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By Karan Singh Bisht
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Updated on 18 Sep 2025, 17:23 IST
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 2 – ‘ल्हासा की ओर’ are provided here as part of the Class 9 Hindi curriculum. This section offers detailed solutions for Chapter 2, focusing on the lesson ‘ल्हासा की ओर’, to help students in their learning and exam preparation.
At Infinity Learn, our goal is to make learning easier and more engaging for Class 9 students with comprehensive NCERT Solutions for Hindi Kshitij Chapter 2 – “Lhasa Ki Aur” by Rahul Sankrityayan. This chapter presents a fascinating travel narrative, where the renowned Hindi writer and scholar shares his adventurous journey to Lhasa, the capital of Tibet, highlighting his experiences, challenges, and observations.
With Infinity Learn free PDF download of NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij, students get clear, step-by-step answers aligned with the latest CBSE syllabus. These NCERT Solutions not only simplify the text but also help learners grasp important themes such as courage, curiosity, and the spirit of exploration.
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर- इसका मुख्य कारण था-संबंधों का महत्त्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। बिना जान-पहचान के यात्री को भटकना पड़ता था। दूसरे, तिब्बत के लोग शाम छः बजे के बाद छङ पीकर मस्त हो जाते थे। तब वे यात्रियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखते थे।
प्रश्न 2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकारे का भय बना रहता था?
उत्तर- उस समय तिब्बत में हथियार संबंधी कानून न होने से यात्रियों को हमेशा अपनी जान को खतरा बना रहता था। लोग हथियारों को लाठी-डंडे की तरह लेकर चलते थे। डाकू अपनी रक्षा के लिए यात्रियों या लोगों को पहले मार देते थे, तब देखते थे कि उनके पास कुछ है भी या नहीं। इस तरह हमेशा जान जोखिम में रहती थी।
प्रश्न 3. लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर- लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गया
JEE
NEET
Foundation JEE
Foundation NEET
CBSE
प्रश्न 4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर– लेखक जानता था कि शेकर विाहर में सुमति के यजमान रहते हैं। सुमति उनके पास जाकर बोध गया के गंडों के नाम पर किसी भी कपड़े का गंडा देकर दक्षिणा वसूला करते थे। इस काम में वे हफ़्ता लगा देते, इसलिए मना कर दिया।
प्रश्न 5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर- अपनी तिब्बत-यात्रा के दौरान लेखक को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक बार वह भूलवश रास्ता भटक गया। दूसरी बार, उसे बहुत तेज धूप के कारण परेशान होना पड़ा।
प्रश्न 6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर- इस यात्रा वृतांत से पता चलता है कि उस समय तिब्बती समाज में परदा प्रथा, छुआछूत जैसी बुराइयाँ न था। महिलाएँ अजनबी लोगों को भी चाय बनाकर दे देती थी। निम्न श्रेषी के भिखमंगों को छोड़कर कोई भी किसी के घर में आ जा सकता था। पुरुषवर्ग शाम के समय छक पीकर मदहोश रहते थे। वे गंडों पर अगाध विश्वास रखते थे। समाज में अंधविश्वास का बोलबाला था।
प्रश्न 7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकलों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर- (क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
प्रश्न 8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर- सुमति के यजमान और परिचितों के हर गाँव में मिलने से उनकी अनेक विशेषताओं का पता चलता है; जैसे-
प्रश्न 9. हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख़याल करना चाहिए था।’-उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर- यह बात सच है कि हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।
मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के इनसान होते हैं, पूज्य होते हैं। परंतु यह बात भी सत्य है कि वेशभूषा से मनुष्य की पहचान होती है। हम पर पहला प्रभाव वेशभूषा के कारण ही पड़ता है। उसी के आधार पर हम भले-बुरे की पहचान करते हैं।
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प्रश्न 10. यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/ शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- यात्रा वृत्तांत से ज्ञात होता है कि तिब्बत भारत और नेपाल से लगता हुआ देश है जहाँ कुछ समय तक आने-जाने पर प्रतिबंध था। यह स्थान समुद्र तल से काफ़ी ऊँचा है। यहाँ सत्रह-अठारह हजार फीट ऊँचे डाँड़े हैं जो खतरनाक जगहें हैं। ये डाँडे नदियों के मोड़ और पहाड़ी की चोटियों के कारण बहुत ऊँचे-नीचे हैं।
यहाँ एक ओर हज़ारों बरफ़ से ढंके श्वेत शिखर हैं तो दूसरी ओर भीटे हैं जिन पर बहुत कम बरफ़ रहती है। यहाँ विशाल मैदान भी हैं जो पहाड़ों से घिरे हैं। यहाँ के विचित्र जलवायु में सूर्य की ओर मुँह करके चलने पर माथा जलता है जबकि कंधा और पीठ बरफ़ की तरह ठंडे हो जाते हैं। यह स्थिति हमारे राज्य/शहर से पूरी तरह भिन्न है।
प्रश्न 11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर- परीक्षोपयोगी नहीं।
प्रश्न 12. यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर- क्षितिज के पाठ और विधाएँ इस प्रकार हैं-
पाठ – विधा
दो बैलों की कथा – कहानी
ल्हासा की ओर – यात्रा वृत्तांत
उपभोक्तावाद की संस्कृति – निबंध
साँवले सपनों की याद – संस्मरण
नाना साहब की पुत्री देवी – रिपोर्ताज
मैना को भस्म कर दिया गया
प्रेमचंद के फटे जूते – व्यंग्य
मेरे बचपन के दिन – संस्मरण
एक कुत्ता और एक मैना – निबंध
यह पाठ अन्य विधाओं से इसलिए अलग है क्योंकि यह यात्रा वृत्तांत’ है जिसमें लेखक द्वारा तिब्बत की यात्रा का वर्णन किया गया है। यह उसकी यात्रा का अनुभव है न कि मानव चरित्र का चित्रण जैसा कि अन्य विधाओं में होता है।
प्रश्न 13. किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए-
‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर-
प्रश्न 14. ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर- भरिया, छङ्, तिी , फरीकलिपोर चोकी डाँड़ा थुक्पा कंजुर, खोटी आदि।
प्रश्न 15. पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर– इस पाठ में प्रयुक्त विशेषण शब्द निम्नलिखित हैं- मुख्य, व्यापारिक, सैनिक, फ़ौजी, चीनी, बहुत-से, परित्यक्त, टोटीदार, सारा, दोनों, आखिरी, अच्छी, भद्र, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, श्वेत, बिल्कुल नंगे, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, थोड़ी, गरमागरम, विशाल, छोटी-सी, कितने-ही, पतली-पतली चिरी बत्तियाँ।। पाठेतर सक्रियता
प्रश्न 16. यदि आज के समय में तिब्बत की यात्रा की जाय तो यह यात्रा राहुल जी की यात्रा से पूरी तरह भिन्न होगी।
1930 में तिब्बत में आना-जाना आसान न था। ऐसा राजनैतिक कारणों से था। आज उचित पासपोर्ट के साथ आसानी से यह यात्रा की जा सकती है। अब भिखमंगों के वेश में यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। अब यात्रा के लिए विभिन्न साधनों का प्रयोग किया जा सकता है।
छात्र स्वयं लिखें। अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफ़ानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।
प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।
दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से न देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण
दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुईं।
जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवती हार नहीं मानती।
उत्तर-
प्रश्न 1. लेखक ने तिब्बत की यात्रा किस वेश में की और क्यों?
उत्तर- लेखक ने तिब्बत की यात्रा भिखमंगों के वेश में की क्योंकि उस समय तिब्बत की यात्रा पर प्रतिबंध था। इसके अलावा डाँडे जैसी खतरनाक जगहों पर डाकुओं से इसी वेश में जान बचायी जा सकती थी।
प्रश्न 2. तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक ने क्या-क्या नए अनुभव प्राप्त किए?
उत्तर- अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक ने पाया कि वहाँ समाज में छुआछूत, परदा प्रथा जैसी बुराइयाँ नहीं है। वहाँ औरतों को अधिक स्वतंत्रता मिली है। लोगों में छंड पीने का रिवाज है। बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बती अंधविश्वासी भी है।
प्रश्न 3. तिब्बत में यात्रियों के लिए कौन-सी अच्छी बातें हैं?
उत्तर- तिब्बत में यात्रियों के लिए कई अच्छी बातें हैं-
प्रश्न 4. तिब्बत में उस समय यात्रियों के लिए क्या-क्या कठिनाइयाँ थीं?
उत्तर- तिब्बत की यात्रा में उस समय अनेक कठिनाइयाँ थीं-
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प्रश्न 5. डाँड़े क्या हैं? वे सामान्य जगहों से किस तरह भिन्न हैं?
उत्तर- तिब्बत में डाँड़े सबसे खतरनाक जगह हैं। ये सत्रह-अठारह फीट ऊँचाई पर स्थित हैं। यहाँ आसपास गाँव न होने से डाकुओं का भय सदा बना रहता है।
प्रश्न 6. डाँड़े के देवता का स्थान कहाँ था? उसे किस प्रकार सजाया गया था?
उत्तर- डाँड़े के देवता का स्थान सर्वोच्च स्थान पर था। उसे पत्थरों के ढेर रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों, जानवरों की सींगों आदि से सजाया गया था।
प्रश्न 7. लेखक जिस रास्ते से यात्रा कर रहा था वहाँ के किलों को परित्यक्त क्यों कहा गया है?
उत्तर- लेखक जिस रास्ते से यात्रा कर रहा था, वहाँ किले बने थे। इन किलों में कभी चीनी सेना रहती थी। आज ये किले देखभाल के अभाव में गिरने लगे हैं। कुछ किसानों ने आकर यहाँ बसेरा बना लिया है। इसलिए इन्हें परित्यक्त कहा है।
प्रश्न 8. यात्रा करते समय लेखक और उसके साथियों ने डाकुओं से अपनी जान कैसे बचाई ?
उत्तर- तिब्बते यात्रा के दौरान लेखक ने डाँड़े जैसी खतरनाक जगहों पर भिखमंगों का वेश बनाकर यात्रा की और डाकुओं जैसे किसी को देखते ही टोपी उतारकर “कुची-कुची एक पैसा” कहकर यह बताता है कि वह भिखारी है।
प्रश्न 9. तिब्बत में डाकुओं को कानून का भय क्यों नहीं है?
उत्तर- तिब्बत में हथियारों का कानून न होने से डाकुओं को हथियार लेकर चलने में कोई कठिनाई नहीं होती। यदि वे किसी की हत्या कर देते हैं तो सुनसान इलाकों में हत्या का कोई गवाह नहीं मिलता है और वे आसानी से बच जाते हैं।
प्रश्न 10. कंजुर क्या हैं। इनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- कंजुर बुद्ध वचन अनुवाद की हस्तलिखित प्रतियाँ हैं। यह मोटे कागजों पर सुंदर अक्षरों में लिखी गई हैं। ये प्रतियाँ भारी हैं। इनका वजन 15-15 सेर तक हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. तिब्बत का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- तिब्बत का प्राकृतिक सौंदर्य सचमुच अनुपम है। यह सुंदर एवं मनोहारी घाटियों से घिरा पर्वतीय क्षेत्र हैं। एक ओर हरी भरी घाटियाँ और हरे-भरे सुंदर मैदान हैं तो दूसरी ओर ऊँचे पर्वत हैं। इनके शिखरों पर बरफ़ जमी रहती है। वहीं कुछ भीटे जैसे स्थान हैं जिन पर कम ही बरफ़ दिखाई देती है। यहाँ के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के कोने और नदियों के मोड़ इस खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं। यहाँ की ठंड जलवायु इसके सौंदर्य में वृद्धि करती हैं।
प्रश्न 2. सुमति लोगों की धार्मिक आस्था का अनुचित फायदा किस तरह उठाते थे?
उत्तर- सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति थे। वे तिब्बत में धर्मगुरु के समान माने जाते थे। सुमति बोध गया से कपड़े लाते और उन्हें पतले-पतले आकर में फाड़कर गाँठ लगाकर गंडा बना लेते थे। इन गंडों को वे अपने यजमानों में बाँटकर दक्षिणा के रूप में धन लिया करते थे। बोध गया से लाए ये कपड़े जब खत्म हो जाते तो वे लाल रंग के किसी कपड़े का गंडा बनाकर यजमानों में बाँटने लगते ताकि वे दक्षिणा पाते रहें। इस तरह वे लोगों की धार्मिक आस्था का अनुचित फायदा उठाते थे।
प्रश्न 3. डाँड़े के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण कीजिए।
उत्तर- तिब्बत में डाँड़े खतरनाक जगह है जो समुद्रतल से सत्रह-हज़ार फीट ऊँचाई पर स्थित है। यह सुंदर स्थान निर्जन एवं सुनसान होता है। यहाँ के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के कोने और नदियों के मोड के अलावा चारों ओर फैली हरियाली इसकी सुंदरता बढ़ाती हैं। एक ओर बरफ़ से ढंकी पहाड़ों की चोटियाँ हैं तो दूसरी ओर घाटियों में विशाल मैदान हैं। वहाँ भीटे जैसे पहाड़ों पर न हरियाली दिखती है और न बरफ़ यह मिला-जुला रूप प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ा देता है।
प्रश्न 4. तिब्बत में खेती की ज़मीन की क्या स्थिति है?’ल्हासा की ओर’ पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- तिब्बत में खेती की ज़मीन छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है। इन जमीनों का एक बड़ा हिस्सा जागीरों (मठों) के हाथ में है। अपनी-अपनी जागीर में से हर जागीरदार खुद भी कुछ खेती कराता है। इसके लिए उन्हें मजदूरों को मेहनताना नहीं देना पड़ता है। खेती का इंतजाम देखने के लिए जिन भिक्षुओं को भेजा जाता है जो जागीर के आदमियों के लिए राजा जैसा होता है। इन भिक्षुओं और जागीरदारों पर ही खेती कराने की जिम्मेदारी होती है।
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