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Sanskrit Shlok with Hindi Meanings

Sanskrit Shlok hold a significant place in the rich cultural heritage of India. These timeless verses, composed in the ancient language of Sanskrit, are a treasure trove of wisdom, philosophy, and spiritual teachings. Sanskrit shlok have been passed down through generations, encapsulating the essence of Vedic knowledge, moral values, and life lessons. They are often recited during religious ceremonies, daily prayers, and spiritual gatherings, resonating with profound meanings that guide individuals in their personal and spiritual growth.

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    The beauty of Sanskrit shlok lies not only in their rhythmic structure but also in the depth of their meanings. Each Sanskrit shlok with meaning offers insights into various aspects of life, from ethics and morality to the pursuit of knowledge and the understanding of the self. These shloks serve as a bridge between the ancient wisdom of the past and the practical needs of the present, making them relevant even in today’s fast-paced world.

    Sanskrit Shlok with Hindi Meanings

    For those who wish to delve deeper into the meanings, Sanskrit shlok with Hindi meaning provide a more accessible way to connect with these ancient texts. Understanding the meanings in one’s native language allows for a more profound connection to the teachings, enabling individuals to apply these lessons in their daily lives. Sanskrit mein shlok, when explained in Hindi, make the wisdom of the sages and scholars who composed them more relatable and easier to comprehend.

    The significance of Sanskrit shlok extends beyond religious and spiritual practices. They are also an integral part of Indian literature, art, and culture. The poetic nature of these shloks has inspired countless artists, writers, and thinkers over the centuries, contributing to the rich tapestry of Indian civilization. By studying Sanskrit shlok, one gains not only a deeper understanding of ancient Indian philosophy but also a greater appreciation for the linguistic beauty and cultural significance of Sanskrit.

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    List of Top Sanskrit Shlok with Hindi Meaning

    स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा !
    सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् !!

    हिन्दी अर्थ: चाहे कितनी भी सलाह दी जाए, किसी का स्वभाव नहीं बदलता, जैसे उबला हुआ पानी फिर से ठंडा हो जाता है.

    अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते !
    अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः !!

    हिन्दी अर्थ: बिना बुलाए जगह पर जाना, बिना पूछे बहुत बोलना, और अविश्वसनीय चीज़ों पर भरोसा करना मुर्खता का प्रतीक है.

    यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः !
    चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !!

    हिन्दी अर्थ: अच्छे व्यक्ति जो सोचते हैं, वही कहते हैं और जो कहते हैं, वही करते हैं. उनके मन, वचन, और कर्म में समानता होती है.

    षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता !
    निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता !!

    हिन्दी अर्थ: व्यक्ति की बर्बादी के छह कारण होते हैं – नींद, क्रोध, भय, तन्द्रा, आलस्य, और काम को टालने की आदत.

    द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् !
    धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम् !!

    हिन्दी अर्थ: जो अमीर हैं लेकिन दान नहीं करते, और जो गरीब हैं लेकिन परिश्रम नहीं करते, उन्हें समुद्र में डुबो देना चाहिए.

    यस्तु सञ्चरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् !
    तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि !!

    हिन्दी अर्थ: जो व्यक्ति अलग-अलग जगहों पर जाता है और विद्वानों की सेवा करता है, उसकी बुद्धि उसी तरह से बढ़ती है जैसे पानी में तेल फैलता है.

    परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः !
    अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम् !!

    हिन्दी अर्थ: कोई अपरिचित व्यक्ति यदि आपकी मदद करे तो उसे परिवार जैसा समझें, और परिवार का व्यक्ति अगर नुकसान पहुंचाए तो उसे महत्व न दें.

    येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः !
    ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति !!

    हिन्दी अर्थ: जिनके पास विद्या, तप, दान, और धर्म नहीं होता, वे लोग इस धरती पर भार के समान होते हैं.

    अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः !
    उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महताम् धनम् !!

    हिन्दी अर्थ: निम्न कोटि के लोग केवल धन की इच्छा रखते हैं, जबकि उच्च कोटि के लोग केवल सम्मान की परवाह करते हैं.

    कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति !
    उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किं प्रयोजनम् !!

    हिन्दी अर्थ: जैसे नदी पार करने के बाद लोग नाव को भूल जाते हैं, वैसे ही लोग अपना काम पूरा होने पर दूसरे को भूल जाते हैं.

    न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि !
    व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् !!

    हिन्दी अर्थ: विद्या को कोई चुरा नहीं सकता, न ही राजा इसे छीन सकता है; विद्या खर्च करने से बढ़ती है और सभी धनों में श्रेष्ठ होती है.

    शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः !
    वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा !!

    हिन्दी अर्थ: सौ में एक शूरवीर होता है, हजारों में एक विद्वान, और लाखों में एक ही दानी होता है.

    विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन !
    स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते !!

    हिन्दी अर्थ: एक राजा सिर्फ अपने राज्य में सम्मान पाता है, जबकि विद्वान हर जगह पूजनीय होता है.

    आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः !
    नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति !!

    हिन्दी अर्थ: मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है, और सबसे बड़ा मित्र परिश्रम है.

    यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् !
    एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति !!

    हिन्दी अर्थ: जिस तरह बिना पहिये के रथ नहीं चलता, वैसे ही बिना पुरुषार्थ के भाग्य नहीं बनता.

    बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः !
    श्रुतवानपि मूर्खो सौ यो धर्मविमुखो जनः !!

    हिन्दी अर्थ: कर्तव्य से विमुख व्यक्ति बलवान होते हुए भी असमर्थ, और धनवान होते हुए भी निर्धन होता है.

    जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं !
    मानोन्नतिं दिशति पापमपा करोति !!

    हिन्दी अर्थ: अच्छे मित्र बुद्धि की जटिलता को दूर करते हैं, हमारे शब्द सच होते हैं, और मान-सम्मान बढ़ता है.

    चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः !
    चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः !!

    हिन्दी अर्थ: चन्दन से अधिक शीतल चन्द्रमा है, परन्तु अच्छे मित्र चन्दन और चन्द्रमा दोनों से भी शीतल होते हैं.

    अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् !
    उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् !!

    हिन्दी अर्थ: “यह मेरा है और वह तेरा है” की सोच केवल छोटे विचार वालों की होती है, जबकि उदार व्यक्ति पूरी दुनिया को परिवार मानते हैं.

    पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं च धनम् !
    कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम् !!

    हिन्दी अर्थ: किताब में रखी विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन, जरूरत के समय काम नहीं आते.

    विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च !
    व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च !!

    हिन्दी अर्थ: विद्या प्रवास में मित्र है, घर में पत्नी मित्र है, बीमारी में औषधि मित्र है, और मृत्यु के बाद धर्म सबसे बड़ा मित्र है.

    सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् !
    वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः !!

    हिन्दी अर्थ: बिना सोचे-समझे कोई भी काम आवेश में नहीं करना चाहिए क्योंकि विवेकहीनता सबसे बड़ी विपत्ति है.

    उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः !
    न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः !!

    हिन्दी अर्थ: दुनिया में कोई भी काम सिर्फ सोचने से नहीं, बल्कि कठिन परिश्रम से पूरा होता है.

    विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् !
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् !!

    हिन्दी अर्थ: विद्या विनम्रता देती है, विनम्रता से योग्यता आती है, योग्यता से धन प्राप्त होता है, और इस धन से धर्म और सुख मिलता है.

    माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः !
    न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा !!

    हिन्दी अर्थ: जो माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं, वे उनके शत्रु समान होते हैं. विद्वानों की सभा में एक अनपढ़ व्यक्ति बगुले की तरह होता है जो हंसों के बीच शोभा नहीं देता.

    Do Check: Sanskrit Slogan with Meaning

    Success Sanskrit Shlok with Hindi Meaning

    “उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
    न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।”

    हिन्दी अर्थ: उद्यम से ही कार्य सफल होते हैं, मात्र इच्छा से नहीं। जैसे सोया हुआ शेर अपने मुख में मृग की प्रतीक्षा नहीं करता, उसे परिश्रम करना पड़ता है।

    “योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय ।
    सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥”

    हिन्दी अर्थ: श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, ‘हे धनंजय! आसक्ति को त्यागकर, सफलताओं और विफलताओं में समान भाव से कर्म कर। यही समता योग कहलाती है।’

    “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
    क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥”

    हिन्दी अर्थ: उठो, जागो, और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करो। हालांकि मार्ग कठिन और दुर्गम हो सकता है, लेकिन विद्वानों का मानना है कि इन्हीं कठिनाइयों को पार कर ही सफलता प्राप्त होती है।

    न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।
    व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

    हिन्दी अर्थ: विद्या ऐसा धन है जिसे न तो कोई चुरा सकता है, न राजाओं द्वारा छीन सकता है, न भाइयों में बाँटा जा सकता है, और न ही इसे संभालने में कोई कठिनाई होती है। बल्कि, खर्च करने से यह बढ़ता ही जाता है। विद्या सभी धनों में सबसे श्रेष्ठ है।

    Sanskrit Shlok for Kids

    विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

    हिन्दी अर्थ: विद्या हमें विनम्रता का गुण देती है, जो व्यक्ति को योग्य बनाती है। इस योग्यता से धन प्राप्त होता है, और धन के साथ धर्म और सुख आता है। सरल शब्दों में, विद्या से व्यक्ति में अच्छे गुणों का विकास होता है, जिससे वह योग्य बनता है और फिर उसे आर्थिक सफलता मिलती है, जो उसे धर्म और सुख की ओर ले जाती है। इस प्रकार, जीवन में कोई भी उपलब्धि प्राप्त करने का मूल आधार विद्या है।

    गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः।
    गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

    हिन्दी अर्थ: गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर का रूप माना गया है। गुरु ही हमें सृजन, पालन, और संहार के महत्व को समझाते हैं और हमें परम सत्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं। ऐसे गुरु को मेरा नमस्कार है। यह श्लोक गुरु के उच्च स्थान और उनकी महत्ता को दर्शाता है।

    आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।
    नास्त्युद्यम समो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

    हिन्दी अर्थ: आलस्य मनुष्य के लिए सबसे बड़ा शत्रु है, जबकि परिश्रम सबसे बड़ा मित्र है। जो व्यक्ति परिश्रम करता है, वह कभी दुखी नहीं होता। इस श्लोक का अर्थ है कि आलस्य से व्यक्ति की प्रगति रुक जाती है, जबकि परिश्रम से उसे सफलता और संतोष प्राप्त होता है। इसलिए हमें आलस्य को छोड़कर परिश्रम को अपनाना चाहिए।

    रूप यौवन सम्पन्नाः विशाल कुल सम्भवाः।
    विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धाः इव किंशुकाः।।

    हिन्दी अर्थ: यदि व्यक्ति में सुंदरता, यौवन और उच्च कुल का जन्म हो, परंतु विद्या का अभाव हो, तो उसकी शोभा नहीं होती, जैसे बिना सुगंध के फूल। इस श्लोक का संदेश है कि बाहरी सुंदरता और उच्च कुल से अधिक महत्वपूर्ण विद्या है, जो व्यक्ति को वास्तविक सम्मान और शोभा प्रदान करती है। विद्या के बिना व्यक्ति की स्थिति एक सुगंध रहित फूल के समान होती है।

    काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
    अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।

    हिन्दी अर्थ: एक आदर्श विद्यार्थी के पाँच गुण होते हैं: कौए जैसी चेष्टा (लगन), बगुले जैसा ध्यान (एकाग्रता), कुत्ते जैसी नींद (कम सोना), अल्प भोजन (संयम), और घर का त्याग (पूर्ण समर्पण)। यह श्लोक यह बताता है कि इन गुणों को अपनाकर ही विद्यार्थी अपने अध्ययन में सफल हो सकता है।

    Also Check: Sanskrit Slogans

    सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥

    हिन्दी अर्थ: हम सभी की यह कामना है कि सभी लोग सुखी, निरोगी, और शुभ घटनाओं से परिपूर्ण जीवन जीएं। किसी को भी दुख का सामना न करना पड़े। यह श्लोक सार्वभौमिक शांति, स्वास्थ्य और कल्याण की प्रार्थना करता है।

    मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं मुखे।
    हठी चैव विषादी च परोक्तं नैव मन्यते।।

    हिन्दी अर्थ: मूर्ख व्यक्ति के पाँच लक्षण होते हैं: गर्व, दुर्वचन, हठ, उदासी, और दूसरों की बात न मानना। यह श्लोक मूर्खता के लक्षणों को दर्शाता है और इनसे बचने की सलाह देता है।

    ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
    मृत्योर्मा अमृतं गमय । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

    हिन्दी अर्थ: ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि वह हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, और मृत्यु के भय से अमरता की ओर ले जाए। यह श्लोक ईश्वर से सत्य, ज्ञान, और शांति की कामना करता है।

    अन्नदानं परं दानं विद्यादानमतः परम्।
    अन्नेन क्षणिका तृप्तिः यावज्जीवञ्च विद्यया॥

    हिन्दी अर्थ: भोजन का दान सबसे बड़ा दान है, लेकिन विद्या का दान उससे भी श्रेष्ठ है। भोजन से केवल क्षणिक तृप्ति मिलती है, जबकि विद्या जीवनभर की तृप्ति देती है। यह श्लोक शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है और इसे सबसे बड़ा दान बताया गया है।

    काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
    अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।

    हिन्दी अर्थ: एक आदर्श विद्यार्थी को इच्छा, गुस्सा, स्वाद, लालच, श्रृंगार, आकर्षण, अत्यधिक भोग, और अधिक सोने से बचना चाहिए। यह श्लोक विद्यार्थी के लिए संयम, समर्पण, और अनुशासन का महत्व दर्शाता है, जिससे वह शिक्षा में सफल हो सकता है और एक अच्छा इंसान बन सकता है।

    Motivational Shlok in Sanskrit

    विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः।

    हिन्दी अर्थ: सही और गलत के बीच अंतर करने की निरंतर साधना ही मोक्ष प्राप्ति और अज्ञानता के नाश का उपाय है।

    संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।

    हिन्दी अर्थ: अगर युद्ध और शांति दोनों में समान लाभ हो, तो राजा को शांति का मार्ग चुनना चाहिए। यह श्लोक हमें परिस्थिति के अनुसार लचीलापन अपनाकर शांतिपूर्ण तरीके से लक्ष्य प्राप्त करने का संदेश देता है।

    सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्। एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥

    हिन्दी अर्थ: दुख का अनुभव तब होता है जब चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं, जबकि सुख हमारे अपने नियंत्रण में होता है। इस सत्य को समझकर हमें सुख और दुख दोनों को समान दृष्टि से देखना चाहिए।

    अप्राप्यं नाम नेहास्ति धीरस्य व्यवसायिनः।

    हिन्दी अर्थ: साहसी और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति के लिए कोई भी चीज़ अप्राप्य नहीं होती।

    सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥

    हिन्दी अर्थ: जो लोग अपने कार्य में समर्पित होते हैं, वे शेर की तरह पूरे जोश के साथ उसमें जुट जाते हैं।

    अनारम्भस्तु कार्याणां प्रथमं बुद्धिलक्षणम्। आरब्धस्यान्तगमनं द्वितीयं बुद्धिलक्षणम्॥

    हिन्दी अर्थ: किसी कार्य को आरंभ न करना बुद्धिमानी का पहला संकेत है, और शुरू किए गए कार्य को पूर्ण करना बुद्धिमानी का दूसरा संकेत है।

    FAQs on Sanskrit Shlok with Hindi Meanings

    What are Sanskrit Shloks?

    Sanskrit Shloks are verses written in the ancient Sanskrit language. These shloks often contain deep philosophical meanings and spiritual teachings. They are an essential part of Indian culture and are used in various religious and spiritual practices.

    How can I understand Sanskrit Shloks better?

    To better understand Sanskrit shloks, it is helpful to study a Sanskrit shlok with meaning. These explanations often provide context and interpret the shlok's teachings in a way that is easier to grasp. Additionally, many resources offer a Sanskrit shlok with Hindi meaning, making it accessible to those who are more comfortable with Hindi.

    Where can I find Sanskrit Shlok with Hindi Meaning?

    Sanskrit Shlok with Hindi meaning can be found in various books, online resources, and spiritual texts. These interpretations are especially useful for those who wish to understand the deeper significance of the shloks in their native language.

    Why are Sanskrit Shloks important in daily life?

    Sanskrit shloks hold timeless wisdom that can guide individuals in their daily lives. By reflecting on a Sanskrit shlok with meaning, one can gain insights into moral values, spiritual growth, and practical life lessons. The availability of Sanskrit shlok with Hindi meaning makes these teachings more relatable and easier to apply.

    How can I learn to recite Sanskrit Shloks?

    Learning to recite Sanskrit shloks requires practice and dedication. Many resources provide guidance on proper pronunciation and rhythm. Understanding a Sanskrit shlok with meaning or a Sanskrit shlok with Hindi meaning can also enhance your recitation by allowing you to connect more deeply with the words.

    Are there specific Sanskrit Shloks for different occasions?

    Yes, there are specific Sanskrit shloks for various occasions such as religious ceremonies, daily prayers, and festivals. These shloks are chosen for their relevance to the event and are often accompanied by an explanation or a Sanskrit shlok with Hindi meaning to help participants understand their significance.

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