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An Indian American Woman in Space: Kalpana Chawla Summary In English
Kalpana Chawla was born in Karnal, Haryana but became a U.S. citizen after her marriage to an American flight instructor Jean-Pierre Harrison. So she is called an Indian-American. She graduated from Tagore School Karnal. After this she joined an engineering college. Then, she went for a master’s degree to the U.S. After getting that degree, she earned her Ph.D. in aerospace engineering.
After qualifying as a pilot, she applied to NASA for a space shuttle program. It was her success as a pilot that gave her the idea that she could be ar astronaut. She was first hired as a research scientist. In 1994, she was selected by NASA for training as an astronaut among others. Thus she became the first Indian-American woman astronaut.
Chawla’s first space mission in the space was 15 days, 16 hours and 34 minutes long. The crew included a Japanese and a Ukranian astronaut. They performed different experiments for a price tag of about 56 million dollars.
When the news about the Columbia disaster broke, there was shock and disbelief. But it became clear that Kalpana Chawla had died. All other crewmembers on the space shuttle had also died.
A journalist wrote that Kalpana Chawla was a heroine. According to him astronaut is a very able person. He has to know everything from biology to astrophysics to aeronautical engineering. An astronaut has encyclopaedic knowledge.
Kalpana Chawla said that a dream can be made a reality. For this one must have the courage and work for it.
An Indian American Woman in Space: Kalpana Chawla Summary In Hindi
कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल नगर में हुआ था पर बाद में वह एक अमरिकी फ्लाइट इंस्ट्रक्टर जीन-पियर हैरीसन से शादी करके अमरीकी नागरिक बन गयी थी। इसलिए उन्हें भारतीय अमरीकन कहते हैं। करनाल टैगोर स्कूल से उसने स्नातक की डिग्री ली। उसके बाद वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने लगी। फिर वह स्नातकोत्तर डिग्री के लिए अमरीका गई। उस डिग्री को प्राप्त करने के बाद उसने अंतरिक्ष इंजीनियरिंग में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।
वायुयान-चालक की योग्यता प्राप्त करने के बाद, उसने नासा में अंतरिक्ष-यान के प्रोग्राम के लिए आवेदन भेजा। चालक के रूप में सफल होकर उसे यह विचार आया कि वह ऐस्ट्रोनाट बन सकती थी। पहले उसे अनुसंधान-वैज्ञानिक के रूप में रखा गया। 1994 में नासा ने उसका चुनाव अंतरिक्ष यात्री की ट्रेनिंग के लिए किया। इस प्रकार वह प्रथम भारतीय-अमरीकी नारी अंतरिक्ष यात्री बन गयी।
चावला की प्रथम अंतरिक्ष यात्रा 15 दिन 16 घंटे और 34 मिनट की थी। उस अंतरिक्षयान के जत्थे में एक जापानी और एक यूक्रेनियन अंतरिक्ष यात्री भी थे। लगभग 56 मिलियन डालर के खर्च पर उन लोगों ने अंतरिक्ष में विभिन्न प्रयोग किए।
जब कोलंबिया के नष्ट होने की खबर आयी, तब लोगों को विश्वास नहीं हुआ और उन्हें बड़ा मानसिक आघात लगा। परंतु यह स्पष्ट हो गया कि कल्पना चावला मर चुकी थी। उस यान के अन्य यात्री भी मारे गये थे।
एक पत्रकार ने लिखा कि कल्पना चावला एक नायिका थी। उसके अनुसार अंतरिक्ष यात्री बड़ा योग्य व्यक्ति होता है। उसे जीव विज्ञान से लेकर अंतरिक्ष-भौतिकी और अंतरिक्ष भौतिकी से लेकर अंतरिक्ष यांत्रिकी तक सब कुछ जानना होता है। अंतरिक्ष यात्री का ज्ञान विश्वकोषीय होता है।
कल्पना चावला ने कहा था कि स्वप्न को वास्तविकता बनाया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति में साहस होना चाहिए और उसके लिए प्रयत्न करना चाहिए।