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Kathmandu Summary Class 9 English

Kathmandu Summary Class 9 English

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    Kathmandu Summary In English

    Two famous temples in Kathmandu
    The lesson ‘Kathmandu’ is a description of the two famous temples of that city. One is the Pashupatinath temple. The other is the Baudhnath stupa, the Buddhist shrine of Kathmandu.

    Pashupatinath temple
    At Pashupatinath temple, a sign proclaims ‘Entrance for the Hindus only’. There is much crowd and utter confusion. All sorts of animals roam around through the grounds. There are so many people. They are pushing each other to somehow make their way to the Lord. A group of Westerners claims itself to be Hindus. It struggles for permission to come in. But the policeman at the gate is not convinced. Monkeys can be seen fighting.

    Belief about it and the river
    The holy Bagmati flows by the side of the temple. It has washer women at its banks. There is a small shrine also on the river bank. It seems that half of the shrine is in the river. The other half out of it. The people believe that the whole of the shrine will come out of the river, one day. Then the goddess inside will escape. Then the evil period of Kaliyug will come to an end.

    Baudhnath stupa
    At Baudhnath stupa, there is a sense of stillness. There is a road running round the temple. Small shops of Tibetan immigrants stand on its outer edge. There are no crowds here.

    What the author says about Kathmandu bazaar
    Kathmandu is a crowded place. There are deities in the busiest streets. These streets are r crowded with fruit sellers, flute sellers, hawkers of postcards etc. The shops sell “ Western cosmetics, film rolls and chocolate.
    Film songs can be heard. Car horns play. Cycle bells ring. Stray cows low at people. In the r market place, the author indulges himself mindlessly. Then, he plans to go back home. He enters a Nepal Airlines office and buys a ticket for Delhi. He comes back to his hotel.

    About the flute seller
    In a comer of the square near the hotel a flute seller catches his attention. His carefree style pleases him. He doesn’t sell his flutes like others. They cry to sell their wares. In fact, flute music always attracts him. It reminds him of the commonality of all mankind.

    Different flutes and flute music
    There is no culture that does not have its flute. The deep bansuri is of Hindustani classical music. The flutes of South America are clear and breathy. The Chinese ones are high pitched. The music of the flutes is universal. Its motive force is the breath. It unites all in one single thread of universality.

    The author’s analysis about the ‘bansuri’
    The author is affected by the phrases on the bansuri. It surprises him. He returns home after a long absence abroad. He did not think earlier of the details and their significance.

    Kathmandu Summary In Hindi

    काठमांडू के दो प्रसिद्ध मंदिर
    ‘काठमांडू’ नाम का पाठ उस शहर के दो प्रसिद्ध मंदिरों का वर्णन है। एक पशुपतिनाथ मंदिर है। दूसरा बौद्धनाथ स्तूप है जो काठमांडू का बौद्ध मंदिर है।

    पशुपतिनाथ मंदिर
    पशुपतिनाथ मंदिर पर एक बोर्ड लगा है केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है। बड़ी अत्यधिक भीड़ और पूरी अस्तव्यस्तता हैं। सभी तरह के जानवर हर तरफ भूमि पर विचर रहे हैं। लोगों की संख्या इतनी अधिक है। वे किसी न किसी प्रकार भगवान तक पहुँचने के लिए एक दूसरे को धक्का दे रहे हैं। पश्चिम से आये व्यक्तियों का एक समूह हिंदू होने का दावा करता है। यह अंदर प्रवेश की अनुमति के लिए संघर्ष कर रहा है। परंतु दरवाजे पर खड़े सिपाही को उनकी बात पर विश्वास नहीं होता है। बंदरों को लड़ते हुए देखा जा सकता है।

    इसके और नदी के बारे में धारणा
    मंदिर के साथ पवित्र बागमती बहती हैं। उसके तट पर धोबिनें रहती हैं। नदी के तट पर एक छोटा-सा मंदिर भी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आधा मदिर नदी के अंदर है। आधा उसके बाहर है। मान्यता है कि पूरा मंदिर एक दिन नदी के बाहर आ जायेगा। तब उसके अंदर विराजमान देवी वहाँ से चली जायेगी। तब कलियुग के | बुरे युग की समाप्ति हो जायेगी।

    बौद्धनाथ स्तूप
    बौद्धनाथ स्तूप के आस-पास शांति है। मंदिर के चारों ओर सड़क है। इसके बाहरी किनारे पर तिब्बती प्रवासियों की छोटी-छोटी दुकानें हैं। यहाँ कहीं भीड़ नहीं है।

    लेखक के काठमांडू बाजार के बारे में विचार
    काठमांडू एक भीड़ भरा स्थान है। व्यस्त गलियों में देवी-देवता हैं। इन गलियों में फल-विक्रेताओं, बाँसुरी-विक्रेताओं, पोस्टकार्ड के विक्रेताओं आदि की भीड़ है। दुकानें पाश्चात्य सौन्दर्य प्रसाधन, फिल्मों की रीलें और चॉकलेट बेचती हैं। फिल्मों के गाने सुने जा सकते हैं। कारों के हॉर्न बजते हैं। साईकलों की घण्टियाँ बजती हैं। आवारा गायें व्यक्तियों पर रंभाती हैं। बाजार में लेखक मुक्त होकर आनंद लेता है। फिर वह घर वापस जाने की योजना बनाता है। वह नेपाल एअरलाइन्स के ऑफिस में जाकर दिल्ली का टिकट खरीदता है। वह अपने होटल में वापस लौटता है।

    बाँसुरी विक्रेता के बारे में।
    होटल के पास चौराहे के एक कोने में खड़ा कोई बाँसुरीवाला उसका ध्यान खींच लेता है। उसका चिंतामुक्त तरीका उसे भा जाता है। वह अपनी बाँसुरियों को दूसरों की तरह नहीं बेचता है। दूसरे लोग अपनी चीजों को बेचने के लिए चिल्लाते हैं। वास्तव में बाँसुरी का संगीत उसे सदैव आकर्षित करता है। समस्त मानवता की सामान्यता का यह उसे बोध कराता है।

    भिन्न-भिन्न बाँसुरियाँ और बाँसुरी का संगीत
    कोई भी संस्कृति नहीं है जिसकी अपनी कोई बाँसुरी न हो। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गहरी बाँसुरी है। दक्षिणी अमेरिका की बाँसुरियाँ साफ और साँस फुलाने वाली होती हैं। चीन की ऊँची आवाज वाली होती हैं। बाँसुरियों का संगीत सार्वभौमिक है। सांस ही इसकी प्रेरक शक्ति है। यह सभी को सार्वभौमिकता के एकमात्र धागे में पिरोता है।

    ‘बाँसुरी’ के बारे में लेखक का विश्लेषण
    लेखक बाँसुरी के ऊपर कहावतों से प्रभावित होता है। यह उसे आश्चर्यचकित कर देती है। विदेश में एक लम्बी अनुपस्थिति के पश्चात वह देश लौटता है। उसने, उनके विवरणों और महत्त्व के बारे में पहले नहीं सोचा था।

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