Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 10 Hindi B
Year of Examination – 2019.
Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 3
हल सहित सामान्य
निर्देश :
• इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ ।।
• चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
• यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |
खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 9 अक हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं। यह ज़रूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णत: संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। अत: हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है।
कुछ निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं। परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें, तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएँगे। अत: विफलताओं की चिंता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौंदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है, कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की जरूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(क) मनुष्य के मानसिक रोग और अशांति का कारण किसे माना गया है?
(ख) सफलता पाना और सफल जीवन जीना दोनों बातें अलग कैसे हैं?
(ग) गद्यांश में जीवन का सौंदर्य और संघर्ष किसे बताया गया है? क्यों?
(घ) पत्थर का उदाहरण क्यों दिया गया है?
(ड) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर-
(क)
- अंतहीन इच्छाएँ।
- सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास।
(ख)
- इच्छित फल को प्राप्त करना ही सफलता पाना नहीं है बल्कि जीवन
में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करके आगे बढ़ना ही
सफल जीवन जीना है।
(ग)
- जीवन का सौंदर्य है – विफलताएँ और
जीवन का काव्य है – संघर्ष। - संघर्ष और विफलताएँ – दोनों ही जीवन की बाधाओं को दूर करके
आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
(घ)
- जीवन की कठिनाइयों व विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के
- लिए बार-बार प्रयास करने की प्रेरणा देने के लिए।
व्याख्यात्मक हल :
(क) आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाओं की खोज करता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में शांति की प्यास से-भटकता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोग और अशांति का कारणबन जाता है।
(ख) मनुष्य का इच्छित फल को प्राप्त करना ही सफलता पाना नहीं है। जब तक वह अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करता, तब तक यथार्थ सफलता पाना मुश्किल होता है। वह अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करके आगे बढ़ कर ही सफल जीवन जीता है।।
(ग) यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में चिंतन करते रहेंगे, तो सफलता कभी हासिल नहीं कर पायेगें, क्योंकि ये ही तो हमारे जीवन का , सौंदर्य है और संघर्ष जीवन का काव्य है, ये दोनों ही जीवन की बाधाओं को दूर करके आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
(घ) हमें जीवन में सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इसलिए जीवन की कठिनाइयों व विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए बार बार प्रयास करने की प्रेरणा देने के लिए
पत्थर का उदाहरण दिया है।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक हैं आधुनिकीकरण में उलझा
मानव जीवन में नैतिक व/मानवआध्यात्मिक मूल्य।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
वह जागता है।
रात के सन्नाटे में
दिन का कोलाहल उसे सोने नहीं देता
वह अरमानों को सँजोता है और
सिर्फ अपने लिए जीता है।
रात के सन्नाटे में वह सोच पाता है, विवेक को जगा पाता है।
तभी तो दिन को बदश्त कर पाता है।
वह परेशान है दिन के कोलाहल से,
छल, छदम और पाखंड दम घुटता है उसका
इसीलिए जागना चाहता है।
रात के सन्नाटे में।
(क) काव्यांश में दिन और रात किस बात के प्रतीक माने गए हैं?
(ख) विवेक किसे कहा जाता है? कवि का विवेक कब जागता है?
(ग) कवि को दिन में परेशानी क्यों होती है?
उत्तर-
(क)
- दिनकोलाहल का प्रतीक है।
- रातशांति का प्रतीक है।
(ख)
- उचित-अनुचित की पहचान करना।
- रात के सन्नाटे में।
(ग) कोलाहल, ढोंग, छल-छदम, झूठे रिश्तों आदि के कारण।
व्याख्यात्मक हल :
(क) काव्यांश में दिन को कोलाहल (शोरगुल) का प्रतीक और रात को शांति का प्रतीक माना गया है।
(ख) विवेक वह होता है जो स्वयं का निरीक्षण करके अपने भीतर छिपी। बुराइयों और दुर्गुणों को पहचानकर उचित-अनुचित की पहचान कर लेता है। जब रात हो जाती है तब रात के सन्नाटे में कवि का विवेक जागता है।
(ग) कवि को दिन में शोरगुल, ढोंग, छल-छद्म, झूठ रिश्ता, दिखावा करने वाले तथा पाखंडियों के कारण परेशानी होती है।
खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (क) शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
(ख) शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्या कहलाता है?
उत्तर-
(क) ध्वनियों की स्वतंत्र,सार्थक इकाई सब्द कहलाती है । जैसे- लड़की
(ख) पद
4. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) जब-जब प्राकृतिक आपदा आती है, लोग दिल खोलकर सहायता करते हैं।
(रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए) (ख) शिक्षक के आते ही वहाँ सन्नाटा छा गया। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) (ग) लाल कमीज पहनकर आने वाला व्यक्ति मेरा पड़ोसी है।
(मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर-
(क) मिश्र वाक्य ।
(ख) शिक्षक आए और वहाँ सन्नाटा छा गया।
(ग) जो व्यक्ति लाल कमीज़ पहनकर आया है, वह मेरा पड़ोसी है।
5. (क) निम्नलिखित का विग्रह करके समास का नाम लिखिए:
कर्मफल, हिसाब-किताब
(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए :
उत्तर-
(क) कर्म का फल – तत्पुरुष समास
हीसाब और किताब – द्वंद्व समास
(ख) मटमैला – कर्मधारय समास
हस्तनिर्मित – तत्पुरुष समास
6. मिट्टी जैसा मैला, हाथ से बनाया हुआ 6. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए :
(क) फलों का रस मेरे को नहीं पीना।
(ख) कृपया आप यहाँ से जाने की कृपा करें।
(ग) हमारे घर में आज बहुत-सा मेहमान आया है।
(घ) उसे बैंक से रुपए निकालने चाहिए।
उत्तर-
(क) मुझे फलों का रस नहीं पीना।
(ख) कृपया आप यहाँ से जाएँ/आप यहाँ से जाने की कृपा करें।
(ग) हमारे घर में आज बहुत से मेहमान आए हैं।
(घ) उसे बैंक से रुपए निकालने हैं।
7. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए :
सिर मारना, मुट्ठी गरम करना।
उत्तर-
सिर मराना- अध्यापिका को पढाई में कमजोर बच्चों से बहुत सिर मारना पड़ता है ।
मुडी गरम करना- आजकल सरकारी दफ्तरों में मुट्ठी गरम किए बिना कुछ भी नाहीं होता ।
(उचित एवं अर्थपूर्ण वाक्यों पर अंक दिए जाएँ।)
खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) ‘गिरगिट’ पाठ में येल्दीरिन ने ख्यूक्रिन को उसके दोषी होने के क्या कारण बताए?
(ख) शेख अयाज के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?’अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
(ग) शुद्ध-सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) वह शरारती है, कोई-न-कोई शरारत करता रहता है। उसने जलती हुई
सिगरेट से कुते की नाक जला दी होगी।
(ख) पेन बाजू पर रेंगते हुए काले चींटे को वापसउसके घर (कुएँ पर) छोड़ने के
लिए उठ खड़े हुए ।
जीवों के प्रति प्रेम व दया की भावना
व्याख्यात्मक हल :
शेख अयाज के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देखकर उठ खड़े हुए। वे कुएँ पर स्नान करने गए थे। वहाँ से वह अपने साथ एक च्योंटा ले आए थे। अत: उसे वापिस उसी जगह पहुँचाने के लिए वे उठ खड़े हुए। इससे उनकी जीवों के प्रति प्रेम व दया की भावना परिलक्षित होती है।
(ग) शुद्ध सोना बिना मिलावट वाला लचीला एवं कीमती होता है। गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है साथ ही वह मजबूत, चमकीला हैं व सस्ता होता
9. ‘वजीर अली’ एक जाँबाज सिपाही था। कैसे? पाठ’कारतूस” से उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए-
उत्तर-
वज़ीर अली एक जाँबाज सिपाही था। इस प्रकार जो अंग्रेजों की ब्रिटिश कम्पनी की सैनिक छावनी में प्रवेश कर कर्नल से कारतूस प्राप्त कर लेता है, वह साधारण व्यक्ति या सिपाही नहीं हो सकता। वज़ीर अली ने एक जाँबाज सिपाही की तरह प्राणों की बाजी लगाकर कारतूस हासिल किए। उसका यह कार्य उसे एक जाँबाज सिपाही सिद्ध करता है अत: हम वज़ीर अली को जाँबाज सिपाही कह सकते हैं।
10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ कविता में कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाहती है ? स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘कर चले हम फिदा’ कविता में कवि ने साथियों संबोधन किसके लिए किया है और क्यों ?
(ग) बिहारी के दोहों के आधार पर ग्रीष्म की प्रचंड गर्मी और दुपहरी का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
(क) प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है। वह प्रियतम को पाना चाहती है और उस तक जाने के लिए पथ को प्रकाशित रखना चाहती है ताकि वह स्वयं विचलित/पथभ्रष्ट न हो जाए।
(ख) देशवासियों के लिए किया है। देश की रक्षा के लिए सैनिकों का कारवाँ सदा आगे बढ़ाने की प्रेरणा देने के लिए।
(ग) भीषण गर्मी ने हिंसक पशुओं की हिंसा, वैर, विरोध और शत्रुता समाप्त कर दी है। अब शेर, हिरण, मोर व साँप एक ही स्थान पर बैठे दिखाई देते हैं।
व्याख्यात्मक हल :
ग्रीष्म ऋतु की भंयकर गर्मी है। चारों ओर गर्मी और लू की धू-धू मची है। जंगल के सभी जानवर गर्मी से इतने बेहाल हैं कि वे भूख-प्यास भूले बैठे हैं। उनका शत्रु भाव समाप्त हो गया है। वे मित्र भाव से इकई गर्मी झेल रहे हैं। हिरन-शेर, साँप-मोर एक साथ झुलस रहे हैं। जंगल मानो तपोवन हो गया है। जेठ मास की गर्मी में सूरज सिर पर आ गया है। छायाएँ दुबक कर गायब हो गई हैं। लगता है कि छाया भी घने जंगल में दुबक कर आराम कर रही है। उसे भी छाँव की जरूरत महसूस होने लगी है।
11.‘कर चल हम फिदा’ कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए उसका प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
- यह गीत 1962 में हुए भारत और चीन के युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिख गयाहै।
- सैनिकों के बलिदान और पवित्रता की गौरव गाथा, देश को पराजित न होने देने का संकल्प
- देश की सुरक्षा का दायित्व नई पीढ़ी को सौंपना
- प्राण त्यागकर भी सीता रूपी धरती के गौरव की रक्षा
(अन्य उपयुक्त उत्तर भी स्वीकार्य)
व्याख्यात्मक हल :
अपने देश के सम्मान और रक्षा के लिए सैनिक हर चुनौतियों को सवीकार करके अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं। अपनी अंतिम साँस तक देश के मान की रक्षा कर उसे शत्रुओं से बचाते हैं। कवि इसमें देशभक्ति को विकसित करके देश को जागरूक करना चाहता है। यह कविता 1962 सन के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनती है। कवि एक सैनिक के मन के भाव और उसके दर्द को व्यक्त करता है। इसके अंदर एक सैनिक देशवासियों से निवेदन करता है कि उसने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर दिया है। इसके बाद उन्हें ही देश की रक्षा करनी होगी।
12. अलग-अलग धर्म और जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होते। ‘टोपी शुक्ला पाठ के आलोक में प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
- भिन्न धर्म से आने वाले इफ्फन और टोपी शुक्ला का धर्म से ऊपर उठकर मित्रताकरना।
- टोपी शुक्ला का इफ्फन की दादी से गहरा लगाव।
- टोपी शुक्ला और इफ्फन के परिवारों के अलग-अलग परिवेश एवं विरोध के बावजूद दोनों की दोस्ती कायम रहना।।
- घरवालों से फटकार मिलने पर टोपी शुक्ला का नौकरानी सीता से सहानुभूति पाना।
- प्रेम किसी बात का पाबंद नहीं होता, इसमें धर्म और जाति बाधा उत्पन्न नहीं कर सकते-लेखक का मानना।
व्याख्यात्मक हल :
इफ्फन और टोपी शुक्ला भिन्न-भिन्न धर्मों के व्यक्ति थे, फिर भी उनमें गहरी दोस्ती हुई। हिन्दू टोपी शुक्ला का मुसलमान इफ्फन की दादी से गहरा लगाव था। उन दोनों के परिवारों का परिवेश अलग-अलग था फिर भी दोनों की दोस्ती कायम रही। घरवालों से टोपी शुक्ला को डॉट-फटकार मिलती, परन्तु घर की नौकरानी सीता से उसे सहानुभूति मिली। इससे पता चलता है कि प्रेम किसी बात का पाबंद नहीं होता। इसमें जाति और धर्म उसमें बाधा उत्पन्न नहीं कर सकते ऐसा लेखक का मानना है।
खण्ड ‘घ’ : लेखन
13. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए –
(क) स्वास्थ्य की रक्षा
- आवश्यकता
- पोषक भोजन
- लाभकारी सुझाव
(ख) विज्ञान के आधुनिक चमत्कार
- मानव जीवन और विज्ञान
- आधुनिक आविष्कार
- लाभहानि
(ग) शारीरिक श्रम श्रम और मानव जीवन
- लाभ
- सुझाव उत्तर
- विचारों की मौलिकता
- प्रस्तुति
- विषयानुकूल
व्याख्यात्मक हल :
(क) स्वास्थ्य की रक्षा
स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। एक स्वास्थ्य मनुष्य जीवन के हर आनंद का अनुभव लेता है और पूरी स्फर्ति से अपने दैनिक कार्य करता है। यदि हमारा स्वास्थ्य सही नहीं है, तो जीवन निराश से भरा हो जाता है। किसी काम में मन नहीं लगता है। जीवन से सारा आनंद गायब हो जाता है। स्वास्थ्य रहने के लिए आवश्यक है कि वह निरोग रहे। निरोग रहने के। लिए उसे संतुलित भोजन तथा रोज व्यायाम करना आवश्यक है। संतुलित भोजन शरीर की अन्य माँगों को पूरा करता है और मनुष्य को रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक खनिज, प्रोटीन तथा वसा उपलब्ध करवाता है। संतुलित भोजन शरीर को ऊर्जा तथा रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है तथा व्यायाम शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर कार्य करने में समर्थ होता है। हमें जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए स्वास्थ्य को महत्व देना पड़ेगा।
(ख) विज्ञान के आधुनिक चमत्कार
विशिष्ट रीति से जो ज्ञान पाया जाता है, उसे विज्ञान कहा जाता है। आज की इस भौतिकवादी दुनिया ने विज्ञान द्वारा संसार का ढाँचा ही बदल दिया है। सभी राष्ट्र औद्योगिक क्रान्ति की ओर अग्रसर हैं। उनके इस विकासशील रूप को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आज का युग यन्त्र का युग है। जिधर देखो गगनचुम्बी चिमनियाँ, बड़े-बड़े कल-कारखाने, पृथ्वी को सुशोभित कर राष्ट्र की समृद्धि का गुणगान कर रहे हैं। विज्ञान के चमत्कार आश्चर्यजनक हैं। यातायात, संचार के नये-नये साधन, बड़े-बड़े कल-कारखानों में नाना वस्तुओं का मशीनों से निर्माण, कृषि के क्षेत्र में क्रान्ति, मानव स्वास्थ्य और आयु वृद्धि के उपायों की खोज, फोटोग्राफी, सिनेमा आदि के द्वारा कला और मनोरंजन के साधनों का विकास, टी.वी., कम्प्यूटर, इंटरनेट, अन्तरिक्ष में मानव यात्रा, परमाणु शक्ति का मानव-कल्याण में उपयोग आदि विज्ञान की नाना उपलब्धियों ने धरती पर जैसे स्वर्ग ही उतार दिया है। विज्ञान ने मानव को अनेकानेक लाभ पहुँचाकर उसका अनन्त उपकार किया है। यन्त्रों के विकास के कारण मनुष्य के समय और श्रम की बहुत बचत हो गयी है। इनका उपयोग अब जीवन को
और अधिक सुखमय बनाने के लिए कर सकता है। धरती की भौगोलिक दूरियाँ मिट जाने से विश्व-बन्धुत्व की भावना को बल मिला है। एक देश की घटना दूसरे देश को तुरन्त प्रभावित करती है। किसी देश में भयंकर तबाही होने से अनेक राष्ट्रों से तुरंत सहायता पहुँचने लगती है। विज्ञान ने हमें भयंकर रोगों से मुक्ति दिलाई है। बाढ़, अकाल, महामारी आदि पर नियन्त्रण करके लाखों मनुष्यों को प्रकृति के प्रकोप का शिकार होने से बचा लिया जाता है। विज्ञान ने हमें अनेक भौतिक सुख-सुविधायें प्रदान की हैं। इनकी गणना कर पाना असम्भव है। वैभव और विलास की अनन्त सामग्री जुटाकर विज्ञान ने धरती पर स्वर्ग ला दिया है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथों में असीम शक्ति भर दी है। ज्ञान के नये-नये क्षितिज खोल दिये हैं। उसने भूखे को रोटी और नंगे को वस्त्र दिये हैं। अन्धे को आँखें दी हैं, लंगड़े को पर्वत लाँघने की शक्ति दी है। वह निर्धन का धन व निर्बल का बल है। उसकी कृपा से ‘मूक होंहि वाचाल, पंगु चढ़हिं गिरिवर गहन।’ की उक्ति सार्थक हुई है।
(ग) शारीरिक श्रम श्रम
का मतलब है, मनुष्य द्वारा अपने किसी विशेष प्रयोजन के लिए प्रकृति में किया जा रहा सचेत परिवर्तन। श्रम का उद्देश्य निश्चित .’ समाज के लिए उपयोगी उत्पादों को पैदा करना हैं; जाहिर है, इसके लिए उसे अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर पहले मानसिक प्रक्रिया सम्पन्न करनी पड़ती है, आवश्यकता क्या है, उसकी तुष्टि के लिए करना होगा, किस तरह करना होगा, एक निश्चित योजना और क्रियाओं, गतियों का एक सुनिश्चित ढाँचा दिमाग में तैयार किया जाता हैं तत्पश्चात उसी के अनुरूप मनुष्य प्रकृति पर कुछ निश्चित साधनों के द्वारा कुछ निश्चित शारीरिक क्रियाएँ सम्पन्न करता है।
शारीरिक श्रम से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है तथा शारीरिक श्रम के द्वारा उसे धन की प्राप्ति होती है। जिससे वह अपना जीविकोपार्जन आसानी से करता है। कठोर श्रम करने वाला मनुष्य सदैव उन्नति करता है। बड़े से बड़े तेज और समर्थ व्यक्ति तनिक आलस्य से जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं किंतु श्रम करने वाले व्यक्ति दुर्बल व साधनहीन होकर भी सफलता की दौड़ में आगे निकल जाते हैं।
श्रम प्रत्येक मनुष्य जाति तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए अनिवार्य है। मनुष्य जितना श्रम करता है उतनी ही उन्नति कर लेता है। हमारे देश में कई औद्योगिक घराने हैं जिन्होंने साम्राज्य स्थापित कर रखे हैं। यह सब उनके श्रम का ही परिणाम है। पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री अपने श्रम के कारण ही देश के प्रधानमन्त्री बन सके। आइंस्टीन ने श्रम किया और वे विश्व के सबसे महान वैज्ञानिक बन गए।
अमरीका, रूस, जापान तथा इंग्लैण्ड ने श्रम के माध्यम से ही उन्नति की है। और आज विश्व के सबसे समृद्ध देश बन गए हैं। अत: यह कहना अनुचित न होगा कि श्रम के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं है।
14. विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की शिकायत करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उन्हें रोकने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर
- प्रारूप
- विषयवस्तु
- विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल:
पता : …………………
दिनांक ………………………….
सवा में,
प्रधानाचार्य जी,
राजकीय उच्चतम बाल विद्यालय
मोती बाग
नई दिल्ली।
विषय-मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की शिकायत करते हुए पत्र
मान्यवर,
महोदय/महोदया मेरा नाम तरूण शर्मा है। मैं कक्षा 10वीं बी. में पढ़ता हूँ। मैं आपका ध्यान मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
बच्चे इसे खाकर बीमार पड़ जाते हैं। हमारे स्कूल में कैंटीन न होने के कारण बच्चे इसे खाने को विवश हैं। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप यथाशीघ्र इस विषय पर ठोस कदम उठाएँ। आपके इस कार्य के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
तरूण शर्मा
15. विद्यालय में स्वच्छता अभियान चलाने के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम के निर्धारण हेतु सभी कक्षाओं के प्रतिनिधियों की बैठक के लिए समय, स्थान आदि के विवरण सहित सूचना लगभग 30 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर-
राज विद्या मंदिर, आगरा
सूचना
30 सितम्बर, 20XX
सभी कक्षा प्रतिनिधियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 2 अक्टूबर, 20XX को विद्यालय में स्वच्छता अभियान चलाने के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम के निर्धारण हेतु 1 अक्टूबर, 20XX को प्रात: 10.00 बजे, विद्यालय मंत्रणा कक्षा में कक्षा-प्रतिनिधियों की बैठक का आयोजन किया गया है। सभी कक्षा-प्रतिनिधि उचित समय पर पहुँचकर अपने विचार रखें जिससे अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया जा सके।
आज्ञा से
प्राचार्य
16. स्वच्छता-अभियान पर माँ-बेटी के संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
- प्रस्तुति
- विचारों की मौलिकता
- विषयानुकूल भाषा
व्याख्यात्मक हल :
पुत्री और माँ के बीच संवाद
पुत्री – माँ, नीचे देखो हमारे क्षेत्र के एम.एल.ए. आकर सफाई कर रहे हैं।
माता – हाँ मैं जानती हूँ। तुम्हारे पापा ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है। इसके तहत देशवासियों को अपने देश की स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अत: एम.एल.ए. जी यहँ आकर स्वच्छता अभियान को बल दे रहे हैं।
पुत्री – वाह मैं! यह तो बड़ी अच्छी शुरुआत है। मैं भी जाकर सफाई करती हूँ।
माता – हाँ जाओ।
17. बाजार में नए उतरे फैशन के आधार पर डिजाइनर बुटीक खोला गया है उसके प्रचार के लिए 20-25 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर-
सलोनी बुटीक
अब आपको डिजायनर कपड़ों के लिए दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं अब आपके अपने शहर में नए फैशन के डिजायन वस्त्र मिलेंगे सलोनी बुटिक पर।
डिजायनर सूट, साड़ी और भी बहुत कुछ
एक बार अवश्य पधारें।