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By Swati Singh
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Updated on 29 Aug 2025, 16:21 IST
Moral stories have been a part of Indian culture for centuries. Passed down through generations, these stories have been told by grandparents, taught in schools, and read in books. They play a vital role in teaching values like honesty, kindness, patience, and hard work. In this article, we bring you the Top 10 Moral Stories in Hindi, carefully selected to inspire and educate readers of all ages.
Stories with strong morals help both children and adults understand the difference between right and wrong. Moral stories in Hindi teach essential life lessons in a simple and engaging way. Whether it’s a story about honesty like The Honest Woodcutter or a tale of perseverance like The Thirsty Crow, these stories leave a lasting impression.
The Top 10 Moral Stories in Hindi we have selected are not only entertaining but also offer valuable lessons. They come from famous collections like Panchatantra, Hitopadesha, and folk tales that have been shared for generations. These stories highlight virtues such as truthfulness, hard work, friendship, and gratitude, helping people become better individuals.
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How Moral Stories in Hindi Help Children?
Children love listening to stories, and moral stories in Hindi make learning easy for them. They understand important values through fun and engaging narratives. Parents and teachers often use these stories to teach discipline, kindness, and respect.
For example, stories like The Lion and the Mouse teach the value of kindness, while The Fox and the Grapes explain thes concept of self-contentment. Such stories make learning fun and meaningful for kids, helping them develop good habits from a young age.
These small moral stories in Hindi would typically include a selection of popular and culturally significant tales known for their moral lessons.
Below are 10 moral stories in Hindi with pictures for kids to learn more effectively:
बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक खूंखार शेर रहता था। वह रोज़ जंगल के जानवरों को पकड़कर मार डालता और खा जाता। धीरे-धीरे जंगल के सभी जानवर डर के साये में जीने लगे। हर दिन कई जानवर शेर का शिकार बन जाते थे।
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आखिरकार, सभी जानवर इकट्ठा हुए और सोचने लगे कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए। उन्होंने शेर के पास जाकर विनम्रता से कहा –
“हे जंगल के राजा! अगर आप इसी तरह रोज़ हमें मारेंगे तो जल्द ही जंगल में कोई जानवर नहीं बचेगा। कृपया हमें एक उपाय सुझाने दें। हम रोज़ बारी-बारी से आपके पास एक जानवर भेज दिया करेंगे। इस तरह आपको शिकार की मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी और बाकी जानवर भी शांति से रह पाएंगे।”
शेर ने थोड़ी सोचकर उनकी बात मान ली। अब हर दिन बारी-बारी से एक जानवर शेर के पास जाता और शेर उसे खा लेता।
एक दिन खरगोश की बारी आई। खरगोश बहुत छोटा और कमजोर था। वह सोचने लगा – “अगर मैं आज शेर के पास सीधा चला गया तो मेरी जान तो जाएगी ही, क्यों न अपनी चतुराई से इस शेर को ही खत्म कर दूं।”
खरगोश धीरे-धीरे शेर के पास पहुँचा। शेर गुस्से में गरजने लगा –
“इतनी देर क्यों हुई? मैं भूख से तड़प रहा हूँ!”
खरगोश ने डरते-डरते कहा –
“महाराज, रास्ते में मुझे एक और बड़ा शेर मिला। उसने कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है और मुझे आपके पास नहीं आने दिया। बड़ी मुश्किल से मैं भागकर आपके पास पहुँचा हूँ।”
यह सुनकर शेर आग-बबूला हो गया। उसने खरगोश से उस शेर का ठिकाना दिखाने को कहा। खरगोश चतुराई से शेर को पास के कुएँ तक ले गया। उसने कुएँ की ओर इशारा करते हुए कहा –
“महाराज! वही शेर इस कुएँ में रहता है।”
शेर ने गुस्से से कुएँ में झाँका। उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखाई दी। वह समझा कि दूसरा शेर उस पर हमला करने के लिए तैयार है। बिना सोचे-समझे शेर गरजता हुआ कुएँ में कूद पड़ा और वहीं डूबकर मर गया।
इस तरह एक छोटे और चतुर खरगोश ने पूरे जंगल को शेर के आतंक से बचा लिया।
बहुत समय पहले, एक नदी के किनारे एक बड़ा जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक चंचल और बुद्धिमान बंदर रहता था। पेड़ मीठे-मीठे फलों से भरा रहता और बंदर आराम से वहाँ अपना जीवन बिताता। वह फल खाता, ठंडी छाँव में सोता और नदी की हवा का आनंद लेता।
उसी नदी में एक मगरमच्छ और उसकी पत्नी रहते थे। एक दिन मगरमच्छ किनारे आया और बंदर से मिला। बंदर ने दोस्ती के भाव से उसे कुछ मीठे जामुन खाने को दिए। मगरमच्छ को वे फल बहुत स्वादिष्ट लगे। उस दिन से दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। बंदर रोज़ पेड़ से फल तोड़कर मगरमच्छ को देता और मगरमच्छ घर जाकर अपनी पत्नी को भी खिलाता।
धीरे-धीरे मगरमच्छ की पत्नी को भी जामुन बहुत अच्छे लगने लगे। लेकिन जल्द ही उसके मन में लालच और एक बुरी सोच आ गई। उसने अपने पति से कहा –
“अगर ये फल इतने स्वादिष्ट हैं, तो सोचो उस बंदर का हृदय (दिल) कितना मीठा और स्वादिष्ट होगा जिसने इतने सालों तक इन्हें खाया है। मैं उसका दिल खाना चाहती हूँ!”
मगरमच्छ हैरान रह गया। उसने पत्नी को समझाने की कोशिश की कि बंदर उसका सच्चा दोस्त है, लेकिन पत्नी ज़िद पर अड़ी रही। अंततः, मगरमच्छ ने अनमने मन से योजना बनाई।
एक दिन उसने बंदर से कहा –
“दोस्त, मेरी पत्नी तुम्हें बुला रही है। वह भी तुमसे मिलना चाहती है। चलो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार ले चलता हूँ।”
बंदर भोलेपन से मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। जैसे ही वे नदी के बीच पहुँचे, मगरमच्छ ने सच बता दिया –
“मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है, इसलिए मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूँ।”
यह सुनकर बंदर घबरा तो गया, लेकिन तुरंत उसने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने कहा –
“दोस्त, तुम पहले क्यों नहीं बोले? मेरा दिल तो हमेशा मैं पेड़ पर रख देता हूँ। अगर तुम्हारी पत्नी चाहती है तो मुझे वापस पेड़ पर ले चलो, मैं दिल लेकर आ जाऊँगा।”
मगरमच्छ ने सोचा बंदर सच कह रहा है और उसे तुरंत किनारे ले आया। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुँचे, बंदर फुर्ती से छलाँग लगाकर पेड़ पर चढ़ गया और बोला –
“मूर्ख मगरमच्छ! क्या कोई अपना दिल शरीर से बाहर रखता है? तुम जैसे दोस्तों से तो अकेला रहना ही अच्छा है।”
मगरमच्छ शर्मिंदा होकर चुपचाप नदी में लौट गया।
शिक्षा (Moral of the Story): मुसीबत के समय बुद्धि और समझदारी से काम लेने पर बड़ी से बड़ी कठिनाई से बचा जा सकता है।
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक कुत्ता रहता था। वह अक्सर गलियों और घरों में घूम-घूमकर खाना तलाशता। एक दिन उसे एक घर के बाहर रोटी का बड़ा टुकड़ा मिल गया। वह खुशी-खुशी उसे अपने मुँह में दबाकर चल पड़ा।
कुत्ते ने सोचा, “अगर मैं इसे किसी शांत जगह ले जाकर खाऊँगा तो कोई मुझसे इसे छीन नहीं पाएगा।” यह सोचकर वह रोटी लेकर गाँव के बाहर नदी के पुल की ओर चला।
जब वह पुल पार कर रहा था, तो उसने नीचे बहते पानी में झाँका। उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखाई दी। पर वह समझ न पाया कि यह उसकी परछाई है। उसे लगा कि नीचे कोई और कुत्ता भी रोटी मुँह में दबाए खड़ा है।
कुत्ता लालच में सोचने लगा, “उस कुत्ते के पास भी रोटी है। अगर मैं उसकी रोटी भी ले लूँ तो मेरे पास दो रोटियाँ हो जाएँगी। मैं बहुत तृप्त होकर खा पाऊँगा।”
यह सोचकर उसने ज़ोर से भौंकने की कोशिश की ताकि सामने वाला कुत्ता डरकर रोटी छोड़ दे। जैसे ही उसने मुँह खोला, उसकी अपनी रोटी पानी में गिर गई और बह गई।
अब कुत्ते के पास कुछ भी नहीं बचा। उसने पछताते हुए सोचा, “काश! मैं लालच न करता और अपनी रोटी चुपचाप खा लेता, तो भूखा न रहना पड़ता।”
शिक्षा (Moral of the Story): लालच हमेशा नुकसान की जड़ होता है। जो हमारे पास है, उसी में संतोष करना चाहिए।
बहुत समय पहले एक बड़े जंगल में एक पेड़ पर ढेर सारे कबूतर रहते थे। उनका मुखिया बहुत बुद्धिमान और दयालु था। सभी कबूतर मिलजुलकर रहते और हमेशा साथ उड़ते। वे जंगल में जहाँ भी अनाज या दाने देखते, वहाँ जाकर भोजन करते और फिर अपने घोंसलों में लौट आते।
एक दिन सुबह-सुबह सभी कबूतर भोजन की तलाश में निकले। थोड़ी दूर जाने पर उन्हें ज़मीन पर बहुत सारे दाने बिखरे हुए दिखाई दिए। दाने देखकर सबके मुँह में पानी आ गया। सभी कबूतर लालच में उन दानों को खाने के लिए ज़मीन पर उतर गए।
लेकिन यह सब दाने किसी शिकारी ने बिखेर रखे थे। जैसे ही कबूतर दाने खाने लगे, वे एक बड़े जाल में फँस गए। अचानक उन्हें समझ आया कि यह शिकारी का जाल है। सब घबराकर इधर-उधर फड़फड़ाने लगे।
कबूतरों का मुखिया समझदार था। उसने सबको शांत किया और कहा –
“घबराओ मत। अगर हम सब मिलकर एक साथ पंख मारेंगे, तो हम इस जाल को उठाकर उड़ सकते हैं। अकेले-अकेले कोशिश करने से हम कभी भी मुक्त नहीं हो पाएँगे।”
सभी कबूतरों ने अपने मुखिया की बात मानी। उन्होंने मिलकर जोर-जोर से पंख फड़फड़ाए और देखते ही देखते पूरा जाल उठाकर आसमान में उड़ गए।
शिकारी यह देखकर दंग रह गया। उसने सोचा कि कबूतर तो जाल समेत उड़ गए, अब वह उन्हें पकड़ नहीं पाएगा।
थोड़ी दूर उड़ने के बाद कबूतर अपने दोस्त चूहे के पास पहुँचे। कबूतरों के मुखिया ने चूहे से विनती की –
“प्रिय मित्र, कृपया अपने तेज़ दाँतों से इस जाल को काटकर हमें मुक्त करो।”
चूहा तुरंत काम में लग गया। उसने जल्दी-जल्दी रस्सियों को कुतरना शुरू किया और कुछ ही देर में सभी कबूतर जाल से आज़ाद हो गए।
सभी कबूतर खुशी से फड़फड़ाते हुए बोले –
“धन्यवाद मित्र! आज तुम्हारी मदद और हमारी एकता ने हमारी जान बचा ली।”
शिक्षा (Moral of the Story): एकता में बल है। अगर हम मिलकर काम करें तो किसी भी मुसीबत को आसानी से दूर कर सकते हैं।
बहुत समय पहले की बात है। एक गर्मी के मौसम में जब चारों ओर लू चल रही थी, तालाब और नदियाँ सूख गई थीं। पक्षियों और जानवरों को पानी ढूँढने में बहुत कठिनाई हो रही थी।
एक प्यासा कौवा पूरे जंगल में उड़-उड़कर पानी की तलाश कर रहा था। वह बहुत थक गया था और उसकी चोंच सूख चुकी थी। तभी उसकी नज़र एक घर के आँगन में रखे घड़े पर पड़ी।
कौवा तुरंत घड़े के पास उड़कर पहुँचा। उसने अंदर झाँका, लेकिन उसमें बहुत कम पानी था। इतना कम पानी था कि उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही थी। कौवा निराश हो गया। उसने सोचा –
“अब तो मैं प्यास से मर जाऊँगा।”
लेकिन अगले ही पल उसने सोचा –
“नहीं, मुझे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। कोई न कोई उपाय ज़रूर होगा।”
कौवे ने चारों ओर नज़र दौड़ाई। उसे पास ही कुछ छोटे-छोटे कंकड़ दिखाई दिए। तब उसके मन में एक विचार आया। उसने एक-एक करके अपनी चोंच से कंकड़ उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए।
धीरे-धीरे कंकड़ घड़े में गिरते गए और पानी ऊपर उठने लगा। कई कंकड़ डालने के बाद पानी इतना ऊपर आ गया कि कौवा आसानी से अपनी चोंच डालकर पानी पी सके।
कौवे ने तृप्त होकर पानी पिया और उड़ गया। वह बहुत खुश था कि उसकी बुद्धि और धैर्य ने उसकी जान बचा ली।
शिक्षा (Moral of the Story): धैर्य और बुद्धि से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। कठिन समय में हिम्मत और समझदारी सबसे बड़ा हथियार है।
एक घने जंगल में एक हिरण और एक कछुआ रहते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। वे हर दिन मिलते, साथ में बातें करते और एक-दूसरे का साथ निभाते। हिरण तेज़ और फुर्तीला था, जबकि कछुआ धीमा और शांत स्वभाव का।
एक दिन हिरण कछुए से बोला –
“दोस्त! तुम्हारे साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता है। तुम धीमे ज़रूर हो, लेकिन तुम्हारा धैर्य और बुद्धि मुझे प्रेरणा देता है।”
कछुआ मुस्कुराकर बोला –
“और तुम्हारी तेज़ चाल और हिम्मत मुझे जीवन में आगे बढ़ने का पाठ सिखाती है।”
एक दिन की बात है। हिरण जंगल में भोजन की तलाश में निकला। अचानक एक शिकारी ने उसे देख लिया और अपने जाल से हिरण को पकड़ लिया। हिरण बहुत कोशिश करने लगा, लेकिन जाल से निकल नहीं सका। वह घबराकर मदद के लिए पुकारने लगा।
उसकी आवाज़ सुनकर कछुआ तुरंत वहाँ पहुँच गया। उसने हिरण को देखा और कहा –
“चिंता मत करो, मैं कुछ करता हूँ।”
कछुआ समझ गया कि अकेले वह कुछ नहीं कर पाएगा। तभी उसने अपने दोस्त कौवे को बुलाया, जो पास ही पेड़ पर बैठा था। दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई।
कौवा उड़कर शिकारी की ओर गया और उसकी आँख पर चोंच मारने लगा। शिकारी गुस्से में कौवे को भगाने लगा। उसी समय कछुए ने अपने मज़बूत दाँतों से जाल की रस्सियाँ काटना शुरू किया। धीरे-धीरे जाल ढीला होने लगा और हिरण आज़ाद हो गया।
हिरण तेज़ी से भाग निकला। जब शिकारी लौटा तो उसने देखा कि हिरण गायब है। गुस्से में उसने कछुए को देखा, जो जाल में फँस गया था। शिकारी ने सोचा –
“हिरण तो भाग गया, अब कम से कम इस कछुए को लेकर जाऊँगा।”
लेकिन तभी हिरण अपने दोस्त के लिए वापस लौटा। उसने शेर की तरह गरजकर शिकारी को डराया और अपने सींगों से उस पर हमला करने का नाटक किया। शिकारी डरकर भाग गया और कछुआ भी बच गया।
हिरण, कछुआ और कौवा खुशी-खुशी एक-दूसरे को गले लगाने लगे। उन्होंने समझ लिया कि सच्ची दोस्ती हर मुश्किल को आसान बना सकती है।
शिक्षा (Moral of the Story): सच्चे दोस्त हमेशा मुसीबत में काम आते हैं। दोस्ती का असली मूल्य मुश्किल समय में ही समझ में आता है।
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह गरीब था और बड़ी मुश्किल से अपनी ज़िंदगी चलाता था। एक दिन उसे अचानक अपनी मुर्गी के अंडों में कुछ अजीब दिखाई दिया। जब उसने ध्यान से देखा तो पाया कि मुर्गी ने सोने का अंडा दिया है।
किसान यह देखकर हैरान रह गया। वह खुशी-खुशी उस अंडे को लेकर बाज़ार गया और बेच दिया। उसे उससे अच्छी-ख़ासी रकम मिल गई। अगले दिन फिर मुर्गी ने एक और सोने का अंडा दिया। किसान और उसकी पत्नी बेहद प्रसन्न हो गए। अब उन्हें रोज़ एक-एक सोने का अंडा मिलने लगा और उनकी गरीबी दूर होने लगी।
दिन बीतते गए और किसान अमीर होता गया। लेकिन धीरे-धीरे उसके मन में लालच घर करने लगा। वह सोचने लगा –
“अगर मुझे रोज़ एक ही अंडा मिलता है तो अमीर बनने में बहुत समय लगेगा। क्यों न इस मुर्गी के पेट से सारे अंडे एक साथ निकाल लूँ? तब तो मैं रातों-रात सबसे अमीर बन जाऊँगा।”
उसने अपनी पत्नी से अपनी योजना साझा की। पहले तो पत्नी ने उसे समझाने की कोशिश की –
“इतना लालच मत करो। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन हम आराम से जीवन जी रहे हैं।”
लेकिन किसान की बुद्धि पर लालच का पर्दा पड़ चुका था।
अगले ही दिन उसने मुर्गी को मार डाला ताकि उसके पेट से सारे सोने के अंडे निकाल सके। लेकिन जब उसने पेट चीरकर देखा, तो उसमें कोई अंडा नहीं था।
किसान और उसकी पत्नी दुखी होकर रोने लगे। जिस मुर्गी की वजह से वे अमीर हो रहे थे, वही उनके लालच के कारण मर गई। अब न मुर्गी रही और न सोने के अंडे।
शिक्षा (Moral of the Story): लालच हमेशा नुकसान की जड़ होता है। जो धीरे-धीरे और मेहनत से मिलता है, उसी में संतोष करना चाहिए।
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक गरीब लेकिन ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह रोज़ जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता और बाज़ार में बेचकर अपना गुज़ारा करता। उसकी कमाई बहुत कम थी, लेकिन वह हमेशा मेहनत और ईमानदारी से जीवन जीता था।
एक दिन लकड़हारा जंगल में पेड़ काट रहा था। अचानक उसकी लोहे की कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर पास ही बहती नदी में गिर गई। नदी गहरी थी और उसका पानी बहुत तेज़ बह रहा था। लकड़हारा घबरा गया और दुखी होकर बैठ गया। उसने सोचा –
“अब मैं क्या करूँ? यह कुल्हाड़ी ही मेरी रोज़ी-रोटी का साधन थी। इसके बिना मैं अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करूँगा?”
उसकी सच्चाई और ईमानदारी देखकर नदी के देवता प्रकट हुए। उन्होंने पूछा –
“लकड़हारे, तुम इतने दुखी क्यों हो?”
लकड़हारे ने विनम्रता से कहा –
“महाराज, मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है। कृपया मेरी मदद कीजिए।”
देवता मुस्कुराए और नदी में जाकर एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर आए। उन्होंने लकड़हारे से पूछा –
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारे ने तुरंत सिर हिलाकर कहा –
“नहीं महाराज, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी।”
देवता फिर नदी में गए और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर लौटे। उन्होंने फिर पूछा –
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारे ने फिर ईमानदारी से कहा –
“नहीं महाराज, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
आखिरकार देवता नदी में गए और एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आए। लकड़हारे की आँखें चमक उठीं और वह खुशी से बोला –
“हाँ महाराज, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
उसकी ईमानदारी से देवता बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने न केवल उसकी लोहे की कुल्हाड़ी लौटाई, बल्कि उपहार स्वरूप सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उसे दे दीं।
लकड़हारा खुशी-खुशी देवता का आशीर्वाद लेकर घर लौटा और अपने जीवन में संतोष और ईमानदारी को बनाए रखा।
शिक्षा (Moral of the Story): सत्य और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। ईमानदार व्यक्ति को भगवान भी कभी निराश नहीं करते।
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक चालाक लेकिन डरपोक सियार रहता था। वह हमेशा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता था क्योंकि जंगल में शेर, बाघ और अन्य जानवर उससे ताकतवर थे। अक्सर वह डर के मारे छिपा-छिपा कर घूमता।
एक दिन वह भूख के कारण गाँव में चला गया। वहाँ कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और उसे दौड़ाने लगे। अपनी जान बचाने के लिए सियार भागते-भागते एक रंगाई करने वाले की कार्यशाला में घुस गया। वहाँ बड़ी हांडी में नीला रंग भरा था। डर के मारे वह सीधा उसी हांडी में कूद पड़ा। जब वह बाहर निकला तो उसका पूरा शरीर नीले रंग से रंग चुका था।
जंगल में वापस लौटने पर जब दूसरे जानवरों ने उसे देखा तो वे चौंक गए। किसी ने ऐसा जानवर पहले कभी नहीं देखा था। शेर, बाघ, हाथी, भालू और सभी छोटे-बड़े जानवर उस नीले सियार को देख डर गए।
सियार ने तुरंत स्थिति का फायदा उठाया। उसने ऊँची आवाज़ में कहा –
“मैं भगवान द्वारा भेजा गया एक विशेष प्राणी हूँ। अब से मैं इस जंगल का राजा बनूँगा और तुम सबको मेरी आज्ञा माननी होगी।”
सभी जानवर उसकी बातों में आ गए और उसे राजा मान लिया। अब नीला सियार बड़े गर्व और अहंकार से जीने लगा। शेर और बाघ भी उसके सामने सिर झुकाते और जंगल का हर जानवर उसकी सेवा करता।
कुछ समय तक सब ठीक चला, लेकिन एक रात चाँदनी में जंगल में सियारों का झुंड “हूँ-हूँ” की आवाज़ में हुआँकने लगा। नीला सियार भी अपनी आदत से मजबूर होकर उन्हीं के साथ हुआँकने लगा।
जैसे ही बाकी जानवरों ने उसकी असली आवाज़ सुनी, सबको समझ आ गया कि यह तो वही साधारण सियार है जिसने उन्हें धोखा दिया था।
शेर और बाघ बहुत गुस्से में आ गए। उन्होंने उस कपटी और घमंडी सियार को पकड़कर जंगल से खदेड़ दिया। इस तरह उसके झूठ और अहंकार का अंत हो गया।
शिक्षा (Moral of the Story): अहंकार और झूठ अधिक समय तक नहीं छिप सकते। जो व्यक्ति घमंड करता है, उसका पतन निश्चित होता है।
बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे मैदान में चार बैल रहते थे। वे आपस में गहरे दोस्त थे और हमेशा एक साथ रहते। जब भी वे चरने के लिए जाते, तो झुंड में चलते और हर काम मिलकर करते। उनकी यह एकता देखकर जंगल के सभी जानवर उनसे डरते थे।
उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। शेर को अक्सर भूख लगती थी और वह उन बैलों को अपना शिकार बनाना चाहता था। लेकिन हर बार जब वह उन्हें देखता, तो पाता कि चारों बैल एक-दूसरे के पास खड़े हैं। उनकी एकजुटता और ताकत देखकर शेर कभी उन पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर पाया।
शेर ने सोचा –
“अगर ये बैल हमेशा साथ रहेंगे, तो मैं इन्हें कभी नहीं खा पाऊँगा। मुझे इनकी दोस्ती और एकता तोड़नी होगी।”
उसने एक योजना बनाई। शेर धीरे-धीरे बैलों के पास जाता और कान भरने लगा। एक बैल से कहता –
“तुम्हारा साथी तुम्हारे खिलाफ बातें करता है।”
दूसरे से कहता –
“तुम्हारे दोस्त तुम्हें अकेला छोड़ना चाहते हैं।”
धीरे-धीरे बैलों के बीच अविश्वास पनपने लगा। अब वे पहले की तरह साथ नहीं रहते। हर बैल अलग-अलग चरने लगा और आपसी झगड़े भी बढ़ गए।
शेर इसी मौके की तलाश में था। एक दिन उसने देखा कि बैल अलग-अलग जगहों पर अकेले-अकेले चर रहे हैं। उसने तुरंत हमला किया और एक-एक करके सभी बैलों को मार गिराया।
अगर बैल अपनी एकता बनाए रखते, तो शेर कभी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। लेकिन आपसी मनमुटाव और अलगाव के कारण वे अपनी जान गंवा बैठे।
शिक्षा (Moral of the Story): एकता में ही शक्ति है। जब हम साथ रहते हैं तो कोई दुश्मन हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकता, लेकिन आपसी झगड़े और मतभेद हमें कमजोर बना देते हैं।
Each story in our Top 10 Moral Stories in Hindi collection has a special message. These stories are not just for children but also offer valuable lessons for adults. They help us deal with life’s challenges, motivate us to work hard, and remind us of the importance of honesty and compassion.
This collection of Top 10 Moral Stories in Hindi brings together tales that inspire and educate. Some stories highlight the importance of friendship, while others emphasize virtues like humility and gratitude. Whether you are looking for bedtime stories for kids or meaningful tales to share in a classroom, these stories are perfect for learning valuable life lessons.
Reading moral stories in Hindi can help children develop good character and strong decision-making skills. Even adults can benefit from these stories by gaining new perspectives on life’s challenges.
For Class 5 students, the best moral stories are those that are simple, engaging, and carry strong values. Some of the most popular are:
These stories are short, easy to understand, and teach lifelong lessons.
The moral of the story in Hindi is called 'कहानी का सिख' (Kahani Ka Sikh).
हिंदी में सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियाँ वे हैं जो बच्चों को जीवन के मूल्यों से परिचित कराती हैं। जैसे:
ये कहानियाँ सरल भाषा और रोचक कथानक के साथ गहरी सीख देती हैं।
The moral of the 'Do Ghade' story in Hindi is about the importance of honesty and keeping promises.
ऐसी कहानियों में “शेर और चतुर खरगोश” का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है। इसमें एक छोटा सा खरगोश अपनी चतुराई से जंगल के खूंखार शेर का अंत कर देता है। यह कहानी दिखाती है कि संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, समझदारी और बुद्धि से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
इसके अलावा “लकड़हारा और कुल्हाड़ी” की कहानी भी बेहद प्रभावशाली है, क्योंकि यह बताती है कि ईमानदारी की जीत हमेशा होती है और भगवान सच्चे इंसान का साथ कभी नहीं छोड़ते।
To write the moral of the story in Hindi, you can use the phrase 'कहानी का सिख' (Kahani Ka Sikh) followed by the lesson or message conveyed by the story.