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By Swati Singh
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Updated on 24 Oct 2025, 14:07 IST
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (paryavaran pradushan per nibandh): प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था।
इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।
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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है।
आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।
यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

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इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।
इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी
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बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।
आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)
प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है।
प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।
प्रदूषण है क्या? (What is Pollution?)
जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।
मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
उपसंहार
अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।
इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।
इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि "प्रदूषण" एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है।
AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -
प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:
मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।
विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।
हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -
प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।
प्रदूषण मतलब गंदगी।
हवा, पानी और ज़मीन गंदी हो जाती है।
गाड़ियों से धुआं निकलता है।
कचरा फेंकना गलत है।
जानवर और पेड़ भी परेशान होते हैं।
हमें पेड़ लगाना चाहिए।
कचरा डस्टबिन में डालो।
साफ-सफाई रखो।
प्रदूषण से बीमारियां होती हैं।
प्रदूषण से बचो, धरती बचाओ।
प्रदूषण हमारे वातावरण को गंदा करता है।
यह वायु, जल और ध्वनि से हो सकता है।
गाड़ियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण करता है।
कारखानों का गंदा पानी नदियों को प्रदूषित करता है।
ज़्यादा शोर ध्वनि प्रदूषण बनाता है।
पेड़ कटने से प्रदूषण बढ़ता है।
हमें पेड़ लगाने चाहिए।
प्लास्टिक का कम उपयोग करें।
साफ-सफाई और हरियाली रखें।
प्रदूषण रोककर हम पर्यावरण बचा सकते हैं।
प्रदूषण का अर्थ है—प्राकृतिक संसाधनों को गंदा करना।
यह मुख्य रूप से वायु, जल, ध्वनि और मृदा से संबंधित होता है।
गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण करता है।
नदियों में कचरा और कैमिकल डालना जल प्रदूषण है।
ध्वनि प्रदूषण तेज़ आवाज़ वाले उपकरणों से होता है।
पेड़ों की कटाई भी प्रदूषण बढ़ाने का एक कारण है।
प्रदूषण से मनुष्य और जानवर दोनों बीमार होते हैं।
हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
कचरा खुले में न फेंकें और रीसायकल करें।
प्रदूषण रोकना हमारा कर्तव्य है।
प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या बन चुकी है।
यह हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और जीवन को प्रभावित करता है।
वायु प्रदूषण गाड़ियों, फैक्ट्रियों और पराली जलाने से होता है।
जल प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट और प्लास्टिक है।
ध्वनि प्रदूषण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।
प्रदूषण के कारण अस्थमा, कैंसर जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
वनों की अंधाधुंध कटाई प्रदूषण को बढ़ावा देती है।
स्वच्छता, रीसाइक्लिंग और जागरूकता से प्रदूषण कम हो सकता है।
सरकार और नागरिकों को मिलकर कार्य करना होगा।
स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए प्रदूषण पर रोक आवश्यक है।
pradushan ki samasya nibandh: प्रदूषण आज की दुनिया में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह हमारी ज़िंदगी को सीधे प्रभावित करता है और हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं, और यह हमारे प्राकृतिक संसाधनों को भी नुकसान पहुँचा रहा है। प्रदूषण का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं, जिनमें औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और वाहन प्रदूषण प्रमुख हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
पर्यावरण हमें प्रकृति द्वारा मिली वह अनमोल देन है जिसमें हम जीवित रहते हैं—हवा, पानी, भूमि, पेड़-पौधे और जीव-जंतु सभी इसके अंग हैं। लेकिन आधुनिक जीवनशैली और मानव की गतिविधियों के कारण पर्यावरण आज प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया गया, तो यह सम्पूर्ण जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।
जब हमारी हवा, पानी, मिट्टी या ध्वनि में अवांछित और हानिकारक तत्व शामिल हो जाते हैं, जिससे जीवन और प्राकृतिक संतुलन पर असर पड़ता है, तो उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
1. वायु प्रदूषण: कारखानों, वाहनों, और पराली जलाने से निकलने वाला धुआं वायु को विषैला बनाता है।
2. जल प्रदूषण: नदियों और समुद्रों में कचरा, प्लास्टिक और रासायनिक अपशिष्ट मिलाने से जल प्रदूषित होता है।
3. मृदा प्रदूषण: अधिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और प्लास्टिक अपशिष्टों के कारण भूमि की उर्वरता कम होती है।
4. ध्वनि प्रदूषण: वाहनों के हॉर्न, लाउडस्पीकर और मशीनों की तेज़ आवाज़ से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
1. वृक्षारोपण: अधिक से अधिक पेड़ लगाना वायु को शुद्ध करने का सर्वोत्तम तरीका है।
2. पुनः उपयोग और रीसाइक्लिंग: प्लास्टिक और कागज़ जैसी वस्तुओं का पुनः उपयोग प्रदूषण घटाता है।
3. पर्यावरण शिक्षा: बच्चों और युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता फैलाना जरूरी है।
4. हरित ऊर्जा का उपयोग: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत जैसे विकल्पों को अपनाना चाहिए।
5. कचरा प्रबंधन: सूखे और गीले कचरे को अलग करके सही तरीके से निपटाना चाहिए।
6. वाहन साझा करना: कार पूलिंग और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग प्रदूषण कम करने में मदद करता है।
पर्यावरण प्रदूषण आज मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। यह समस्या किसी एक देश या समुदाय की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की है। हम सभी को मिलकर छोटे-छोटे प्रयासों से इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। यदि आज हमने कदम नहीं उठाया, तो कल बहुत देर हो जाएगी।
| पर्यावरण प्रदूषण | समाधान |
| वायु प्रदूषण | पेड़ लगाएं, वाहन कम चलाएं |
| जल प्रदूषण | नदियों में कचरा न फेंकें |
| मृदा प्रदूषण | जैविक खेती अपनाएं |
| ध्वनि प्रदूषण | अनावश्यक शोर से बचें |
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पर्यावरण प्रदूषण निबंध वह लेख होता है जिसमें हम वायु, जल, ध्वनि और भूमि प्रदूषण के कारणों, प्रभावों और समाधान के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं। यह निबंध छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने के उद्देश्य से लिखा जाता है।
मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के चार प्रकार होते हैं:
वायु प्रदूषण
जल प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण
भूमि प्रदूषण
इन सभी का मानव स्वास्थ्य और पृथ्वी पर जीवन के लिए गंभीर प्रभाव पड़ता है।
वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं
प्लास्टिक और कचरे का अत्यधिक उपयोग
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग
पेड़ों की कटाई
नदियों में गंदगी और औद्योगिक अपशिष्ट डालना
मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव (सांस की बीमारियाँ, त्वचा रोग आदि)
वन्यजीवों का विनाश
प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि (बाढ़, सूखा, ग्लोबल वार्मिंग)
पारिस्थितिक असंतुलन