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Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2

Download Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 10 Hindi board exam and Score More marks. Here we have given Hindi A Sample Paper for Class 10 Solved Set 2.

Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 10 Hindi A
Year of Examination – 2019.

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    Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2

    हल सहित सामान्य
    निर्देश :

    • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ |
    • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
    • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

    खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
    1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    इंद्रियनिग्रह का अर्थ है-बाह्य पदार्थों के आकर्षण को कम करना, अंतर्मुखी बनना, विषयों की ओर दौड़ने वाली इंद्रियों को रोकना, इंद्रियों का निग्रह करके हमें उन्हें अपने वश में लाना है। वे स्वेच्छाचारी न रहकर हमारे अधीन हो जाएँ और हम उनसे जो काम लेना चाहें, जहाँ लगाना चाहें वहीं वे लग जाएँ, ऐसा अभ्यास कर लेने से इंद्रियाँ हमारी उपासना में बाधक न बनकर साधक बन सकती हैं। अपनी इंद्रियों का सदुपयोग करने की कला से हम आत्मोत्थान कर सकते हैं। कानों का विषय है-सुनना। राग-द्वेष उत्पन्न करने वाली बातों को न सुनकर सत्पुरुषों की वाणी को सुनकर हमारा उद्धार सहज ही हो सकता है।

    इसी तरह एक-एक इंद्रिय के संयम से मनुष्य में कितनी अद्भुत शक्तियों का विकास होता है इसका कुछ विवरण पतंजलि के ‘योगसूत्र’ में पाया जाता है। वास्तव में इंद्रियाँ अपने आप में भली-बुरी कुछ भी नहीं हैं। उनको प्रेरणा देने वाला मन और आत्मा है। अत: हमें अपने मन को वश में करना आवश्यक है और वह वश में होगा आत्मा द्वारा क्योंकि सर्वोपरि सत्ता आत्मा ही है।
    (i) आत्मोत्थान का क्या अर्थ है?
    (ii) आत्मा को सर्वोपरि सत्ता क्यों कहा गया है?
    (iii) इंद्रियनिग्रह से क्या तात्पर्य है?
    (iv) इंद्रियाँ बाधक के स्थान पर साधक कैसे बन सकती है?
    (v) हमारे उदधार का क्या उपाय हो सकता है?
    उत्तर-
    (i) आत्मोत्थान का अर्थ है-अपना उत्थान करना।
    (ii) आत्मा का मन और इंद्रियों पर अधिकार होने के कारण इसे सर्वोपरि सत्ता कहा गया है।
    (iii) बाह्य पदार्थों के आकर्षण को कम करना, अंतर्मुखी बनना, विषयों की ओर दौड़ने वाली इंद्रियों को रोककर उन्हें अपने वश में करना ही इन्द्रिय निग्रह है।
    (iv) यदि इंद्रियों को अपने अधीन कर लिया जाये और उनसे जैसा काम लेना चाहे, जहाँ लगाना चाहें वहीं लगा पायें, ऐसा अभ्यास कर लेने से इंद्रियाँ हमारी उपासना में बाधक के स्थान पर साधक बन सकती हैं।

    (v) राग-द्वेष उत्पन्न करने वाली बातों को न सुनकर सत्पुरुषों की वाणी को सुनकर हमारा उद्धार सहज ही हो सकता है।

    2. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    वह जो भावों से परिपूर्ण झूठे भवन के आधार की कल्पना है
    आज के युग में अभावों से परिपक्व मानव की विडम्बना है।
    कण-कण भावहीन है,
    फिर भी भावों के प्रभाव का ही नाम जपना है।
    शरीर, मन, आत्मा सब पराई हैं,
    केवल धन ही अपना है।
    भ्रष्टाचार में लिप्त !
    आत्मा की आवाजों को सुनना, एक पागलपन है।
    सत्य, अहिंसा, प्रेम नहीं आज के आदर्श,
    बल्कि लोभ, लालच और कामना है।
    मन में विदेश सुख की आस है,
    और पराया देश ही अपना है।
    ओ ! धनवृत्ति को आतुर नयन,
    देशप्रेम केवल एक विडम्बना है।
    (i) आज के मानव के आदर्श कौन-कौन से है?
    (ii) कवि ने कविता में किसकी ओर संकेत किया है?
    (iii) आज के धन-लोलुप के लिए आत्मा की आवाज सुनना पागलपन क्यों है?
    (iv) वर्तमान में मानव की क्या स्थिति हो गयी है?
    (v) कवि ने किसे विडम्बना कहा है और क्यों?
    उत्तर-
    (i) लोभ, लालच, कामना ही आज के मानव के आदर्श हैं।
    (ii) कवि ने कविता में देश की वर्तमान स्थिति की ओर संकेत किया है।
    (iii) आत्मा के द्वारा सच्ची सीख दिए जाने के कारण उसकी आवाज को धन लोलुपों ने पागलपन कहा है।
    (iv) उसका कण-कण भावहीन है। शरीर, मन, आत्मा सब पराई हो गयी है। भ्रष्टाचार में डूबकर वह केवल धन को अपना मानता है।
    (v) कवि ने धनवृत्ति को आतुर मनुष्य के लिए देशप्रेम को एक विडम्बना कहा है।

    खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
    3. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
    (क) हुड़दंग तो इतना मचाया कि कॉलेज वालों को थर्ड इयर भी खोलना पड़ा। (वाक्यभेद लिखिए)
    (ख) मैं जल्दी से बाहर जाकर ओले देखने लगा। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
    (ग) नवाब साहब कुछ देर गाड़ी की खिड़की के बाहर देखकर स्थिति पर गौर करते रहे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
    उत्तर-
    (क) मिश्र वाक्य
    (ख) जब मैं जल्दी से बाहर गया तब ओले देखने लगा। st
    (ग) नवाब साहब ने कुछ देर गाड़ी की खिड़की के बाहर देखा और स्थिति पर गौर करते रहे।

    4. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए-
    (क) सभी दर्शकों ने नाटक की प्रशंसा की। (कर्मवाच्य में)
    (ख) प्रेमचंद द्वारा गोदान लिखा गया। (कर्तृवाच्य में)
    (ग) वह अब भी बैठ नहीं सकता। (भाववाच्य में)
    (घ) इन मच्छरों में रातभर कैसे सोया जाएगा? (कर्तृवाच्य में)
    उत्तर-
    (क) सभी दर्शकों के द्वारा नाटक की प्रशंसा की गई।
    (ख) प्रेमचंद ने गोदान लिखा।
    (ग) उससे अब भी बैठा नहीं जाता।
    (घ) इन मच्छरों में रातभर कैसे सोएँगे?

    5. निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के पद परिचय दीजिए-
    (क) मैंने सोचा थोड़ी जमीन खरीद ली जाए।
    (ख) मुझे शांति से काम करने दो।
    (ग) मैं कभी-कभी मन्दिर जाता हूँ।
    (घ) अनेक भिखारी वहाँ बैठे थे।
    उत्तर-
    (क) मैंने – पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ताकारक, एकवचन, पुलिंलग / स्त्रीलिंग।
    (ख) काम – जातिवाचक संज्ञा, कर्मकारक, पुल्लिंग, एकवचन।
    (ग) कभी-कभी-अव्यय, क्रिया विशेषण, कालवाचक, ‘जाता हूँ क्रिया का विशेषण।
    (घ) अनेक-विशेषण, संख्यावाचक, अनिश्चित संख्यावाची, विशेष्य ‘भिखारी’, बहुवचन, पुल्लिंग।

    6. निम्नलिखित काव्यांश पढ़कर उनमें रस पहचानकर लिखिए-
    (क) कहत, नटत, रीझत, खिझत मिलत, खिलत, लजियात। भरे मौन में करत हैं, नैननि ही सौं बात।
    (ख) एक ओर अज गरहिं लखि, एक ओर मृगराय। था विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाय।
    (ग) एक मित्र बोले “लाला तुम किस चक्की का खाते हो? इतने महँगे राशन में भी तुम तोंद बढ़ाए जाते हो।”
    (घ) वीर रस का स्थायी भाव क्या है?
    उत्तर-
    (क) श्रृंगार रस।
    (ख) भयानक रस ।
    (ग) हास्य रसः ।
    (घ) उत्साह ।

    खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक
    7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा, और अन्त में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर ‘पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे। जैसा कि कहा जा चुका है, मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोंक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची। जिसे कहते हैं वेस्ट और सुंदर थी। नेताजी सुन्दर लग रहे थे। कुछ-कुछ मासूम और कमसिन। फौजी वर्दी में। मूर्ति को देखते ही ‘दिल्ली चलो” और ‘तुम मुझे खून दो. ‘वगैरह याद आने लगते थे। इस दृष्टि से यह सफ़ल और सराहनीय प्रयास था। केवल एक चीज़ की कसर थी जो देखते ही खटकती थी। नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था। चश्मा तो था, लेकिन संगमरमर का नहीं था।
    (क) मूर्ति के निर्माण कार्य में देरी का क्या कारण था?
    (ख) नेताजी की मूर्ति बनाने जैसा गुरुतर कार्य स्थानीय कलाकार को क्यों सौंपा गया?
    (ग) मोतीलाल ने नगरपालिका के बोर्ड को क्या विश्वास दिलाया?
    उत्तर-
    (क) मूर्ति के निर्माण में देरी का कारण देश के अच्छे मूर्तिकार की जानकारी न होना तथा अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और बजट से अधिक होना था।

    (ख) नेताजी की मूर्ति बनाने जैसा गुरुतर कार्य स्थानीय कलाकार को इसलिए सौंपा गया, क्योंकि बोर्ड अपनी शासनावधि में ही मूर्ति प्रतिष्ठित करवाने की इच्छा रखता था।

    (ग) मोतीलाल ने नगरपालिका के बोर्ड को विश्वास दिलाया कि मात्र एक महीने में वह मूर्ति तैयार कर देगा।

    8. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
    (क) ‘बालगोबिन’ भगत पाठ में चित्रित ग्रामीण परिवेश को अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए उस पर बालगोबिन भगत पर संगीत के प्रभाव एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
    (ख) फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
    (ग) आज मानव ने आत्मविनाश के कौन-कौन से साधन जुटा लिए हैं?
    (घ) पिता के किस व्यवहार ने लेखिका में हीन भावना की ग्रंथि पैदा कर दी? लेखिका पर उसका क्या प्रभाव पड़ा? ‘एक कहानी यह भी’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
    उत्तर-
    (क) ग्रामीण परिवेश, बरसात में धान रोपते समय कीचड़ से लथपथ वे गाते, हलवाहे मुग्ध होते, रोपाई वालों की धान रोपती उँगलियों की गति बदल जाती, बच्चे झूमते, हलवाहों के पग उठते, ताल के साथ; नारियों के होठों में स्पंदन होता; सारा वातावरण संगीतमय जादूभरा होता।
    व्याख्यात्मक हल
    ग्रामीण परिवेश में आषाढ़ की रिमझिम बारिश के शुरू होते ही सारा जन-समुदाय खेतों की ओर उमड़ पड़ता है। प्रस्तुत पाठ में भी समूचा गाँव हल-बैल लेकर खेतों में निकल पड़ा था। उनके कानों में एक मधुर संगीत लहरी सुनाई देती है। बालगोबिन भगत बरसात में धान रोपते समय कीचड़ से लथपथ जब गाते थे तब हलवाहे मुग्ध होते तथा उनके पग ताल के साथ उठने लगते थे। रोपाई वालों की धान रोपती ऊँगलियों की गति बदल जाती थी तथा नारियों के होठों में स्पंदन होता था। इस प्रकार से सारा वातावरण संगीतमय जादूभरा हो जाता है।

    (ख) फादर कामिल बुल्के एक संन्यासी होने के बावजूद अपने आत्मीयजनों के परिवार में घुले-मिले रहते थे। वे परिवार में एक बड़े सदस्य की भाँति हर त्योहार में सम्मिलित होते थे। उनकी उपस्थिति सदैव एक बड़े बुजुर्ग का एहसास कराती थी, जो देवदारु की छाया क समान लगती थी ।

    (ग) आज मानव ने आत्मविनाश के अनेक साधन जुटा लिए हैं जिनमें तरह-तरह के हथियार, अस्त्र-शस्त्र, परमाणु बम मुख्य हैं जिनसे मानव का विनाश हो सकता है। मनुष्य वैज्ञानिक उपलब्धियों का भी दुरुपयोग कर रहा है। प्रकृति से उसका रिश्ता टूट रहा है, जो उसके विनाश का कारण बन रहा है।

    (घ) लेखिका के पिता को गोरा रंग बहुत पसंद था। लेखिका का रंग साँवला था, जबकि उसकी बड़ी बहन सुशीला बहुत गोरी थी। लेखिका के पिता उसकी तुलना बड़ी बहन से किया करते थे और हमेशा बड़ी बहन की प्रशंसा किया करते थे। पिता के इस व्यवहार ने लेखिका के मन में हीन भावना की ग्रंथि पैदा कर दी जिससे वह आज तक उबर नहीं पाई।

    9. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
    तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गल
    प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
    आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
    तभी मुख्य गायक को ढाढ़स बँधता
    कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
    कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
    (क) ‘बैठने लगता है उसका गला’ का क्या आशय है?
    (ख) मुख्य गायक को ढाढ़स कौन बँधाता है और क्यों?
    (ग) तार सप्तक क्या है?
    उत्तर-
    (क) सुर ऊपर उठाने के प्रयास में आवाज साथ नहीं देती।
    (ख)
    • संगीतकार
    • इंसानियत के कारण, मुख्य गायक का साथ देता है।
    (ग) सर्वोच्च स्वर में गायन

    व्याख्यात्मक हल
    (क) ‘बैठने लगता है उसका गला’ का आशय है-जब मुख्य गायक स्वर को ऊँचा उठाता है, तब उसका गला बैठने लगता है। ऐसा लगता है कि उसकी प्रेरणा उसका साथ छोड़ रही है, उसका उत्साह मंद पड़ जाता है।

    (ख) जब स्वर को ऊँचा उठाते हुए मुख्य गायक का गला बैठने लगता है, उत्साह मंद पड़ जाता है तब संगतकार, मुख्य गायक की गरजदार व भारी-भरकम आवाज में अपनी गूंज व कोमल स्वर से उसे ढांढस बँधाता है।

    (ग) सप्तक का अर्थ है सात का समूह। ध्वनि की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गये हैं। जब ध्वनि मध्य सप्तक के ऊपर है, तो उसे ‘तार सप्तक’ कहते हैं।

    10. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त में उत्तर लिखिए-
    (क) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’-के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।
    (ख) ‘रस वसंत बीत जाने पर फूल खिलने’ से कवि का क्या आशय है? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
    (ग) “घेर घेर घोर गगन तथा काले धुंघराले” शब्द चित्र को अपने शब्दों में स्पष्ट कर समझाइए।
    (घ) फसल नदियों के पानी का जादू, हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा तथा मिट्टी का गुण धर्म किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    (क) विनम्रता, धीरता, गंभीरता आदि पर टिप्पणी अपेक्षित व्याख्यात्मक हल परशुराम की बात सुनकर राम उन्हें शांत करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि राम का स्वभाव शांत, विनम्र, ऋषि मुनियों के प्रति अपार श्रद्धा तथा मर्यादाशीलता आदि गुणों से परिपूर्ण हैं।

    (ख) कवि के अनुसार इस पंक्ति का आशय यह है कि यदि जवानी में प्रेम न मिला तो जीवन व्यर्थ है। उचित अवसर पर खुशी न मिली तो फिर बाद में मिलने वाली खुशी व्यर्थ प्रतीत होती है।

    (ग) पानी बिना फसल न उगेगी, न बढ़ेगी, न पकेगी, हाथों का स्पर्श श्रम, एक नहीं अनेक का, बीज, खाद आदि में व्यक्तियों का योग, मिट्टी के बिना बीज का न तो अंकुर बनना न फसल तथा दाना बनना। अत: इनकी गरिमा तथा महिमा एवं योग।
    व्याख्यात्मक हल
    कवि ने बादलों को घनघोर रूप धारण करके आकाश को आच्छादित करने वाला तथा असीम बलशाली होने के अर्थ में और गरजते हुए बादलों को उत्साह के अर्थ में चित्रित किया है। बादल सुन्दर काले-धुंघराले बालों वाले हैं और वे अपने हृदय में बिजली छिपाए हुए हैं कवि ने उन्हें जीवन प्रदान करने वाले के रूप में चित्रित किया गया है।

    (घ) फसल बिना पानी के न तो उग सकती है, न बढ़ सकती है और न पक सकती है। इसमें एक नहीं अनेक व्यक्तियों का परिश्रम तथा उनके हाथों के श्रम के साथसाथ बीज-खाद व मिट्टी का भी योगदान होता है। यदि ये सब नहीं होगा तो बीज का न तो अंकुर बनेगा, न फसल और न दाना। अत: फसल इनकी गरिमा एवं महिमा के साथ-साथ मिट्टी का गुण धर्म है।

    11. ‘और देखते ही देखते नई दिल्ली की काया पलट होने लगी” नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए?
    उत्तर-
    नई दिल्ली का कायापलट करने के लिए सभी मुख्य इमारतों की मरम्मत की गई होगी तथा उन्हें राँगा जा रहा होगा। सड़कों को पानी से धोया जा रहा होगा तथा वहाँ रोशनी की व्यवस्था की गई होगी। रास्तों पर दोनों देशों के झण्डे लगाए गए होंगे। गरीबों को सड़कों के किनारे से हटाया गया होगा। दर्शनीय स्थानों की सजावट की गई होगी। रानी की सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किए गए होंगे। सरकारी और अर्द्धसरकारी भवनों की रंगाई-पुताई की गई होगी। मुख्य मार्गों के किनारे के पेड़ों की कटाई-छंटाई की गई होगी। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए होंगे। सरकारी भवनों पर दोनों देशों के ध्वज लगाए गए होंगे।

    खण्ड ‘घ’ : लेखन
    12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर 200-250 शब्दों में निबन्ध लिखिए-
    (क) मेक इन इण्डिया
    1. भूमिका, 2. उक्ति का अर्थ, 3. सोने की चिड़िया भारत की पृष्ठभूमि, 4. उद्यमी देश पराधीनता काल में बदला परिदृश्य, 5. विकास में अग्रसर होने का संकल्प, 6. उपसंहार।

    (ख) आतंकवाद एक विकराल समस्या 1. प्रस्तावना, 2. विश्व में आतंकवाद, 3. भारत में आतंकवाद, 4. आतंकवाद रोकने के उपाय, 5. उपसंहार

    (ग) प्रदूषण: कारण व निवारण 1. प्रस्तावना, 2. प्रदूषण के स्वरूप व कारण, 3. समाधान, 4. उपसंहार।
    उत्तर-
    (क) मेक इन इण्डिया
    • प्रस्तावना-उपसंहार
    • विषयवस्तु-प्रस्तुति
    • भाषा
    व्याख्यात्मक हल
    इक्कीसवीं सदी उद्योग-व्यापार की सदी है। आज ग्लोबलाइजेशन के इस युग में ‘एकला चलो रे’ की नीति कारगर नहीं हो सकती। हमें पूरी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। आज दुनिया में उसी देश का वर्चस्व रह सकता है जो उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में विकसित राष्ट्र है और औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में जो अग्रणी देशों की पंक्ति में हैं।

    ‘मेक इन इण्डिया’ का शाब्दिक अर्थ है-भारत में निर्मित वस्तु। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी चाहते हैं कि भारत औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति करे और हर छोटे-बड़े उत्पादन भारत में हों। केवल उत्पादन से ही किसी देश की साख नहीं बढ़ती अपितु यहाँ उत्पादित – | वस्तु गुणवत्ता की दृष्टि से भी श्रेष्ठ हो तभी तो पूरी दुनिया में उसकी माँग होगी। ‘भारत में निर्मित’ अर्थात् मेक इन इण्डिया का ठप्पा जहाँ लगा होगा उस पर लोग आँख मूंदकर विश्वास करें-यहीं प्रधानमंत्री चाहते हैं। यह तभी संभव है जब भारत के लोग अपनी प्रतिभा, स्किल, योग्यता का प्रयोग करते हुए चीजों का निर्माण करें। केवल धन कमाना ही हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए अपितु । उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता भी उच्चकोटि की हो जिससे देश का नाम खराब न हो अपितु सर्वत्र रोशन हो जाए। जब उत्पादित वस्तुओं की क्वालिटी बेहतर होगी तो उसकी साख (क्रेडिट) बढ़ेगी और माँग भी बढ़ेगी।

    प्राचीन भारत उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ा हुआ था। देश धन-धान्य से इतना सम्पन्न था कि विदेशों में भारत सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। तमाम विदेशी आक्रमणकारी भारत की धन-सम्पत्ति को लूटने के उद्देश्य से ही यहाँ । आए थे और धीरे-धीरे उन्होंने भारत को पराधीनता में जकड़ लिया।

    अंग्रेजी शासन काल में भारत उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में इतना पिछड़ गया कि सुई तक का आयात हमें करना पड़ता था। वस्तुत: अंग्रेज नहीं चाहते थे कि भारत उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में तरक्की करे। वे यहाँ से कच्चा माल इंग्लैण्ड भेजते थे और तैयार माल भारत में बेचते थे परिणामत: देश आर्थिक दृष्टि से खोखला होता गया।

    स्वतंत्रता के उपरान्त देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। आज भारत के तमाम युवा विदेशी संस्थानों में उच्चपदों पर कार्यरत हैं साथ ही देश कम्प्यूटर साफ्टवेयर के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में है। यही नहीं अपितु भारतीय संस्थाओं ने अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है। इसरो ने मंगलयान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुँचाया है तथा हम पी.एस.एल.बी राकेट के द्वारा तमाम देशों के उपग्रहों को अन्तरिक्ष में स्थापित करने में सफल रहे हैं।

    हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं कि देश में विदेशी पूँजी का आगमन हो, जिससे मेक इन इण्डिया प्रोग्राम गति पकड़ लें और भारत में निर्मित वस्तुएँ हर क्षेत्र में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाएँ। कठिन परिश्रम, अनुशासन से यह संभव है। आज हम हर संभव प्रयास कर

    अथवा

    (ख) आतंकवाद एक विकराल समस्या
    आंतकवाद का शाब्दिक अर्थ है-भय अथवा दहशत, अर्थात् किसी व्यक्ति, समुदाय अथवा राष्ट्र के द्वारा अपनी स्वार्थ सिद्धि अथवा निहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाने वाले हिंसात्मक, राष्ट्रद्रोही एवं गैर कानूनी गतिविधि को आतंकवाद कहते हैं। आज पूरा विश्व आतंकवाद की भयावह समस्या से जूझ रहा है। विश्व में कई संगठन आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। आतंकवाद का एक ही उदेश्य होता हैहिंसा के माध्यम से लोगों को भयभीत करना एवं विश्व की शान्ति भंग करना। सबसे बड़ा आतंकी हमला 11 सितम्बर, 2011 को अमेरिका पर हुआ जिसने सम्पूर्ण विश्व को हिलाकर रख दिखा। हजारों व्यक्ति पलक झपकते ही काल का ग्रास बन गए।
    आज रूस, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भारत एवं पाकिस्तान आदि देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। स्वतन्त्रता के बाद भारत में आतंकवाद के अनेक चेहरे उभरकर आए हैं। कभी वह क्षेत्रवाद के रूप में उभरा है तो कभी भाषावाद के रूप में। पूर्व में पंजाब में यह आग भयंकर रूप से उभरी थी। जम्मू-कश्मीर में तो इनकी गतिविधियाँ चरम पर हैं। आसाम, नागालैण्ड आदि आतंकवाद के साये में जी रहे हैं। भारत में सबसे भयंकर आतंकी हमला दिनांक 26/11/2008 को हुआ था। जब कुछ आतंकियों ने कुछ ही घण्टों में पूरी मुम्बई को आंतक से दहला दिया था।

    दिसम्बर, 2001 को भारत की संसद पर आतंकी हमला एक तरह से हमारे देश को खुली चुनौती थी। भारत में आतंकवाद की वर्तमान समस्या के लिए प्रमुख रूप से । हमारी राजनीतिक नीतियाँ ही दोषी हैं। 1947 से आज तक हमारे राजनेता देश को एक सूत्र में नहीं बाँध पाए, उन्होंने वोट के लालच में जाति, सम्प्रदाय, धर्म, भाषा, क्षेत्रीयता आदि के जो बीज बोए थे वे आज पेड़ बनकर खड़े हैं। बढ़ती हुई बेरोजगारी एवं धार्मिक उन्माद ने भी आतंकवाद को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। जम्मूकश्मीर के पाकिस्तान समर्थक आतंकवाद से आज सारा देश त्रस्त है।

    सरकार ने आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए टाडा कानून बनाया है। सीमा पर कटीले तार लगाए हैं जाँबाज सैनिक और अर्द्धसैनिक बल निरन्तर सीमा पर गश्त करते हुए उसकी रखवाली कर रहे हैं।

    आतंक की समस्या से राष्ट्रीय नेतृत्व और राष्ट्रवासियों को दृढ़ता से ही निपटना होगा। समय आ गया है कि हम आतंकवाद को खाद-पानी देने वाली शक्तियों को भी समूल नष्ट करने के विषय में ठोस कदम उठाएँ एवं आर-पार की लड़ाई लड़ें। केवल मोमबत्ती जलाकर ही इस समस्या से छुटकारा नहीं हो सकता।

    अथवा

    (ग) प्रदूषण: कारण व निवारण
    समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जीव का जीवन, उसकी शक्ति एवं उसका विकास पर्यावरण की गोद में ही विकसित होता है। प्रकृति और पर्यावरण हमें विरासत में मिले हैं।

    मूल रूप में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है। पर्यावरण प्रदूषण आज विभिन्न रूपों में सामने आ रहा है जिनमें प्रमुख हैं-भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण बाँध और अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है। बाँधों के कारण भूमि का अपक्षय होता है कलकारखाने, मोटर-स्कूटर, रेलें, बसें दिन-रात धुएँ के बादलों के रूप में वायु प्रदूषण फैलाते हैं। कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रभाव मनुष्य ही नहीं वरन् पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। पराबैंगनी किरणें कैंसर जैसे भयंकर रोगों को जन्म दे रही हैं। शुद्ध वायु अशुद्ध होती जा रही है।

    औद्योगीकरण ने जल-प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीनी, कपड़ा, जूट, रसायन आदि उद्योगों का सारा कचरा नदियों और जलाशयों के जल को निरन्तर प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषित जल पीने के कारण बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। ध्वनि प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। औद्योगीकरण एवं मशीनीकरण ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। धार्मिक संस्कार, त्योहार एवं लाउडस्पीकर आदि भी ध्वनि प्रदूषण के विस्तार में सहायक हैं। 40से 50डेसीबल की सामान्य ध्वनि (शोर) की सीमा 110 डेसीबल तक पहुँच गई है।

    भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अनावश्यक बाँधों के निर्माण, वनों की कटाई तथा रासायनिक उर्वरकों के अतिशय प्रयोगों पर रोक लगानी चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों में प्रयुक्त दूषित जल को सीधे नदियों, जलाशयों में न छोड़ा जाए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों की चिमनियों पर ऐसे फिल्टर लगाए जाएँ जो धुएँ आदि प्रदूषक तत्वों को वायुमण्डल में न मिलने दें। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण ‘बढ़ती हुई जनसंख्या’ पर शीघ्र अंकुश लगाया। जाए। यदि समय रहते हम पर्यावरण संरक्षण के लिए सजग नहीं हुए तो निश्चित ही मानव का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।

    13. अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा माँगते हुए पिताजी को पत्र लिखिए।
    उत्तर-
    • प्रारूप/औपचारिकताएँ
    • विषय-सामग्री
    • भाषा
    व्याख्यात्मक हल :

    पिताजी को पत्र

    पूज्य पिताजी,
    चरण कमल स्पर्श,
    कल मैं बाजार जा रहा था, किसी का बहुमूल्य सामान देखकर मेरा मन ललचा गया और मुझे पुलिस ने पकड़कर थाने में बन्द कर दिया। इससे पूरे परिवार का नाम बदनाम हुआ। मुझे खेद है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

    अतः आपसे क्षमा याचना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में पुनरावृत्ति नहीं होगी।
    आपका आज्ञाकारी बेटा
    अमित कुमार
    कृष्णा नगर
    नई दिल्ली
    दिनांक…….

    14. किसी राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के। लिए 25-50 शब्दों का एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
    उत्तर-
    CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Solved Set 2 14

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