BlogApathit Gadyansh for Class 6

Apathit Gadyansh for Class 6

CBSE Class 6 Apathit Gadyansh (Unseen Passage)

अपठित गद्यांश कक्षा 6 हिंदी: अपठित गद्यांश का अर्थ है ऐसा पाठ जिसे विद्यार्थी ने पहले कभी नहीं पढ़ा हो। CBSE की कक्षा 6 की परीक्षा में अपठित गद्यांश का एक खंड शामिल होता है, जिसमें विद्यार्थियों को एक नए पाठ को पढ़ना और समझना होता है। इसके बाद उस पाठ से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं, जिनके जरिए उनकी समझ, विश्लेषण क्षमता और व्याख्या कौशल का मूल्यांकन किया जाता है।

    Fill Out the Form for Expert Academic Guidance!



    +91

    Verify OTP Code (required)


    I agree to the terms and conditions and privacy policy.

    अपठित गद्यांश का महत्व:

    1. भाषा कौशल का विकास: अपठित गद्यांश के माध्यम से विद्यार्थियों की भाषा समझने और उसे प्रयोग में लाने की क्षमता में सुधार होता है।
    2. व्याख्या और विश्लेषण की क्षमता: इससे विद्यार्थियों में गद्य को गहराई से समझने और विभिन्न विचारों को विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है।
    3. सूचना को प्रभावी ढंग से संकलित करना: विद्यार्थी सीखते हैं कि कैसे महत्वपूर्ण जानकारी को छांटकर और संकलित करके प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
    4. समय प्रबंधन: निर्धारित समय में पाठ को पढ़ना और प्रश्नों का उत्तर देना विद्यार्थियों को समय प्रबंधन का कौशल सिखाता है।
    5. आत्मविश्वास में वृद्धि: नए और अज्ञात पाठों को पढ़ने और समझने की क्षमता विकसित करने से विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ता है।

    Apathit Gadyansh in Hindi for Class 6 with Questions and Answers

    अपठित गद्यांश कक्षा 6 हिंदी MCQ with Answers

    यह सच है कि समय अत्यंत मूल्यवान है। बीत जाने पर, इसे लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके भी वापस नहीं लाया जा सकता। जो इस संसार में समय का सम्मान करता है, वह सुखी जीवन जीता है। वहीं, जो समय बर्बाद करता है, वह स्वयं बर्बाद हो जाता है।

    समय का महत्व उस खिलाड़ी से पूछिए जो सेकंड के हज़ारवें हिस्से से पदक जीतने से चूक गया हो। स्टेशन पर खड़ी ट्रेन एक मिनट की देरी से छूट जाती है। आजकल कई विद्यालयों में देरी से आने पर छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता।

    छात्रों को समय का मूल्य विशेष रूप से समझना चाहिए क्योंकि इसी जीवन का सदुपयोग करके वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

    (क) किसने सुख के साथ जीवन गुजारा

    (i) जिसने समय की कद्र की
    (ii) जिसने मीठी बाणी बोली
    (iii) जिसने समय को बर्बाद किया
    (iv) जिसने दुनिया में खूब धन कमाया

    उत्तर

    (i) जिसने समय की कद्र की

    (ख) छात्रों को समय की कद्र करने से क्या लाभ होता है?

    (i) वे स्वस्थ हो जाते हैं।
    (ii) वे मेधावी बन जाते हैं।
    (iii) वे सभी विषयों में 100% अंक प्राप्त करते हैं।
    (iv) वे लोकप्रिय हो जाते हैं।

    उत्तर

    (iii) वे सभी विषयों में 100% अंक प्राप्त करते हैं।

    (ग) सेकंड के सौवें हिस्से से पदक कौन चूक जाता है

    (i) खिलाड़ी जिसने मामूली अंतर से पदक गंवा दिया हो
    (ii) वह यात्री जिसकी ट्रेन छूट गई
    (iii) उपर्युक्त दोनों लोग
    (iv) इनमें कोई नहीं

    उत्तर

    (iii) उपर्युक्त दोनों लोग

    (घ) उपरोक्त गद्यांश में कीमती किसे माना गया है?

    (i) जीवन को
    (ii) अनुशासन को
    (iii) समय को
    (iv) खेल को

    उत्तर

    (iii) समय को


    class 6 cbse foundation course


    The Class 6 CBSE Foundation Course is designed to be the most competitive educational program in India, providing an exceptional online learning experience. Our focused batch encompasses all crucial subjects, ensuring comprehensive preparation for students.

    निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

    (क) गद्यांश में किसे और क्यों मूल्यवाने बताया गया है?
    (ख) समय को महत्त्व देने वालों का जीवन कैसा होगा?
    (ग) कौन व्यक्ति स्वयं बर्बाद हो जाता है?
    (घ) समय का हर पल कीमती होता है। इस कथन के लिए गद्यांश में कौन-सा उदाहरण पेश किया गया है?
    (ङ) इस गद्यांश से हमें क्या प्ररेणा मिलती है?

    उत्तर:

    क) गद्यांश में “समय” को मूल्यवान बताया गया है।

    कारण:

    • गद्यांश में बार-बार समय की कद्र करने और बर्बाद करने पर होने वाले परिणामों का उल्लेख है।
    • समय को बीत जाने पर वापस नहीं लाया जा सकता, इसलिए इसका सदुपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    • जो लोग समय का सदुपयोग करते हैं, वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और सुखी जीवन जीते हैं।
    • जो लोग समय बर्बाद करते हैं, वे असफलता प्राप्त करते हैं और दुखी जीवन जीते हैं।

    ख) समय को महत्त्व देने वालों का जीवन सुखी और सफल होगा।

    कारण:

    • समय का सदुपयोग करने से वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
    • वे अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
    • वे अनुशासित जीवन जी सकते हैं।
    • वे जीवन में खुश और संतुष्ट रह सकते हैं।

    ग) जो व्यक्ति समय बर्बाद करता है, वह स्वयं बर्बाद हो जाता है।

    कारण:

    • समय बर्बाद करने से वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
    • वे अपनी पढ़ाई और करियर में पिछड़ जाते हैं।
    • वे अनुशासनहीन जीवन जीते हैं।
    • वे जीवन में दुखी और असंतुष्ट रहते हैं।

    घ) समय का हर पल कीमती होता है। इस कथन के लिए गद्यांश में “खिलाड़ी” का उदाहरण पेश किया गया है।

    • गद्यांश में बताया गया है कि एक खिलाड़ी सेकंड के हज़ारवें हिस्से में हार जाता है क्योंकि वह समय का सदुपयोग नहीं करता है।
    • यह दर्शाता है कि समय का हर पल कितना महत्वपूर्ण होता है और इसका सदुपयोग करना चाहिए।

    ङ) इस गद्यांश से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए।

    • हमें समय बर्बाद करने से बचना चाहिए और इसका सदुपयोग करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
    • हमें अनुशासित जीवन जीना चाहिए और समय का सदुपयोग करके एक बेहतर जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
    The Class 6 Foundation Course is designed to be the most competitive educational program in India. Offering the best online class experience, our targeted batch covers all essential subjects.

    अपठित गद्यांश कक्षा 6 हिंदी – भारत की संस्कृति

    परिचय:

    भारत की संस्कृति सदैव से ही त्याग और तपस्या की महान परंपरा के लिए विख्यात रही है। यह भूमि ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है, जिन्होंने अपने जीवन को संयम और कठोर परिश्रम से समृद्ध किया।

    त्याग और तपस्या का प्रभाव:

    इन ऋषि-मुनियों के त्याग और तपस्या से प्रेरित होकर, लोगों ने भी उनके आदर्शों का अनुसरण करना शुरू किया। धीरे-धीरे, इन आदर्शों ने हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गए। भोग-विलास की जगह त्याग को महत्व दिया जाने लगा, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में सादगी और सच्चाई का समावेश हुआ।

    आधुनिक दुनिया का विपरीत दृष्टिकोण:

    आज, जब पूरी दुनिया “खाओ, पियो और मौज करो” की नीति पर अमल कर रही है, जिसके कारण प्रदूषण और विनाश बढ़ रहा है, वहीं भारत त्याग, बचत और कल्याण के मार्ग पर अग्रसर है।

    महान नेताओं का योगदान:

    इसी त्याग और तपस्या की भावना ने महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं को जन्म दिया। उन्होंने अहिंसा और त्याग के बल पर अंग्रेजों को भारत से बाहर निकाल दिया और देश को स्वतंत्रता दिलाई।

    निष्कर्ष:

    भारत की संस्कृति त्याग और तपस्या की अमूल्य धरोहर है। यह हमें सिखाती है कि भौतिक सुखों की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य नहीं है, बल्कि त्याग और कर्म के माध्यम से समाज और राष्ट्र के कल्याण में योगदान देना ही जीवन का सच्चा उद्देश्य है।

    निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

    (क) त्याग से आप क्या समझते हैं?

    (ख) भारत में त्याग को महत्व क्यों दिया जाने लगा?

    (ग) संसार के अन्य देश किस नीति पर चल रहे हैं?

    (घ) भोग की नीति क्या कहती है?

    (ड़) अंग्रेजों को भारत से किसने भगाया?

    उत्तर:

    क) त्याग से आप क्या समझते हैं?

    त्याग का अर्थ है अपनी इच्छाओं, भोग-विलास और स्वार्थों का त्याग करना। यह दूसरों के कल्याण और समाज की सेवा के लिए अपने सुखों का त्याग करने की भावना है। त्याग में दान, परोपकार, और दूसरों की सहायता करना शामिल है।

    ख) भारत में त्याग को महत्व क्यों दिया जाने लगा?

    भारत में ऋषि-मुनियों ने अपने जीवन को त्याग और तपस्या से समृद्ध किया। उनके आदर्शों से प्रेरित होकर, लोगों ने भी उनका अनुसरण करना शुरू किया। धीरे-धीरे, इन आदर्शों ने हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गए। भोग-विलास की जगह त्याग को महत्व दिया जाने लगा, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में सादगी और सच्चाई का समावेश हुआ।

    ग) संसार के अन्य देश किस नीति पर चल रहे हैं?

    आज, जब पूरी दुनिया “खाओ, पियो और मौज करो” की नीति पर अमल कर रही है, जिसके कारण प्रदूषण और विनाश बढ़ रहा है। यह नीति भौतिक सुखों और भोग-विलास को जीवन का मुख्य लक्ष्य मानती है।

    घ) भोग की नीति क्या कहती है?

    भोग की नीति कहती है कि जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति करना है। यह नीति आत्म-सुख और आत्म-तृप्ति पर बल देती है।

    ड़) अंग्रेजों को भारत से किसने भगाया?

    महात्मा गांधी ने अहिंसा और त्याग के बल पर अंग्रेजों को भारत से बाहर निकाल दिया और देश को स्वतंत्रता दिलाई। उन्होंने “सत्याग्रह” और “असहयोग” जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिससे अंग्रेजों की नीतियां विफल हो गईं और उन्हें भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

    FAQs on Apathit Gadyansh for Class 6

    What is the difference between Padyansh and kavyansh?

    Padyansh refers to poetry or verse, while kavyansh refers to the broader category of poetic literature. Padyansh is a specific type of kavyansh, characterized by its structured meter and rhyme scheme.

    What is the difference between Apathit Gadyansh and Padyansh?

    Apathit Gadyansh is an unseen prose passage, while Padyansh is a poem or verse. Apathit Gadyansh tests a student's reading comprehension skills, whereas Padyansh focuses on understanding poetic devices and structures.

    What is the difference between gadyansh and padyansh?

    Gadyansh refers to prose, while padyansh refers to poetry or verse. Gadyansh is written in a continuous, unrhymed style, while padyansh follows a structured meter and rhyme scheme.

    What is the English meaning of apathit gadyansh?

    The term apathit gadyansh translates to unseen prose passage

    Chat on WhatsApp Call Infinity Learn