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World Sanskrit Day 2024: संस्कृत, जो विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस भाषा ने न केवल भारतीय साहित्य और धर्म को गहराई से प्रभावित किया है, बल्कि यह विज्ञान, गणित, चिकित्सा, और कला के विभिन्न क्षेत्रों में भी अपना विशेष योगदान रखती है।
संस्कृत को देववाणी या देवताओं की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। विश्व संस्कृत दिवस (World Sanskrit Day) का आयोजन इस प्राचीन भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त करने और इसकी महत्ता को विश्व स्तर पर उजागर करने के लिए किया जाता है।
विश्व संस्कृत दिवस की स्थापना
संस्कृत भाषा, जो विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक है, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। इस भाषा ने न केवल भारतीय साहित्य, वेद, पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों को समृद्ध किया है, बल्कि विज्ञान, गणित, और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी अपना विशेष योगदान दिया है।
संस्कृत भाषा की महत्ता और इसके पुनरुत्थान की आवश्यकता को समझते हुए, भारत सरकार ने संस्कृत दिवस मनाने का निर्णय लिया। विश्व संस्कृत दिवस (World Sanskrit Day) की स्थापना का उद्देश्य इस प्राचीन भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसे संरक्षित करना, और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रासंगिक बनाना है।
विश्व संस्कृत दिवस को हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के साथ-साथ आता है। इस दिन का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह दिन ज्ञान और शिक्षा के देवता भगवान वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।
इस विशेष दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा के अध्ययन और शिक्षण को प्रोत्साहित करना, संस्कृत साहित्य के प्रति लोगों में रुचि बढ़ाना और इस भाषा को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में पुनः स्थापित करना है। संस्कृत भाषा के संरक्षण और विकास के लिए इस दिन विशेष कार्यक्रमों, संगोष्ठियों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
विश्व संस्कृत दिवस की स्थापना के माध्यम से, सरकार और समाज का यह प्रयास है कि इस प्राचीन और समृद्ध भाषा को वैश्विक मंच पर उचित स्थान मिल सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे जीवित रखा जा सके।
विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास
संस्कृत, जिसे ‘देववाणी’ या देवताओं की भाषा कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और सभ्यता की जड़ों से गहराई से जुड़ी हुई है। यह दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक है, जिसने भारतीय साहित्य, धर्म, दर्शन, विज्ञान, गणित, चिकित्सा, और कला के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
विश्व संस्कृत दिवस का उद्देश्य इस प्राचीन भाषा की महत्ता को उजागर करना और इसे पुनर्जीवित करना है। यह दिवस प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर रक्षाबंधन के दिन के साथ मेल खाता है। इस दिन को चुनने के पीछे का उद्देश्य संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है।
इतिहास और महत्व
संस्कृत भाषा का इतिहास हजारों साल पुराना है, और इसे वैदिक काल में पहली बार व्यवस्थित रूप से प्रयोग किया गया था। वेद, उपनिषद, पुराण, और महाभारत जैसे महान ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गए थे। यह भाषा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों की भाषा रही है, बल्कि विज्ञान, गणित, और चिकित्सा के क्षेत्रों में भी इसका योगदान अद्वितीय है।
विश्व संस्कृत दिवस के आयोजन की शुरुआत भारत सरकार और विभिन्न संस्कृत संस्थानों द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य इस भाषा को पुनर्जीवित करना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करना था। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम, संगोष्ठी, और शैक्षिक आयोजन होते हैं, जिनका उद्देश्य संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ावा देना और इसे सीखने के लिए प्रेरित करना है।
आज के समय में, जब वैश्वीकरण और तकनीकी विकास के युग में भाषाओं का महत्व और भी बढ़ गया है, संस्कृत भाषा को संरक्षित करना और उसे नई पीढ़ियों तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। विश्व संस्कृत दिवस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाता है और हमें इसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है।