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When I Set Out for Lyonnesse Summary In English
Introduction
Thomas Hardy once visited a Parish to supervise the restoration of a church. On his return people noticed two things about him. There was a new glow in his eyes. There was also a piece of paper peeping out of his coat pocket. This paper had the draft of the present poem.
Going for the Restoration
The poet says that he had gone for the res-toration of a church. When he started he hardly knew that the visit would be so invigorating. It proved to be like visiting Lyonnesse. He had left for the Parish all alone on a very cold evening. The Parish was a hundred miles away. The foliage was covered with frost. The stars guided his lonesome path.
Stay at the Parish
He had to stay at the Parish for sometime. In that short period, he found something happening to him. It was an inner change which was sudden and unexpected. The poet says that at the start of his journey no one could think of such a change in him. No prophet or wizard could have guessed the happening there.
The Inner Change
When the poet returned from the Parish, everyone noticed a glow in his eyes. They didn’t speak a word. However, they were impressed by the rare and deep radiance of his eyes.
When I Set Out for Lyonnesse Summary In Hindi
भूमिका
किसी चर्च के पुनरुद्धार के निरीक्षण के लिए एक बार थामस | हार्डी को एक पेरिश में जाना पड़ा। उसके लौटने पर लोगों ने | उसकी दो बातों पर ध्यान दिया। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। उसकी कोट-पाकिट से एक कागज भी बाहर झांक रहा था। इस कागज पर प्रस्तुत कविता का प्रारूप (मसौदा/पाण्डुलेख/खाका) था।
पुनरुद्धार के लिए जाना
कवि कहता है कि वह एक चर्च के पुनरूद्धार के लिए गया था। जब वह गया था तो उसे बिल्कुल पता न था कि यह यात्रा इतनी स्फूर्तिदायक होगी। यह तो Lyonnesse (सर ट्रीस्ट्रम का जन्मस्थान) की यात्रा के समान रहा। वह पेरिश को जब गया तो यह एक सर्द शाम थी और वह अकेला था। पेरिश सौ मील दूर था। पेड़ की पत्तियों पर बर्फ जमी थी। उसके एकाकी मार्ग पर तारे मार्गदर्शन कर रहे थे।
पेरिश में निवास
कुछ समय के लिए उसे पेरिश में रुकना पड़ा। उस छोटे | अन्तराल में उसे लगा जैसे उसके साथ कुछ घटित हो रहा है। यह एक ऐसा आंतरिक बदलाव था जो अचानक और अनपेक्षित था। कवि कहता है कि उसकी यात्रा के प्रारंभ में कोई उसके अंदर ऐसी बदल आने की कल्पना नहीं कर सकता था। कोई देवदूत या | जादूगर उस घटनाक्रम का अंदाजा नहीं लगा सकता था।
आंतरिक परिवर्तन
जब कवि पेरिश से लौट कर आया तो हर व्यक्ति ने उसकी | आँखों में एक चमक देखी। वे कुछ नहीं बोले। पर वे उसकी आँखों की दुर्लभ और अद्भुत गहरी चमक से प्रभावित थे।