोमांचक एवं अनूठा है। इस पार्क में लगभग 600 हाथी तथा अनेक जातियों के स्थानीय एवं विदेशी पक्षी भी रहते हैं। इस नेशनल पार्क का नामकरण एक प्रसिद्ध शिकारी ‘एडवर्ड जिम जेम्स कार्बेट’ के नाम पर रखा गया है। इस पार्क को बार-बार देखने आने के लिए मन मचलता है।

    पूज्या माता जी एवं पिता जी को चरण स्पर्श कहना। शेष अगले पत्र में,

    आपका अनुज
    मनस्वी शर्मा

    11. अपनी माता जी के धीरे-धीरे स्वस्थ होने का समाचार देते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    05 सितंबर, 20XX
    पूज्य पिता जी
    सादर चरण स्पर्श

    मैं स्वयं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करती हूँ कि आप भी स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे तथा मैं यही कामना भी करती हूँ। पिता जी, यह पत्र में करीब एक माह बाद लिख रही हूँ। इसका कारण यह है कि माँ की अचानक तबीयत खराब हो गई। उन्हें बुखार और सिरदर्द रहने लगा। डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि बुखार के अलावा उन्हें उच्च रक्तचाप की भी समस्या है। दवा देने पर भी बुखार न उतरता देख उन्हें भरती करवाना पड़ा। तीन दिन बाद उनका बुखार कम हो गया। डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी। एक सप्ताह तक नियमित दवाएँ लेने से अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्हें उच्च रक्तचाप से भी अब काफ़ी आराम है।

    पिता जी! यह सब जानकर आप बिल्कुल मत घबराना। दशहरे की छुट्टियों के कारण मैं और संयोग घर पर ही थे। हम दोनों ने माँ की यथासंभव देखभाल की और अब भी कर रहे हैं। अब तो माँ घर के कुछ काम करने लगी हैं। उनकी दवाएँ अब बंद हो चुकी हैं। आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना तथा पत्रोत्तर शीघ्र देना। शेष सब ठीक है।

    आपकी प्रिय पुत्री
    प्राची मौर्या

    12. मित्र की दादी के निधन पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    मदन मोहन मालवीय छात्रावास
    कैंट रोड, वाराणसी (उ.प्र.)
    05 जुलाई, 20XX
    प्रिय मित्र सतीश
    सप्रेम नमस्ते

    तुम्हारा भेजा पत्र कल ही शाम को मिला। पत्र पढ़कर बड़ा दुख हुआ कि तुम्हारी दादी का स्वर्गवास हो गया।

    मित्र! पत्र पढ़कर एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ कि दादी अब इस दुनिया में ही नहीं रहीं। अभी पिछले महीने ही तो मैं तुम्हारे साथ उनसे मिलकर आया था। उनसे मिलकर हम दोनों कितना खुश हुआ करते थे। कितनी अच्छी इंसान थीं वह।। मित्र! जीवन-मरण ईश्वर के हाथ होता है। उस पर किसी का भी ज़ोर नहीं। वह इतने समय के लिए इस दुनिया में आई थीं। फिर, अच्छे इंसानों की ज़रूरत ईश्वर को भी होती है, इसलिए उसने उन्हें अपने पास बुला लिया। अब ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें तथा तुम्हारे परिवार वालों को यह आकस्मिक दुख सहन करने की शक्ति दें। मेरी संवेदनाएँ तुम्हारे परिवार के साथ हैं। शोक की इस घड़ी में मैं तुम्हारे साथ हूँ।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। घर आते ही तुमसे मिलने आऊँगा। शेष कुशल है।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र,
    उत्कर्ष

    13. आपकी बड़ी बहन का चयन भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में परिवीक्षाधीन अधिकारी पद पर हो गया है। उन्हें बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    ज्ञान कुंज छात्रावास
    कोटा, राजस्थान
    20 सितंबर 20XX
    आदरणीया बड़ी बहन
    सादर प्रणाम!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगी और मैं यही कामना भी करता हूँ।

    कल शाम को आपके द्वारा भेजे गए पत्र का लिफ़ाफ़ा खोलते ही मुझे जो खुशी प्राप्त हुई, उसका वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता हूँ। मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई कि आपका चयन भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में परिवीक्षाधीन अधिकारी पद पर प्रथम प्रयास में ही हो गया है। इसके लिए मैं आपको बार-बार बधाई देता हूँ। आपकी इस सफलता से माता-पिता और आपका सपना पूरा हो गया। खुशी के इस अवसर पर मैं कामना करता हूँ आप इस पद पर भली प्रकार से कार्य करें और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जाए। ऐसी शानदार सफलता के लिए आपको पुनः बधाई।

    माता एवं पिता जी को प्रणाम कहना। शेष अगले पत्र में,

    आपका अनुज
    श्यामू शर्मा

    14. आपके विद्यालय में नए शिक्षक आए हैं। उनकी विशेषताएँ बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    15 जुलाई, 20XX
    प्रिय मित्र पीयूष
    सप्रेम नमस्ते।

    मैं यहाँ सकशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे। तुम्हारी कुशलता हेतु मैं कामना करता हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं अपने विद्यालय में आए नए शिक्षक की विशेषताएँ बताना चाहता हूँ। मित्र, हमारे विद्यालय में जुलाई के प्रथम सप्ताह में गणित विषय के नए शिक्षक आए हैं। इनके आने से गणित की हमारी कक्षाएँ लगने लगी हैं। इन नए अध्यापक के पढानेलिखाने का ढंग मुझे बेहद पसंद आया। गणित के जो सवाल मेरे सिर के ऊपर से निकल जाते थे, अब वही आसान से लगने लगे हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि उनसे चाहे जितनी बार सवाल पूछो, वे झल्लाते नहीं हैं और न छात्रों को डाँटते-डपटते हैं। वे सरल विधि से सवाल कराकर हमारा टेस्ट लेते हैं। जिन छात्रों के सवालों में अशुद्धियाँ होती हैं, उन्हें तुरंत ही दूर कर देते हैं। वे पीरियड लगते ही कक्षा में आ जाते हैं और पूरे पीरियड भर पढ़ाते हैं। वे हम छात्रों के प्रिय बन गए हैं।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शुभि को स्नेह कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    पुष्कर

    15. आपके मित्र ने ग्रीष्मावकाश में आपको दिल्ली की सैर कराई। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    ए-15, आशीर्वाद अपार्टमेंट
    रेलवे स्टेशन रोड, अमेठी (उ.प्र.)
    26 जून, 20XX
    प्रिय मित्र अभिनव
    नमस्ते

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ सपरिवार स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। मैं तुम्हारी कुशलता हेतु ईश्वर से कामना करता हूँ। मित्र! इस ग्रीष्मावकाश के करीब 15 दिन मैंने तुम्हारे साथ बिताए। ये दिन मुझे आजीवन याद रहेंगे। तुमने मुझे दिल्ली के महत्त्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक महत्त्व वाले स्थानों की जो सैर कराई है, उन्हें मैं भूल नहीं पा रहा हूँ। मैं कभी लालकिला, संसद भवन, जंतर-मंतर के बारे में पढ़ा करता था, पर अब तो उनकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। वो लोटस टेंपल, इस्कान मंदिर एवं अक्षरधाम मंदिर की शांति एवं सुंदरता मनोमस्तिष्क को भा रही थी। बाल भवन, डॉलम्यूजियम, नेहरू तारामंडल, रेल भवन में रखा पुराना रेल इंजन एवं राजघाट की यादें अब भी तरोताज़ा हैं। मैट्रो की वातानुकूलित यात्रा ने तो गरमी का पता भी न लगने दिया। सच कहूँ तो इन्हें दुबारा देखने का मोह मन से नहीं जा रहा है। मैं इन सबके लिए तुम्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ। अपने माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना। शेष मिलने पर।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    पंकज शर्मा

    16. आप दसवीं के बाद विज्ञान विषय से ही पढ़ाई क्यों करना चाहते हैं? यह बताते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    बी-312, मुखर्जी मार्ग
    मालवीय नगर, दिल्ली 1
    0 अप्रैल, 20XX
    प्रिय मित्र संचित
    नमस्ते

    मैं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे तथा ईश्वर से मैं यही कामना करता हूँ। मैं विज्ञान वर्ग की पढ़ाई क्यों करना चाहता हूँ, यही पत्र के माध्यम से बता रहा हूँ।

    मित्र! विज्ञान बेहद रुचिकर विषय है जो हमें प्रयोगों दवारा स्वयं करके सीखने का अवसर देता है। बस इसके लिए थोड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है। विज्ञान वर्ग में दसवीं के बाद पढ़ाई करके ही हम इंजीनियरिंग और चिकित्सीय सेवाओं में जा सकते हैं। फार्मेसी का ज्ञान हो या चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी अन्य नौकरियाँ पाने का साधन यही है। इसके अलावा मानवता की सेवा करने का सर्वोत्तम तरीका हम विज्ञान विषय पढ़कर अपना सकते हैं। पत्रोत्तर में लिखना कि तुम दसवीं के बाद किस वर्ग की पढाई करना चाहते हो। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    विजय

    17. आपका मित्र मोहित अपने राज्य की अंडर 19 क्रिकेट टीम में चुन लिया गया है। इसके लिए बधाई देते हुए उसे पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    सरस्वती छात्रावास
    गोमती नगर, लखनऊ (उ.प्र.)
    15 नवंबर, 20XX
    प्रिय मित्र
    मोहित सप्रेम नमस्ते!

    मैं सकुशल रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। मित्र, कल शाम को मिले तुम्हारे पत्र से पता चला कि तुम्हारा चयन उत्तर प्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम के लिए हो गया है। इसके लिए सबसे पहले मेरी बधाई स्वीकार करो। मित्र, याद करो एक बार हमारे खेल एवं शिक्षक ने कहा था कि मोहित, मन लगाकर प्रैक्टिस करो, तुम्हारी मेहनत रंग लाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि ‘खेलोगे कूदोगे होगे खराब’ की सोच और परिस्थितियाँ अब पूरी तरह बदल गई हैं। उनकी बातें तुमने सच कर दिखाया है। यह तुम्हारे द्वारा किए गए परिश्रम का ही परिणाम है कि तुम्हारा नाम उत्तर प्रदेश के हर अखबार में छप गया। मेरी कामना है कि तुम अपने खेल से अपनी टीम को विजयी बनाओ ताकि राष्ट्रीय टीम में चयनित होकर देश का नाम रोशन करो। इस सफलता के लिए पुनः-पुनः बधाई।

    अंकल-आंटी को मेरा प्रणाम कहना तथा यामिनी को स्नेह।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    निशांत

    18. किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वर्णन करते हुए अपने विदेशी मित्र को ग्रीष्मावकाश में भ्रमण हेतु आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    05 मई 20XX
    प्रिय मित्र डेविड जानसन
    सप्रेम नमस्ते!

    तुम्हारा भेजा पत्र परसो किसी पर्वतीय स्थल पर मिला। तुम्हारी कुशलता जानकर खुशी हुई। तुमने लिखा कि जून में तुम घूमने जाने की योजना बना रहे हो, तो मैं तुम्हें भारत आने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

    मित्र हमारे देश के उत्तरी-पूर्वी छोर पर उत्तराखंड नामक पर्वतीय स्थल है। यहाँ की मनोहारी प्राकृतिक छटा मन मोहने वाली है। इस पर्वतीय प्रदेश में सुबह पूरब दिशा की लालिमा देखते ही बनती है। यहाँ पल में बादल छा जाते हैं और पल भर में सूर्य चमकने लगता है। बरसात के बाद आसमान में चमकता सतरंगी इंद्र धनुष देखकर मन झूम उठता है। यहाँ प्रकृति को देखकर लगता है कि प्रकृति पल-पल में अपना वेश बदल रही है। यहाँ के हरे-भरे पेड़ों पर कलरव करते पक्षी मलय पर्वत से आती शीतल हवाएँ मन को प्रसन्नचित्त कर देती हैं। यहाँ के ऊँचे-नीचे सर्प के आकार वाले रास्ते पर बस या कार की यात्रा मन को रोमांचित कर देती है। मैं चाहता हूँ कि इस ग्रीष्मावकाश में भारत आओ और इस सौंदर्य को देखो।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष अगले पत्र में

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    अमन कुमार

    19. अपने चाचा जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय में खेल-दिवस किस प्रकार मनाया गया तथा उसमें आपने कैसे अपनी भागीदारी निभाई।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    20 जनवरी, 20XX
    आदरणीय चाचा जी
    सादर प्रणाम

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सपरिवार सानंद जीवन बिता रहे होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। आपने पिछले पत्र में मेरी पढ़ाई और खेल-दिवस के बारे में पूछा था, इस पत्र में उसी का उल्लेख कर रहा हूँ।

    चाचा जी! हमारे विद्यालय का खेल-दिवस इस वर्ष 17 जनवरी, 20XX को मनाया गया, जिसके संबंध में दो सप्ताहपूर्व ही सूचना दे दी गई थी। छात्रों ने इसके लिए जी-जान लगाकर तैयारी की थी। इस अवसर पर जोनल शिक्षा अधिकारी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। खेलों का शुभारंभ अधिकारी महोदय ने फीता काटकर किया। सबसे पहले 50 मीटर, फिर 100 मीटर दौड़ आयोजित की गई। इसके तुरंत बाद लंबी कूद, ऊँची कूद और गोला फेंकने की प्रतियोगिता हुई। इसके बाद रस्साकसी प्रतियोगिता हुई, जिसमें बड़ा मज़ा आया। इनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले छात्रों को अधिकारी महोदय ने पुरस्कृत किया। मैंने 50 मीटर दौड़ और लंबी कूद में भाग लिया और क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन खेलों से हमारी प्रतियोगी एवं सहभागिता की भावना प्रगाढ़ हुई।

    चाची जी को प्रणाम और रौनक को स्नेह। शेष सब ठीक है।

    आपका भतीजा
    कनिष्क

    20. आपके मित्र की माता जी का निधन हो गया। उनके आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    307/4, विकास मार्ग
    विवेक विहार, दिल्ली
    10 अक्टूबर, 20XX
    प्रिय मित्र सुयश
    सप्रेम नमस्ते!

    आज दोपहर में ही तुम्हारा भेजा पत्र मिला। पत्र में यह अविश्वसनीय बात पढ़कर सन्न रह गया कि तुम्हारी माता जी का देहांत हो गया। उनके इस आकस्मिक निधन की बात पर मन अब भी विश्वास नहीं कर पा रहा है। उनकी मृत्यु सुनकर जब मैं इतना दुखी हो रहा हूँ तो तुम्हारे मन को और भी दुख हुआ होगा। यह मैं अच्छी तरह अनुभव कर रहा हूँ।

    मित्र, तुम्हारी माता जी ने तो तुझमें और मुझमें कोई फर्क ही नहीं किया। मुझे उनसे असीम स्नेह मिलता था, पर मित्र जीनामरना ईश्वर के हाथ में है। उसकी इच्छा के आगे हम सब विवश हैं। उसकी लीला के आगे किसी का ज़ोर नहीं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और तुम सबको यह दुख सहने की शक्ति दे।

    आगामी रविवार को मैं तुम्हारे घर आकर मिलता हूँ।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    प्रतीक कुमार

    21. अपने बड़े भाई को पत्र लिखिए, जिसमें उनके द्वारा दी गई सीख और सुझावों पर पूरी तरह आचरण करने और अपनाने का आश्वासन दिया गया हो।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    10 अगस्त, 20XX
    आदरणीय भाई साहब
    सादर प्रणाम

    कल शाम डाकिए से आपका स्नेहासिक्त पत्र मिला। पत्र में पूरे परिवार की कुशलता जानकर खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ।

    भाई साहब! अब तक मैंने जितने भी पत्र पढ़े थे, उन सभी पत्रों से यह पत्र मेरे लिए सबसे ज्ञानवर्धक एवं महत्त्वपूर्ण मालूम पड़ा। इसमें लिखा प्रत्येक शब्द ज्ञान का मोती था। इस पत्र में आपने ब्रह्म मुहूर्त में शय्या त्यागने, दैनिक व्यायाम करने के अलावा खेलकूद के लिए भी प्रेरित किया है। इसके अलावा यह भी बताया है कि ऐसा करने से क्या लाभ हैं। आपने नियमित ध्यान-लगन एवं परिश्रम से पढ़ने की सीख तो दी है, पर जीवन में शिक्षा की उपयोगिता बताकर मेरी आँखें खोल दी हैं। आपने सहपाठियों के साथ मधुर व्यवहार करने तथा अध्यापकों के प्रति आदर एवं श्रद्धापूर्ण व्यवहार करने की जो सीख दी है उस पर मैं पूरी तरह आचरण करने का प्रयास करूँगा। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी सीख और सुझावों को ध्यान में रलूँगा तथा जीवन में उतारने का पूर्ण प्रयास करूँगा। यह पत्र पढ़कर यह पता चल गया कि बड़ों की छत्रछाया कितनी उपयोगी एवं आवश्यक है।

    आशा ही नहीं, विश्वास है कि आप समय-समय पर मुझे इसी प्रकार सीख देकर मार्गदर्शित करते रहेंगे। पूज्या माता एवं पिता जी को सादर चरण स्पर्श तथा स्मिता को स्नेह। शेष ठीक है। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    आपका अनुज
    किसलय

    22. कुछ बच्चे स्कूल जाने के बजाय सड़क पर भीख माँगते एवं ढाबों पर काम करते देखा जा सकता है। ऐसे बच्चों को देखकर आपके मन में पीड़ा हुई, उसे बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    05 मार्च, 20XX
    प्रिय मित्र विनय

    सप्रेम नमस्ते! मैं यहाँ सकुशल रह कर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।

    मित्र, परसों मैं पिता जी के साथ हरिद्वार गया था और आज रात में लौटा हूँ। कार से जाते हए मैंने देखा कि चौराहों पर या रेडलाइटों पर कार रुकते ही छोटे-छोटे बच्चे इधर-उधर से कार के पास आ जाते और भीख माँगने लगते। कई जगह तो छहसात के बच्चों को सड़क के किनारे सरकस के कलाकारों जैसा करतब देखा। हरिद्वार से काफ़ी पहले जब हम किसी ढाबे पर खाना के लिए उतरे तो देखा कि आठ-दस साल के कई बच्चे वहाँ काम कर रहे थे। कोई जूठे बरतन उठा रहा था तो कोई ग्राहकों की टेबल साफ़ कर रहा था। हमारे बैठते ही एक लड़का पानी और गिलास लाकर रख गया। ढाबे वाला इन बच्चों को बात-बात पर डाँट रहा था। इन बच्चों की ऐसी दशा देखकर बहुत दुख हुआ। सोचा ये बातें तुमसे बाँट लँटा तो मन हल्का हो जाएगा।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    कौशल कुशवाहा

    23. आप 27/5, आशीर्वाद अपार्टमेंट, सेक्टर-15, रोहिणी, दिल्ली निवासी कर्तव्य हो। आप किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा पर गए थे। इस बारे में बताते हुए अपने मित्र कौटिल्य को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    27/5, आशीर्वाद अपार्टमेंट,
    सेक्टर-15, रोहिणी, दिल्ली।
    10 जून, 20XX
    प्रिय मित्र कौटिल्य
    सादर नमस्ते।

    मैं स्वयं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी अपने सपरिवार सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से यही कामना करता हूँ

    मित्र! इस जून माह का प्रथम सप्ताह मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा, क्योंकि मैं अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ उत्तराखंड के पहाड़ी स्थल देहरादून और उसके आस-पास के अन्य मनोरम स्थानों का भ्रमण करके लौटा हूँ। हम सभी दिल्ली के अंतर्राज्यीय बस अड्डे से वोल्वो बस द्वारा पहले हरिद्वार गए। वहाँ पहले से बुक कराए होटल में रुके। वहाँ से फ्रेश होकर कुछ खा-पीकर स्थानीय बाज़ार घूमने चले गए। सच कहूँ, यहाँ के बाज़ार में आन्य स्थानों से आए पर्यटकों को उनकी . पारंपरिक वेशभूषा में देखकर मन खुश हो गया। अगले दिन सवेरे-सवेरे हमारा गंगा स्नान का कार्यक्रम था। पतित पावन गंगा में डुबकी लगाकर हम सीधे मंसा देवी मंदिर गए। वहाँ से लौटते हुए मन विचित्र श्रद्धा एवं शांति से भरा था। हमने वहाँ एक-दो स्थान और घूमकर अगले दिन देहरादून चले गए। वहाँ सहस्रधारा जाकर स्नान किया। वहाँ पहाड़ों से टपकता शीतल जल देखना विचित्र लगा। वहाँ से हम मंसूरी, लक्ष्मण झूला तथा गायत्री मंदिर देखकर सातवें दिन लौटे। सचमुच हमें बड़ा आनंद आया। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा लिखना इन छुट्टियों में तुम क्या कर रहे हो।

    पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    कर्तव्य

    24. आप 372/5 जलवायु विहार, दिल्ली के निवासी विजय हैं। आप अपने मित्र केदार के बड़े भाई के विवाह में चाहकर भी शामिल नहीं हो सके। इसके लिए उससे क्षमा माँगते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    372/5
    जलवायु विहार, दिल्ली।
    20 फरवरी, 20XX
    प्रिय मित्र केदार
    सप्रेम नमस्ते।

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे तथा वैवाहिक कार्यक्रम कुशलता से पार हो गया होगा।

    मित्र! शायद तुम मुझसे नाराज होगे क्योंकि मैं तुम्हारे बड़े भाई के विवाह में न पहुँच सका। मित्र इस वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने की मेरी बड़ी इच्छा थी परंतु इसी दिन बैंकिंग भरती बोर्ड की एक परीक्षा पड़ गई थी। इसमें शामिल होने के लिए मुझे लखनऊ जाना पड़ गया। लखनऊ और दिल्ली के बीच की दूरी और परीक्षा कुछ ही घंटों में समाप्त कर लेना संभव न था। ऐसी स्थिति में मैं वैवाहिक कार्यक्रम में कैसे आ सकता था। आशा ही नहीं विश्वास है कि मज़बूरी को देखते हुए तुम मुझे क्षमा अवश्य कर दोगे।

    मैं इसी रविवार को तुम्हारे घर आकर तुमसे मिलता हूँ। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष मिलने पर,

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    पल्लव पांडेय

    25. आपका मित्र विवेक परीक्षा में असफल हो गया है। उसे सांत्वना देते हुए पुनः अध्ययन के लिए प्रेरित कीजिए। आप 25 B, अंकुर अपार्टमेंट, सोहना रोड, गुड़गाँव (हरियाणा) के निवासी संयोग हैं।
    उत्तर:

    25-B, अंकुर अपार्टमेंट,
    सोहना रोड, गुड़गाँव
    हरियाणा।
    25 मई, 20XX
    प्रिय मित्र विवेक
    सादर नमस्ते

    कल शाम को मिले तुम्हारे पत्र से ज्ञात हुआ कि इस वर्ष तुम्हारा परीक्षा परिणाम संतोषजनक नहीं रहा और तुम्हें अनुत्तीर्ण घोषित किया गया है। यह जानकर मुझे बहुत दुख हुआ। इस परिणाम को जानकर तुम कितने दुखी हुए होंगे, मैं इसका सहज अनुमान लगा सकता हूँ।

    मित्र! इस असफलता में तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुम टाइफाइड ज्वर के कारण लगातार अक्तूबर से जनवरी तक विद्यालय न जा सके, जिससे आधे कोर्स को तुम पढ़ ही न सके थे। तुमने फिर भी साहस नहीं छोड़ा और तीन विषयों में उत्तीर्ण होकर दिखा दिया कि तुम्हारे परिश्रम में कमी नहीं रही। मित्र! यदि तुम बाकी दो विषयों में उत्तीर्ण हो भी जाते तो ग्याहरवीं में विज्ञान पढ़ने की जो इच्छा पाल रखी है, वह कैसे पूरी होती। अब जब तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हो तो अभी से मन लगाकर जुट जाओ। आधा कोर्स तो तुमने पढ़ ही रखा है, बस आधा ही तो पढ़ना है। और हाँ, मैं तो कदम-कदम पर तुम्हारी मदद के लिए हूँ न। आशा है कि अगली बार तुम अवश्य अच्छे अंक लाओगे।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और रचना को स्नेह। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    संयोग

    26. छात्रों की रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विद्यालय की पत्रिका में आपकी लिखी कहानी छापी गई है।इसकी सूचना देते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    सरदार पटेल छात्रावास
    पटेल नगर, दिल्ली
    30 नवंबर, 20XX
    प्रिय मित्र समीर
    सप्रेम नमस्ते!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे। इधर महीना भर होने को आ रहा है, तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। यह पत्र मैं तुम्हें खुशी वाली एक बात बताने के लिए लिख रहा हूँ।

    मित्र, हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष एक पत्रिका निकाली जाती है। इसमें बच्चों की रचनाओं को छापा जाता है, ताकि बच्चे उत्साहित होकर अपनी रचना क्षमता का विकास कर सकें। ‘पल्लव’ नामक पत्रिका का इस वर्ष का अंक देखकर मैं उस समय फूला न समाया जब देखा कि इसमें मेरे द्वारा लिखी कहानी ‘मेहनत का फल’ छप गई है। इसके लिए मेरे सहपाठियों और हिंदी के शिक्षक ने मुझे शुभकामनाएँ दी और आगे और भी लिखने के लिए उत्साहवर्धन किया। प्रथम प्रयास में लिखी कहानी से मुझे यूँ प्रशंसा मिलने की आशा न थी। इसकी एक प्रति तुम्हें भी भेज रहा हूँ। पढ़कर बताना कहानी कैसी लगी।

    अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और बबली को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा प्रिय मित्र
    हार्दिक

    27. आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़कर धूम्रपान करने लगा है। धूम्रपान की हानियाँ बताते हुए अविलंब धूम्रपान छोड़ने के लिए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    15 जुलाई, 20XX
    प्रिय अनुज उज्ज्वल
    शुभाशीष

    हम सभी सकुशल रहकर आशा करते हैं कि तुम भी सर्कुशल होंगे और तुम्हारे स्वस्थ एवं प्रसन्न रहने की मैं कामना करती हूँ। इधर दो महीने से ज़्यादा दिन बीत गए, तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। कल तुम्हारे कक्षाध्यापक का पत्र आया था, जिसमें उन्होंने लिखा है कि तुम छात्रावास में कुछ गंदे लड़कों की संगति में पड़ गए हो। यह उनकी संगति का असर है कि तुमने धूम्रपान करना शुरू कर दिया है। इस बात को जानकर माँ और पिता जी बहुत दुखी हैं। तुम्हें छात्रावास भेजने पर उन्हें पछतावा हो रहा है

    प्रिय अनुज! भूल तो मनुष्य से ही होती है, भगवान से नहीं, पर अच्छा इंसान वह है जो समय रहते अपनी भूल सुधार ले। धूम्रपान से व्यक्ति अपना धन ही बर्बाद नहीं करता, तन भी नष्ट कर लेता है। इससे खाँसी, श्वाँस, फेफड़े की बीमारी, कैंसर जैसी असाध्य बीमारियाँ हो जाती हैं। बीड़ी-सिगरेट का निकोटीन हमारी पाचन क्रियाओं और मस्तिष्क पर बुरा असर डालता है, इसलिए समय रहते अपनी भूल सुधारो और इससे तौबा कर लो। आशा ही नहीं, विश्वास है कि तुम अविलंब इस बुरी आदत को त्याग दोगे।

    पत्रोत्तर में लिखना कि तुमने कुसंगति और धूम्रपान त्याग दिया या नहीं। शेष कुशल है। शुभकामनाओं सहित,

    तुम्हारी बड़ी बहन
    सौम्या

    28. आप 37/4C बेला रोड उज्जैन मध्यप्रदेश निवासी विवेक हो। आप अपने मित्र सत्यम के बुलावे पर दिल्ली आए और ताजमहल की सैर की। अपने अनुभव व्यक्त करते हुए उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    37/4C
    बेला रोड, उज्जैन
    मध्यप्रदेश
    05 जनवरी, 20XX
    प्रिय मित्र सत्यम्
    सप्रेम नमस्ते।

    मैं यहाँ स्वस्थ और प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे और मैं इसके लिए ईश्वर से कामना करता हूँ।

    मित्र! पिछले सप्ताह मुझे दिल्ली बुलाकर तुमने आगरा का जो भ्रमण कराया और ताजमहल दिखाया उसके लिए बार-बार धन्यवाद देता हूँ। तुमने जिस गर्मजोशी से दिल्ली में मेरा स्वागत किया, वह मुझे अभिभूत कर गया। तुमने इस भ्रमण को अविस्मरणीय बना दिया है। ताज एक्सप्रेस से आगरा जाना, ताजमहल तक ऑटो से जाना, लाइन में लगकर टिकट खरीदना और ताजमहल के बारे में एक-एक बात बताना अब तक याद है। इससे पहले मैंने ताजमहल को टेलीविजन पर देखा था और इसके बारे में पुस्तकों में पढ़ा था, पर इसे प्रत्यक्ष देखने का अपना अनुभव अद्भुत ही है। इसकी नक्काशी, सफ़ेद संगमरमर के पत्थरों पर उन्हें उकेरना और तराशना कितने परिश्रम से यह सब किया गया होगा। मन इस बात से भी गर्व से भर उठता है कि मध्यकाल में भी हमारे देश में इतने कुशल शिल्पकार एवं कलामर्मज्ञ रहे होंगे। ताजमहल का सुंदर दृश्य अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। इतने सुंदर एवं अविस्मरणीय अनुभव के लिए एक बार पुनः धन्यवाद।

    तुम उज्जैन कब आ रहे हो लिखना। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह कहना।

    तुम्हारा अभिन्न मित्र
    विवेक

    29. पुस्तकालय जाकर पत्र-पत्रिकाओं के नियमित पठन की आदत विकसित करने के लिए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    15 अप्रैल, 20XX
    प्रिय अनुज विकास
    शुभाशीर्वाद

    कल शाम तुम्हारा पत्र मिला। तुम स्वस्थ एवं प्रसन्न हो, यह जानकर काफ़ी खुशी हुई। उससे भी अधिक खुशी परीक्षा में तुम्हारी शानदार सफलता को जानकर हुई। इस पत्र में तुम्हें ग्रीष्मावकाश के सदुपयोग के बारे में बता रहा हूँ। अनुज! मई से छुटियाँ शुरू हो जाएँगी। तुम सारा समय घूम-टहलकर बिताने के बजाय नियमित रूप से पुस्तकालय जाया करो। वहाँ कम-से-कम दो घंटे बिताओ। वहाँ समाचार-पत्र-पत्रिकाओं के अलावा बच्चों के लिए उपयोगी अनेक बाल पत्रिकाएँ-चंदा मामा, पराग, बाल हंस, सुमन-सौरभ, लोट-पोट, नन्हे सम्राट, चंपक, नंदन आदि उपलब्ध रहती हैं। ये पत्रिकाएँ ज्ञान का भंडार होने के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी होती हैं। इनके नियमित अध्ययन से पढ़ने की स्वस्थ आदत का विकास होगा। और हाँ, इससे तुम्हें प्रोजेक्ट कार्य आदि करने में भी मदद मिलेगी।

    आशा है कि तुम मेरे सुझाव को मानकर ज्ञानवर्धन के साथ-साथ स्वस्थ मनोरंजन भी करोगे। शुभकामनाओं सहित,

    तुम्हारा बड़ा भाई
    प्रत्यूष

    30. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें विज्ञान-प्रयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियों की ओर ध्यानाकर्षित कराया गया हो।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    15 नवंबर, 20XX
    प्रिय अंबुज
    शुभाशीष तुम्हारा

    पत्र मिला। पढ़कर सब हालचाल मालूम हुआ। तुम्हारी पढ़ाई अच्छी चल रही है यह जानकर खुशी हुई। इस पत्र में मैं तुम्हें प्रयोगशाला में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बता रहा हूँ।

    अंबुज! प्रयोगशाला का माहौल शिक्षण कक्ष से अलग होता है। यहाँ तरह-तरह के उपकरण, ज्वलनशील पदार्थ, अम्ल तथा अन्य पदार्थ होते हैं, जिनके प्रयोग में यदि जरा-सी चूक हो जाए तो आग लगने, विस्फोट होने, विषैली गैसें निकलने, उपकरण टूटने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में प्रयोगशाला के किसी भी उपकरण या पदार्थ को विज्ञान-शिक्षक की अनुमति के बिना न छूना चाहिए और न चखने का प्रयास करना चाहिए। यहाँ अधिकांश उपकरण काँच के बने होते हैं जो तनिक-सी असावधानी से गिरकर टूट जाते हैं। यहाँ पर जो भी प्रयोग करना, शिक्षक की देखरेख में, उनके निदेर्शों का पालन करते हुए करना, ताकि कोई दुर्घटना न हो।

    आशा है, इन बातों को ध्यान में रखते हुए तुम विज्ञान प्रयोगशाला में प्रयोग करोगे और प्रयोगों में रुचि लोगे।
    शुभकामनाओं सहित

    तुम्हारा अग्रज
    मुकुल

    31. आपकी परीक्षाएँ चल रही हैं। इस कारण आप छोटे भाई के जन्मदिन पर उपस्थित नहीं हो सकते हैं। छात्रावास से उसे जन्मदिन की बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    महात्मा गांधी
    छात्रावास
    गांधी नगर गुजरात
    10 मार्च, 20XX
    प्रिय भाई विनीत
    शुभाशीष!

    मैं यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ।

    विनीत, मुझें अच्छी तरह याद है कि 15 मार्च को तुम्हारा जन्मदिन है। मैं तुम्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ और प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वह तुम्हें स्वस्थ, प्रसन्न एवं दीर्घायु रखे और तुम्हें मनचाही सफलता प्राप्त हो। परसों अर्थात् 12 अप्रैल से मेरी परीक्षाएं शुरू हो रही हैं, इस कारण चाहकर भी मैं इस अवसर पर उपस्थित नहीं हो सकता हूँ। हाँ, इस अवसर के लिए एक छोटा-सा उपहार कोरियर के द्वारा भिजवा रहा हूँ। आशा ही नहीं विश्वास है कि यह उपहार तुम्हें अवश्य पसंद आएगा। व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न हो पाने का मुझे खेद है।

    एक बार पुन: जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ।

    तुम्हारा बड़ा भाई
    सुमित

    32 अपने नए विद्यालय के छात्रावास की विशेषताएँ बताते हुए अपनी माँ को पत्र लिखिए कि आपका मन यहाँ लग गया है और वे चिंतित न हों।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    07 अप्रैल, 20XX
    पूज्या माता जी
    सादर चरण स्पर्श

    कल ही पिता जी का भेजा पत्र मिला। पढ़कर बड़ी खुशी हुई। मैं यहाँ पर स्वस्थ्य एवं प्रसन्न हूँ। पत्र से ज्ञात हुआ कि पहली बार मेरे घर छोड़ने से आप छात्रावास के खान-पान को लेकर चिंतित हैं। इस पत्र में मैं अपने छात्रावास के बारे में लिख रहा हूँ

    माँ! मेरा छात्रावास विद्यालय से कुछ ही दूरी पर हरे-भले वातावरण में स्थित है। यहाँ लगभग 50 कमरे हैं। इसके चारों ओर ऊँची दीवार है। मुख्य द्वार पर एक चौकीदार हमेशा नियुक्त रहता है। रात्रि आठ बजे इसका गेट बंद कर दिया जाता है। ज़रूरी वस्तुएँ यहीं प्रांगण में ही मिल जाती हैं। यहाँ का केयर टेकर हमें प्रातः पाँच बजे जगा देता है। दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर हम छात्र साथ-साथ व्यायाम करते हैं। यहाँ खाना ताज़ा, शुद्ध तथा स्वादिष्ट मिलता है। धोबी धुले कपड़े प्रतिदिन दे जाता है। यहाँ रहन-सहन के साथ खेलकूद की भी उत्तम व्यवस्था है। मनोरंजन के लिए प्रतिदिन शाम को टेलीविजन देखा जा सकता है। यहाँ का हरा-भरा वातावरण मुझे बहुत पसंद आया। आशा है कि यह सब जानकर आपकी चिंता खत्म हो गई होगी।

    पूज्य पिता जी को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह। शेष सब कुशल है। प्रत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    आपका बेटा
    अविजित

    33. खेल-कूद में भाग लेने की प्रेरणा देते हुए अपनी छोटी बहन को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    10 सितंबर 20XX
    प्रिय छोटी बहन
    शुभाशीष!

    तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर दुख हुआ कि एक सप्ताह से तुम सिरदर्द से परेशान हो।

    बहन! आलसी तो तुम पहले से ही हो। देर तक सोए रहना और पढ़ने के लिए किताबों में डूबे रहना तुम्हारी आदत है। मुझे तो तुम साक्षात् किताबी कीड़ा लगती हो। खेल-कूद से तुम्हारा दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। ऐसी आदत से सिरदर्द तो होना ही है। शायद तुम नहीं जानती हो कि खेल-कूद का हमारे स्वास्थ्य के साथ घनिष्ठ रिश्ता है। खेल-कूद हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखते हैं। खेल-कूद के बिना संतुलित और पौष्टिक भोजन से भी हमारा स्वास्थ्य उत्तम नहीं बन सकता है। खेल हमें प्रसन्न रखते हैं जिससे हमें मानसिक शांति मिलती है। अब तो ‘खेलोगे-कूदोगे होगे खराब’ की उक्ति अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है। खेल हमें स्वस्थ रखने के अलावा धन और यश अर्जन का साधन बन चुके हैं। आजकल अच्छे खिलाड़ियों को सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियाँ अच्छी नौकरी भी प्रदान कर रही हैं।

    आशा है कि तुम अब अपना आलस्य त्यागकर खेलों में नियमित रूप से भाग लोगी। शेष अगले पत्र में, पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    तुम्हारा अग्रज
    जतिन शर्मा

    34. अपनी माता जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपकी वार्षिक परीक्षा में प्रश्न-पत्र कैसे हुए?
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    लखनऊ, उत्तर प्रदेश
    15 मार्च, 20XX
    पूज्या माता जी
    सादर चरण स्पर्श

    आपका भेजा हुआ पत्र पिछले सप्ताह मिला। पढ़कर खुशी हुई। मैं भी यहाँ खुश एवं स्वस्थ हूँ।

    माँ! इस पत्र का जवाब विलंब से लिख रहा हूँ, इसके लिए क्षमा चाहूँगा। कल तक मेरी परीक्षा थी, इसलिए चाहकर भी पत्र न लिख सका। आपको यह जानकर खुशी होगी कि वार्षिक परीक्षा में मेरे सभी प्रश्न-पत्र बहुत अच्छे हुए हैं। इस बार आपके निर्देशों का पूरी तरह पालन किया और सभी विषयों को समान समय दिया। इससे सभी विषय समय पर पूरे हो गए। परीक्षा से एक माह पूर्व कोर्स पूरा हो जाने से दोहराने का पूरा समय मिल गया। मैंने गणित एवं विज्ञान विषयों में अध्यापकों का अमूल्य सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया था, जिससे गणित एवं विज्ञान के प्रश्न-पत्र में 95% से अधिक आने की आशा है। अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत में प्रश्न-पत्र भी अच्छे हुए हैं। हाँ, सामाजिक विज्ञान में 80% प्रश्न ही हल कर सका हूँ। आशा है कि 80% से अधिक अंक आ जाएँगे।

    आप अपने और पिता जी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना। पूज्य पिता जी को चरण स्पर्श और प्रणव को स्नेह। प्रत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    आपका प्रिय पुत्र
    अनुराग

    35. सत्संगति का महत्त्व बताते हुए छोटे भाई को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    20 अप्रैल 20XX
    प्रिय अनुज रुचिर
    शुभाशीर्वाद।

    मैं यहाँ पर सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल रहकर पढ़ाई कर रहे होगे।

    कल शाम को मुझे पिता जी का पत्र मिला। पढ़कर इस बात का दुख हुआ कि तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हो। तुम बहाना बनाकर स्कूल से बाहर निकल जाते हो और दोस्तों के साथ घूमते रहते हो। तुम्हें ऐसे छात्रों की संगति तुरंत छोड देनी चाहिए और अच्छे छात्रों की संगति करना चाहिए। सत्संगति के बिना मनुष्य अपना भला-बुरा भी नहीं सोच सकता है। कहा भी गया है कि ‘बिनु सत्संग विवेक न होई।’ विवेक की कमी के कारण ही तुम अपना हित अहित नहीं समझ पा रहे हो। अच्छी संगति ही तुम्हारी बुरी आदतें दूर करेगी, तुम्हें सही रास्ते पर ले जाएगी और जीवन को सुखद व सुखमय बनाएगी। अतः सोच-समझकर दोस्तों का चयन करो।

    आशा ही नहीं विश्वास है कि तुम बुरी संगति छोड़कर सत्संगति में रहोगे और उन्नति करोगे। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा भाई
    उदय प्रताप

    36. आपका भाई छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहा है। उसे वृक्षों का महत्त्व बताते हुए वृक्षारोपण की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    127/4B
    सेक्टर 15, रोहिणी
    दिल्ली
    07 जुलाई, 20XX
    प्रिय अनुज भौमिक
    ढेर सारा स्नेह

    हम सभी यहाँ पर सकुशल रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि तुम्हारी पढ़ाई अच्छी चल रही होगी। इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हें पेड़ लगाने की प्रेरणा देना चाहता हूँ।

    भौमिक हर प्राणी को साँस लेने के लिए आक्सीजन चाहिए। यह ऑक्सीजन हमें पेड़-पौधे ही देते हैं। पेड़ों की कमी से हमारे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों की कमी के कारण प्रतिवर्ष वर्षा कम होने लगी है। मनुष्य जैसे-जैसे पेड़ काटता जा रहा है, वैसे-वैसे पृथ्वी पर बाढ़, सूखा, भूस्खलन आदि की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। धरती पर जीवन और हरियाली बनाए रखने के लिए बहुत सारे पेड़ लगाने की आवश्यकता है। मैं चाहता हूँ इस वर्षा ऋतु में तुम अपने विद्यालय में खाली पड़ी ज़मीन पर पौधे लगाकर उनकी देखभाल करो। छात्रावास के आसपास भी सभी विद्यार्थी मिलकर पेड़ लगाएँ तो कितना अच्छा रहेगा।

    पत्र द्वारा बताना कि तुमने कितने पौधे लगाए। शेष सब ठीक है। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

    तुम्हारा अग्रज
    पार्थिव

    37. जन्मदिन पर भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए अपने मामा जी को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    10 अक्तूबर, 20XX
    पूज्य मामा जी
    सादर प्रणाम।

    मैं यहाँ पर स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि आप भी परिवार के साथ स्वस्थ एवं सानंद होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।

    मामा जी, मैं अपने जन्मदिन पर दोपहर से ही आपकी प्रतीक्षा कर रहा था, लगभग 4 बजे डाकिए ने बेल बजाई और मैं बाहर आया। उससे मुझे आपका भेजा हुआ पार्सल और एक संक्षिप्त पत्र प्राप्त हुआ। आपके न आने का मुझे दुख हुआ। यह पार्सल मैंने केक कटने के बाद ही खोलने का मन बनाया। रात में जब मैंने अपने मित्रों के सामने यह पार्सल खोलना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। पार्सल में उपहार स्वरूप सुनहले रंग में लिपटी ‘विवेकानंद की जीवनी’ नामक पुस्तक थी। यह सबसे अलग उपहार था। अब तक मैं अपने अध्यापक से स्वामी जी की कहानियाँ सुना करता था, परंतु अब इसे पढुंगा और विवेकानंद के प्रेरणाप्रद जीवन से कुछ सीखने की कोशिश करूँगा। मेरे मित्र भी इस पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं। यह पुस्तक कितनी अच्छी एवं उपयोगी है, इसका प्रमाण है। ऐसे सुंदर उपहार हेतु धन्यवाद देना चाहता हूँ।

    छुट्टियों में मामी जी के साथ घर अवश्य आइएगा। मैं आपकी प्रतीक्षा करूँगा। रोहन और रचना को स्नेह। शेष सब ठीक है।

    आपका प्रिय भांजा
    अविकल

    38. आपका छोटाभाई अकसर तबीयत खराब होने की शिकायत करता है। खेल और योगाभ्यास द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने का उपाय बताते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    03 मार्च 20XX
    प्रिय मित्र नितिन
    शुभाशीष!

    कल शाम को तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर सब हाल-चाल मालूम हुआ पर हमें यह जानकर दुख हुआ कि कई दिनों से सिर में दर्द रहने के लिए तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। मुझे तो लगता है कि यह सब देर तक टी.वी. देखने एवं देर तक मोबाइल एवं कंप्यूटर पर देर तक खेलते रहने के कारण हो रहा है।

    नितिन, पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद में भाग लेना भी आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य उत्तम बनता है। मेरी बात मानकर तुम समय निकालकर घर से बाहर निकलकर हरियाली के दर्शन करो। शुद्ध एवं ताज़ी हवा में खेलो और योगासन करो। स्वस्थ शरीर के लिए खेल एवं योगाभ्यास अत्यावश्यक है। इससे हमारा शरीर और मस्तिष्क दोनों ही स्वस्थ होगा। खुली हवा में खेलने-कूदने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है और पाचन शक्ति मज़बूत होती है। इससे बीमारियाँ पास फटकती भी नहीं हैं।

    आशा है कि तुम मेरी बात मानकर खेल एवं योगाभ्यास पर ध्यान दोगे और मन लगाकर पढ़ाई करोगे। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा बड़ा भाई
    प्रत्यूष कुमार

    39. आपने हॉल में ही कोई पुस्तक मेला देखा था। इस अनुभव को बताते हुए अपनी छोटी बहन को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    रत्नसागर छात्रावास
    मॉडल टाउन, मेरठ
    उत्तर प्रदेश
    10 अगस्त 20XX
    प्रिय बहन तनु
    खूब सारा स्नेह!

    मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगी। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।

    बहन! इस बार दिल्ली प्रवास के समय मुझे प्रगति मैदान में लगा पुस्तक मेला देखने का अवसर प्राप्त हुआ। इतनी सारी पुस्तकों की दुकानें और पुस्तकें देखने का अनुभव अद्भुत था। मैं अपने मित्र के साथ उत्साहित होकर दस बजे ही प्रगति मैदान पहुँच गया। मुझसे पहले सैकड़ों पुस्तक प्रेमी लाइन में लगकर टिकट खरीद रहे थे। हम भी टिकट लेकर अंदर गए जहाँ सात हॉलों में पुस्तकों के स्टॉल लगाए प्रकाशक और उनके कर्मचारी पुस्तक प्रेमियों की जिज्ञासा शांत कर रहे थे। हम भी ग्यारह नंबर हॉल में गए और पुस्तकों को हर्ष-विस्मय से देखने लगे। एक से एक सुंदर और दुर्लभ पुस्तकें, मन ललचा रहा था कि इनमें से कितनी सारी खरीद लूँ। हमने अपनी पसंद की पाँच पुस्तकें खरीदीं। इन पर हमें शानदार छूट भी मिली। मौका मिला तो अगली बार तुम्हें भी साथ लेकर आऊँगा, फिर इसे तुम भी साक्षात देख लेना। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा अग्रज
    कल्पित कुशवाहा

    40. आपका छोटा भाई स्कूल से आकर बाकी समय खेल-कूद में बिता देता है। इस कारण वह मिड टर्म परीक्षा में फेल होते-होते बचा है। उसे स्वाध्याय के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षाभवन
    जयपुर, राजस्थान
    20 अक्टूबर 20XX
    प्रिय अनुज रमन
    खूब सारा प्यार एवं स्नेह!

    कल पिता जी का भेजा पत्र मिला। पढ़कर दुख हुआ कि तुम मिड-टर्म परीक्षा में फेल होते-होते बचे हो। इस बार तो तुम जैसे-तैसे पास हो गए हो, पर ऐसी पढ़ाई के सहारे वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण होना कठिन हो जाएगा।

    रमन शायद तुम्हें पता नहीं है कि नौवीं कक्षा में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ लागू नहीं होती। इस कक्षा में भरपूर मेहनत करने से ही पास हो सकोगे। तुम अब भी सारा समय खेलने में बिता रहे हो और उस पढ़ाई की उपेक्षा कर रहे हो, जिसके अभाव में जीवन में कदम-कदम पर मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में पढ़ाई के लिए समय निकालना और स्वाध्याय करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। स्वाध्याय के बिना सफलता की कामना करना बेईमानी होगी। अतः खेल और पढ़ाई के बीच तालमेल बनाकर एक समय सारिणी बनाओ और परिश्रम से स्वाध्याय करना शुरू कर दो।

    आशा है कि मेरी राय मानकर तुम यह काम आज से ही शुरू कर दोगे। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा अग्रज
    अजय शर्मा

    41. इंटरनेट खूबियों का भंडार है, परंतु इसके प्रयोग में असावधानी करने से इसका दुष्प्रभाव सामने आने लगता है। इंटरनेट का प्रयोग सोच-समझकर करने की सलाह देते हुए छोटे भाई को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    27 सितंबर, 20XX
    प्रिय छोटी बहन नंदिनी
    ढेर सारा स्नेह

    मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल एवं प्रसन्न होगी, पर यह जानकर मन चिंतित एवं दुखी भी हुआ कि तुम पढ़ने-लिखने के बजाय अपना समय इंटरनेट चलाकर देर रात तक बैठी रहती हो।

    नंदिनी, यह सच है कि इंटरनेट पर ज्ञान और मनोरंजन का भंडार भरा है जिसका उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है। विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए इंटरनेट किसी वरदान से कम नहीं है, परंतु इंटरनेट उपयोग के समय अपना दिमाग एवं विवेक दोनों का प्रयोग अत्यावश्यक है। इसका कारण यह है कि इंटरनेट की मदद से कुछ भी पढ़ते या इस पर फ़िल्म आदि देखते समय इसका बिलकुल भी ध्यान नहीं रहता है। देर रात तक इंटरनेट देखना और भी हानिकारक होता है। इससे समय, धन और स्वास्थ्य तीनों की ही बरबादी होती है। युवा वर्ग इस पर ऐसी साइटें देखना चाहता हैं जो उसे गलत दिशा में ले जाती हैं। इंटरनेट का प्रयोग आधा या एक घंटा मात्र अपनी आवश्यकता के लिए ही करना।

    आशा है तुम मेरी बात अवश्य मानोगी और इंटरनेट का प्रयोग कम से कम करोगी। शेष सब कुशल है।

    तुम्हारा बड़ा भाई
    वरुण कुमार

    42. आपका. छोटा भाई शौर्य अपने जन्मदिन पर महँगा मोबाइल फ़ोन चाहता है। अध्ययन काल में मोबाइल फ़ोन के दुष्प्रभावों का वर्णन करते हुए पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    परीक्षा भवन
    नई दिल्ली
    10 अक्टूबर, 20XX
    प्रिय अनुज शौर्य
    खूब सारा स्नेह

    कल शाम को पिता जी का भेजा पत्र मिला। पत्र पढ़कर इस बात से दुख हुआ कि तुम अपने इस जन्मदिन पर पिता जी से मोबाइल फ़ोन लेने की ज़िद कर रहे हो। यह उचित नहीं है।

    शौर्य, मैं मानता हूँ कि मोबाइल फ़ोन में बहुत सारी ऐसी खूबियाँ आ गई हैं जिनके कारण इसे पाने के लिए मन ललचाता है। महँगा फ़ोन चाहने की तुम्हारी इच्छा स्वाभाविक ही है, परंतु अभी तुम्हारे लिए मोबाइल फ़ोन की आवश्यकता नहीं है। इससे पढ़ाई में बाधा आती है। न चाहते हुए भी हम इसका प्रयोग करने पर विवश हो जाते हैं। अनावश्यक बातें करना, गाने सुनना, एस.एम.एस. भेजना, मोबाइल फ़ोन पर गेम खेलना आदि से पढ़ाई प्रभावित होती है। इसमें संलग्न कैलकुलेटर का प्रयोग करने से छोटी-छोटी गणनाएँ जबानी करने में परेशानी होने लगती हैं। इन्हीं दुप्रभावों के कारण सी.बी.एस.ई. बोर्ड में स्कूलों में छात्रों द्वारा फ़ोन लाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

    आशा है कि तुम समझदारी दिखाते हुए अभी मोबाइल फ़ोन दिलवाने की ज़िद नहीं करोगे।

    तुम्हारा बड़ा भाई
    वैभव

    43. जीवन मूल्य ही मनुष्य को सच्चा मनुष्य बनाते हैं। जीवन में जीवन-मूल्यों की महत्ता बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
    उत्तर:

    स्वामी परमहंस छात्रावास
    लखनऊ, उत्तर प्रदेश
    27 अक्टूबर, 20XX
    प्रिय अनुज अमित
    शुभाशीष।

    मैं यहाँ सकुशल रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना किया करता हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हें जीवन-मूल्यों की महत्ता के बारे में बताना चाहता हूँ।

    अमित, पढ़-लिखकर ज्ञानवान बन जाना, कसरत, व्यायाम करके शरीर हृष्ट-पुष्ट बना लेना, धन कमाकर सुख-सुविधाएँ जुटा लेने मात्र से कोई भी सच्चा मनुष्य नहीं बन जाता है। हमारे देश के ऋषि-मुनि तपस्वियों की भाँति जीवन जीते हुए कुटिया में रहते थे, फिर भी उन्हें सच्चे मनुष्य की संज्ञा दी जाती है। इसका कारण है, उनमें त्याग, परोपकार, सहनशीलता, संवेदनशीलता, परदख कातरता, दूसरों को दुखी न देख पाने जैसे जीवन-मूल्य। आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य में जीवन मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। समाज और राष्ट्रहित के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।

    आशा है कि तुम जीवन मूल्यों का महत्त्व समझ गए होगे और हर हाल में इसे बनाए रखोगे। शेष अगले पत्र में,

    तुम्हारा अग्रज
    संचित मौर्य

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