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Class 6 Hindi Grammar Apathit Gadyansh

By Swati Singh

|

Updated on 4 Dec 2025, 12:54 IST

Click below to access free Class 6 Hindi Apathit Gadyansh (Unseen Passage) with solutions. Explore a wide range of reading comprehensions designed for Class 6 Hindi, complete with questions and answers. Students can download the PDFs and use the material to score higher in exams.

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Class 6 students are encouraged to practice multiple unseen passages to strengthen reading skills and improve exam performance. Each comprehension includes well-structured paragraphs followed by MCQs and descriptive questions.

Class 6 Hindi Unseen Passages अपठित गद्यांश

कक्षा 6 हिंदी के लिए यहां आपको अपठित गद्यांशों का सबसे बड़ा और सुव्यवस्थित संग्रह मिलता है, जिसे आप बिना किसी शुल्क के डाउनलोड कर सकते हैं। इस संग्रह में महत्वपूर्ण गद्यांश, प्रश्नउत्तर और अभ्यास-आधारित सामग्री शामिल है, जो नवीनतम CBSE NCERT पाठ्यक्रम, पुस्तकों और ब्लूप्रिंट के अनुसार तैयार की गई है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप कक्षा 6 के नवीनतम अपठित गद्यांश आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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ये अपठित गद्यांश विद्यार्थियों को पठन-कौशल विकसित करने, प्रश्न-पैटर्न समझने और परीक्षाओं की बेहतर तैयारी में मदद करते हैं।

Class 6 Hindi Unseen Passages अपठित गद्यांश - हमारी धरती का संरक्षण

धरती हमारे लिए केवल रहने की जगह नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। हम जिस हवा में साँस लेते हैं, जिस पानी को पीते हैं और जिन खाद्य पदार्थों को खाते हैं, वे सभी इसी धरती से प्राप्त होते हैं। लेकिन आज मनुष्य अपनी सुविधा और विकास की दौड़ में प्रकृति को सबसे अधिक नुकसान पहुँचा रहा है। शहरों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है, जंगल काटे जा रहे हैं, बड़े-बड़े उद्योग लग रहे हैं और नदियों में कूड़ा-कचरा फेंका जा रहा है। इन सबके कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, जिसका प्रभाव मनुष्य ही नहीं, जानवरों और पौधों पर भी पड़ रहा है।

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पहले गाँवों के आसपास घने जंगल होते थे, जहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे। मौसम भी संतुलित रहता था—ना अत्यधिक गर्मी, ना अत्यधिक ठंड। लेकिन जैसे-जैसे जंगल कम होने लगे, वैसे-वैसे वर्षा में अनियमितता आने लगी। कई जगह सूखा पड़ने लगा और कहीं-कहीं बाढ़ आने लगी। यह सब प्रकृति के असंतुलन के संकेत हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि हम अभी भी नहीं संभले, तो आने वाले समय में पृथ्वी पर जीवन और कठिन हो जाएगा।

धरती के संरक्षण के लिए हमें कई छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, पेड़ लगाना और पेड़ों की कटाई रोकना बहुत ज़रूरी है। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि हर व्यक्ति एक साल में कम से कम एक पेड़ भी लगाए, तो बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है। इसके अलावा, हमें पानी बचाना चाहिए और रोज़मर्रा के कामों में पानी का अनावश्यक उपयोग नहीं करना चाहिए। प्लास्टिक का प्रयोग कम करना, गंदगी को सही स्थान पर फेंकना और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देना भी धरती को बचाने के सरल उपाय हैं।

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धरती माता हमें हमेशा देती आई है—खाद्य, जल, हवा, खनिज और संसाधन। अब समय आ गया है कि हम भी उसकी रक्षा करें। यदि हम आज जागरूक बनेंगे और प्रकृति की सुरक्षा करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और सुंदर धरती पर जीवन जी सकेंगी।

प्रश्न

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CBSE

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  1. मनुष्य प्रकृति को किस प्रकार नुकसान पहुँचा रहा है?

  • जंगलों के कम होने से मौसम में क्या परिवर्तन आए?

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  • वैज्ञानिकों ने किस बात की चेतावनी दी है?

  • धरती के संरक्षण के लिए कौन-कौन से उपाय बताए गए हैं?

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  • लेखक के अनुसार हर नागरिक का कर्तव्य क्या है?

  • गद्यांश में ‘पुनर्चक्रण’ का क्या अर्थ है?

  • ‘अत्यधिक’ शब्द का विलोम लिखिए।

  • धरती को बचाना क्यों जरूरी है?

  • उत्तर

    1. मनुष्य जंगल काटकर, नदियों को प्रदूषित करके, उद्योगों से धुआँ फैलाकर और तेजी से शहरों का विस्तार करके प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा है।

  • जंगल कम होने से वर्षा अनियमित हो गई, कई जगह सूखा और कहीं-कहीं बाढ़ आने लगी।

  • वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि हम अब भी नहीं संभले तो भविष्य में पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा।

  • पेड़ लगाना, पानी बचाना, प्लास्टिक का कम उपयोग, गंदगी सही स्थान पर फेंकना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।

  • हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह पेड़ों की रक्षा करे और नए पेड़ लगाए।

  • ‘पुनर्चक्रण’ का अर्थ है—पुरानी वस्तुओं को दोबारा उपयोग योग्य रूप में बदलना।

  • ‘अत्यधिक’ का विलोम—‘कम’ या ‘थोड़ा’।

  • क्योंकि धरती ही हमारे जीवन, हवा, पानी और संसाधनों का आधार है; यदि हम इसे सुरक्षित नहीं रखेंगे, तो जीवन कठिन हो जाएगा।

  • Class 6 Hindi Unseen Passages अपठित गद्यांश - “साझेदारी और सहयोग की शक्ति”

    मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और समाज में मिल-जुलकर रहने की परंपरा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। जब लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, तभी समाज प्रगति करता है। सहयोग की भावना न सिर्फ हमारे रिश्तों को मजबूत बनाती है, बल्कि कठिन परिस्थितियों का सामना करने की ताकत भी देती है। पहले के समय में गाँवों में लोग मिलकर फसल काटते, कुएँ की सफाई करते और त्योहार मनाते थे। इससे न केवल समय की बचत होती थी, बल्कि लोगों में एकता और विश्वास भी बढ़ता था।

    आज की दुनिया में तकनीक आगे बढ़ गई है, लेकिन मनुष्य का अकेलापन भी बढ़ रहा है। लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए हैं, और कई बार आसपास क्या हो रहा है, इसका ध्यान भी नहीं रहता। ऐसी स्थिति में सहयोग की भावना को फिर से जीवित करना बहुत आवश्यक है। यदि कोई पड़ोसी बीमार पड़ जाए, तो उसकी मदद करना, किसी दोस्त को कठिन विषय समझाना, या किसी बुजुर्ग को सड़क पार कराने में सहायता करना—ये छोटे-छोटे काम समाज को बेहतर बनाते हैं। ये कार्य भले ही छोटे लगते हों, लेकिन उनका प्रभाव बड़ा होता है।

    विद्यालयों में भी सहयोग की शिक्षा दी जाती है। समूह में काम करना, प्रोजेक्ट बनाना, खेल प्रतियोगिताओं में टीम भावना दिखाना—ये सब विद्यार्थियों को मिलकर काम करने की आदत सिखाते हैं। जब विद्यार्थी समझते हैं कि अकेले की तुलना में टीम बेहतर काम कर सकती है, तभी वे वास्तविक सहयोग का अर्थ समझते हैं। टीम के प्रत्येक सदस्य का अपना योगदान होता है, जिससे परिणाम और भी बेहतर बनता है।

    सहयोग केवल काम तक सीमित नहीं है, बल्कि भावनाओं में भी झलकता है। किसी दुखी व्यक्ति को ढांढस बंधाना, किसी की समस्या सुनना, या प्रोत्साहन देना—ये भी सहयोग के रूप हैं। जब लोग एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति रखते हैं, तो समाज और भी मजबूत बनता है। इसीलिए कहा गया है कि अकेले कोई भी पूर्ण नहीं होता; वास्तविक सफलता तभी मिलती है जब लोग मिलकर आगे बढ़ते हैं। यदि हम अपने जीवन में सहयोग की शक्ति को अपनाएँ, तो हम न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने आसपास के लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

    प्रश्न

    1. पहले गाँवों में लोग मिलकर कौन-कौन से कार्य करते थे?

  • आज की दुनिया में मनुष्य का अकेलापन क्यों बढ़ रहा है?

  • सहयोग के छोटे-छोटे उदाहरण गद्यांश से लिखिए।

  • विद्यालय में सहयोग कैसे सिखाया जाता है?

  • टीम में काम करने से क्या लाभ होता है?

  • ‘सहानुभूति’ का अर्थ क्या है?

  • ‘विश्वास’ शब्द का एक समानार्थी लिखिए।

  • सहयोग को अपनाने से समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • उत्तर

    1. वे फसल काटते, कुएँ की सफाई करते और त्योहार मिलकर मनाते थे।

  • लोग अपने-अपने कामों में बहुत व्यस्त हो गए हैं, इसलिए अकेलापन बढ़ रहा है।

  • पड़ोसी की मदद करना, दोस्त को समझाना, बुजुर्गों की सहायता करना।

  • समूह कार्य, प्रोजेक्ट, और खेलों के माध्यम से विद्यालय में सहयोग सिखाया जाता है।

  • टीम में काम करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं और सभी की क्षमताएँ एक साथ जुड़ती हैं।

  • ‘सहानुभूति’ का अर्थ है—किसी के दुख-दर्द को समझना और भावनात्मक रूप से समर्थन देना।

  • ‘विश्वास’ का समानार्थी—‘आस्था’, ‘भरोसा’।

  • सहयोग से समाज मजबूत, सकारात्मक और अधिक संगठित बनता है।

  • course

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    Class 6 Hindi Grammar Apathit Gadyansh FAQs

    अपठित गद्यांश क्या होता है?

    अपठित गद्यांश वह अनुच्छेद या कहानी होती है जिसे परीक्षा से पहले छात्र नहीं पढ़ते। परीक्षा में इसे पढ़कर ही प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इससे छात्र की समझ, भाषा-ज्ञान और विश्लेषण क्षमता का मूल्यांकन होता है।

    कक्षा 6 में अपठित गद्यांश क्यों पढ़ाया जाता है?

    कक्षा 6 में इसे पढ़ाने का उद्देश्य छात्रों में:

    • पठन कौशल,

    • विचार क्षमता,

    • भाषा-समझ, और

    • तेजी से जानकारी निकालने की आदत

    विकसित करना होता है।

    क्या मैं अपठित गद्यांश का अभ्यास घर पर कर सकता/सकती हूँ?

    हाँ, नियमित अभ्यास से गति और समझ दोनों बढ़ती हैं। हर रोज़ 12 unseen passages हल करना बहुत लाभदायक है।

    क्या अपठित गद्यांश में कठिन शब्द शामिल होते हैं?

    कभी-कभी होते हैं, लेकिन कक्षा 6 के स्तर के अनुसार शब्द सरल और समझने योग्य ही रहते हैं। कठिन शब्दों के अर्थ अक्सर गद्यांश के संदर्भ से समझ में आ जाते हैं।

    क्या अपठित गद्यांश केवल परीक्षा में आता है?

    नहीं। यह अभ्यास पुस्तकों, वर्कशीट्स, टेस्ट पेपर्स और होमवर्क में भी आता है, ताकि छात्रों का निरंतर अभ्यास हो।

    क्या अपठित गद्यांश को याद करना पड़ता है?

    नहीं। यह याद करने वाली चीज नहीं है। इसे केवल समझकर पढ़ना होता है क्योंकि यह हर बार नया होता है।