CBSE Class 6 Hindi Grammar मुहावरे और लोकोक्तियाँ
‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है-अभ्यास। हिंदी भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए हम मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। मुहावरा ऐसा शब्द-समूह या वाक्यांश होता है जो अपने शाब्दिक अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है। विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने वाले ये वाक्यांश ही मुहावरे कहलाते हैं। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। इनके विशेष अर्थ कभी नहीं बदलते। ये सदैव एक-से रहते हैं। ये लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं। इस प्रकार जो वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ को प्रकट करता है, वह मुहावरा कहलाता है।
नीचे कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे दिए जा रहे हैं –
- अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) – माँ ने अंकित से पढ़ने के लिए कहा तो वह अगर-मगर करने लगा।
- आँखें चुराना (अपने को छिपाना) – गलत काम करके आँखें चुराने से कुछ नहीं होगा।
- आँखें खुलना (होश आना) – जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए तो उनकी आँखें खुलीं।
- आँखों का तारा (अतिप्रिय) – हर बेटा अपनी माँ की आँखों का तारा होता है।
- आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) – ठग यात्री की आँखों में धूल झोंककर उसका सामान लेकर भाग गया।
- आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – अध्यापक के कक्षा से चले जाने पर बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
- ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) – अरे आयुष! कहाँ रहते हो? तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
- कान भरना (चुगली करना) – विशाल को कान भरने की बुरी आदत है।
- खाक छाननी (दर-दर भटकना) – नौकरी की तलाश में बेचारा मोहन खाक छान रहा है।
- कमर कसना (चुनौती के लिए तैयार होना) – भारतीय सैनिक हर संकट के लिए कमर कसे रहते हैं।
- खून-पसीना एक करना (कठोर परिश्रम करना) – खून-पसीना करके ही हम, अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
- खून का प्यासा (जान लेने पर उतारू होना) – जायदाद बटवारे की समस्या ने दोनों भाइयों को एक-दूसरे के खून का प्यासा बना दिया।
- ईंट-से ईंट बजाना (विनाश करना) – पांडवों ने कौरव-सेना की ईंट-से ईंट बजा दी।
- ईमान बेचना (बेईमान होना) – आजकल सीधे-सादे आदमी को असानी से उल्लू बनाया जा सकता है।
- होश उड़ जाना (घबरा जाना)-अपने सामने जीते – जागते शेर को देखकर मेरे होश उड़ गए।
- गड़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातें दुहराना) – गड़े मुर्दे उखाड़कर रोने से कोई फायदा नहीं होता।
- गाल बजाना (बहुत अधिक बोलना) – नेहा की बातों पर ध्यान मत दो, उसे तो गाल बजाने का शौक है।
- गागर में सागर भरना (थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना) – बिहारी लाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
- गुदड़ी के लाल (देखने में सामान्य, भीतर से गुणी व्यक्ति) – लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
- घी के दिए जलाना (खुशियाँ मनाना) – भारत द्वारा क्रिकेट की श्रृंखला जीतने का समाचार सुनकर क्रिकेट प्रेमियों ने घी के दिए जलाए।
- घोड़े बेचकर सोना (निश्चित रहना) – परीक्षा देने के बाद आयुष घोड़े बेचकर सो रहा है।
- चिकना घड़ा (कुछ असर न होना) – नेहा पर किसी भी बात का कोई असर नहीं होता, वह तो चिकना घड़ा है।
- हवा से बातें करना (बहुत तेज दौड़ना) – बाबा भारती का घोड़ा हवा से बातें करता था।
- धुन का पक्का (निश्चय पर स्थिर रहने वाला) – मनोज अपनी धुन का पक्का है, इस बार अवश्य सफलता प्राप्त करेगा।
- छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – भारतीय क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीकी टीम के छक्के छुड़ा दिए।
- चल बसना (मर जाना) – आयुष के दादा जी चल बसे।
- नाक में दम करना (परेशान करना) – गाँव के इन बच्चों ने नाक में दम कर रखा है।
- दबे पाँव (बहुत धीमे) – चोर दबे पाँव घर में घुसा और चोरी करके चला गया।
- टेढ़ी खीर (कठिन कार्य) – आई.आई.टी. परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।
- पहाड़ टूट पड़ना (बड़ा संकट आना) – व्यापार में बड़े नुकसान से तो मानो अमर पर पहाड़ टूट पड़ा।
- खून खौलना (बहुत क्रोध आना) – उसके अपशब्द सुनकर मेरा खून खौल गया।
- पीठ ठोकना (उत्साहित करना) – मेरी सफलता पर गुरु जी ने मेरी पीठ ठोकी।
- पत्थर की लकीर (पक्की बात) – उसने जो कह दिया उसे पत्थर की लकीर समझो।
- नौ दो ग्यारह हो जाना (भाग जाना) – पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
- फूला न समाना (अत्यंत प्रसन्न होना) – कक्षा में प्रथम आने पर नेहा फूली न समाई।
- बाजी मारना (आगे निकलना) – इस बार कक्षा में श्रेया अंशु से बाजी मार ले गई।
- मुह में पानी भर आना (जी ललचाना) – रसगुल्ले देखते ही उर्वशी के मुँह में पानी भर आया।
- रंग में भंग पड़ना (मजा किरकिरा होना) – वर्षा के आते ही पार्टी के रंग में भंग पड़ गया।
- रंगा-सियार (ढोंगी होना, धूर्त होना) – अरे, उसकी बात मान बैठना, वह तो रंगा सियार है।
- भैंस के आगे बीन बजाना (मूर्ख के सामने ज्ञान की बातें करना) – ओजस्व को समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है।
- छाती पर साँप लोटना (दूसरे की तरक्की देखकर जलना) – पड़ोसिन के पास हीरे के जेवरात देखकर नंदिता की छाती पर साँप लोटने लगे।
- मुट्ठी गरम करना (रिश्वत खिलाना) – आजकल मुट्ठी गरम किए बिना कोई काम नहीं बनता।
- लाल-पीला होना (क्रुद्ध होना) – थोड़ा-सा नुकसान होते ही राजू लाल-पीला होने लगता है।
- आँख मारना (इशारा करना) – उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।
- आँख चुराना (सामना करने से बचना) – राजा अपने भाई ओजस्व को देखते ही अपनी आँख चुरा लेता है।
- घात लगानी (मौका ताकना) – बैंक में डकैती करने के लिए डकैत घात लगाए पहले से बैठा था।
- राई का पहाड़ बनाना (जरा सी बात को बहुत बढ़ाना) – उसकी बात का विश्वास मत करो। वह तो राई को पर्वत बना देता है।
- हवा लगना (संगत का असर पड़ना) – दिल्ली में आते-जाते रहने से उसे शहर की कुछ ज़्यादा हवा लग गई है।
- हाथ बँटाना (सहायता करना) – बच्चों को माता-पिता के काम में अवश्य हाथ बँटाना चाहिए।
लोकोक्तियाँ
लोकोक्ति का अर्थ होता है-लोक की उक्ति अर्थात लोगों द्वारा कही गई बात। इसमें लौकिक जीवन का सत्य एवं अनुभव समाया होता है, ये स्वयं में एक पूर्ण वाक्य होती है; जैसे-अधजल गगरी छलकत जाए। इसका अर्थ है-कम जानकार द्वारा अपने गुणों का बखान करना।
लोकोक्ति के कुछ प्रचलित उदाहरण
- अंधों में काना राजा (मूर्खा में कम पढ़ा लिखा व्यक्ति) – हमारे गाँव में एक कंपाउंडरे ही लोगों का इलाज करता है, सुना नहीं है-अंधों में काना राजा।
- अंधा चाहे दो आँखें (जिसके पास जो चीज नहीं है, वह उसे मिल जाना) – आयुष को एक घर की चाह थी, वह उसे मिल गया ठीक ही तो है–अंधा चाहे दो आँखें।
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत (काम खराब हो जाने के बाद पछताना बेकार है) – पूरे वर्ष तो पढ़े नहीं अब परीक्षा में फेल हो गए, तो आँसू बहा रहे हो। बेटा, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।।
- आटे के साथ घुन भी पिस जाता है (अपराधी के साथ निर्दोष भी दंड भुगतता है) – क्षेत्र में दंगा तो गुंडों ने मचाया, पुलिस दुकानदारों को भी पकड़कर ले गई। इसे कहते हैं, आटे के साथ घुन भी पिस जाता है।
- आगे नाथ न पीछे पगहा (जिम्मेदारी का न होना) – पिता के देहांत के बाद रोहन बिलकुल स्वतंत्र हो गया है। आगे नाथ न पीछे पगहा।।
- धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का (कहीं का न रहना) – बार-बार दल-बदल करने वाले नेता की स्थिति धोबी के कुत्ते ‘ जैसी हो जाती है, वह ने घर का न घाट का रह जाता है।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया (अधिक परिश्रम कम लाभ) – सारा दिन परिश्रम के बाद भी कुछ नहीं मिला।
- आ बैल मुझे मार (जान बूझकर मुसीबत मोल लेना) – बेटे के जन्मदिन पर पहले सबको बुला लिया अब खर्चे का रोना रोता है। सच है आ बैल मुझे मार।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा (काम तो आता न हो, दूसरों में दोष निकालना) – काम करना तो आता नहीं, कहते हो औजार खराब है। इसी को कहते हैं नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
- भीगी बिल्ली बनना (दबकर रहना) – लाला की नौकरी करना है, तो भीगी बिल्ली बनकर रहना पड़ेगा।
- दूध का दूध पानी का पानी (उचित न्याय करना) – बीरबल ने गरीब किसान को न्याय दिलाकर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया।
- उलटा चोर कोतवाल को डाँटे (अपराधी निरपराध पर दोष लगाए) – एक तो राजा ने ओजस्व की पुस्तक फाड़ दी, ऊपर से उसे ही दोष दे रहा है। इसे कहते हैं, उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।
- जैसी करनी वैसी भरनी (कार्य के हिसाब से फल मिलना) – नेहा ने पूरा साल खेल कूद में बिता दिया, इसलिए परीक्षा में उसके अच्छे अंक नहीं आए। इसे कहते हैं-जैसी करनी वैसी भरनी।
- दाल-भात में मूसलचंद (व्यर्थ टाँग अड़ाने वाला) – हम दोनों के बीच बोलने वाले तुम कौन होते हो? दाल-भात में मूसलचंद बनने की आवश्यकता नहीं।
- नदी में रहकर मगर से बैर (बलवान से बैर नहीं करना चाहिए) – अपने ही बॉस के खिलाफ तुम शिकायत दर्ज करा रहे हो, पर ध्यान रखना, नदी में रहकर मगर से बैर करना अच्छा नहीं।
बहुविकल्पी प्रश्न
1. अँगूठा दिखाना
(i) इनकार करना
(ii) मजाक बनाना
(iii) लेकर कुछ वापस न करना
(iv) शर्मिंदा करना
2. अंग-अंग ढीला होना
(i) गहरी चोट लगना
(ii) बीमार हो जाना
(iii) कोई काम न करना।
(iv) शिथिल पड़ना
3. अपना उल्लू सीधा करना
(i) मूर्ख बनाना
(ii) स्वार्थी व्यक्ति
(iii) काम निकालना
(iv) मूर्ख बनाना
4. आँख में धूल झोंकना
(i) कमज़ोर करना
(ii) धोखा देना
(iii) झूठ बोलना
(iv) नौ दो ग्यारह होना
5. गड़े मुर्दे उखाड़ना
(i) कब्र खोदना
(ii) इतिहास का अध्ययन करना
(iii) पुरानी चीजें लाना
(iv) पुरानी बातों को दोहराना
6. उल्टी गंगा बहाना
(i) बाँध बनाना
(ii) विपरीत काम करना
(iii) प्रगति करना
(iv) कमर के कपड़े गिरने से बचना
7. पानी-पानी होना
(i) बाढ़ आना
(ii) कीचड़ होना
(iii) काम आसान होना
(iv) लज्जित होना
8. छाती पर मूंग दलना
(i) असंभव कार्य करना
(ii) दुख देना
(iii) कठिन कार्य करना
(iv) मूंग की दाल खाना
9. दाल न गलना
(i) कुछ कह न पाना
(ii) कुछ काम न होना
(iii) कुछ वश न चलना
(iv) दाल कच्ची रह जाना
10. घाव पर नमक छिड़कना
(i) किसी के दुख में दुखी होना
(ii) घाव पर नमक डालना
(iii) दुखी को और दुखी करना
(iv) दर्द देना
11. आम के आम गुठलियों के दाम
(i) दुहरा लाभ होना
(ii) दोनों की ओर से निराशा
(iii) अस्थिर बुद्धिवाला
(iv) अच्छी वस्तु में और अधिक गुण होना
12. एक हाथ से ताली नहीं बजती
(i) सीधी बात को तैयार न होना
(ii) निर्दोष पर दोष लगाना
(iii) असंभव काम करना
(iv) एक के करने से झगड़ा नहीं होता है।
13. थोथा चना बाजे घना
(i) खाली व्यकित बातें अधिक करता है।
(ii) थोथे चने से अधिक आवाज आती है।
(iii) गुणहीन व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
(iv) मुर्ख व्यक्ति वाचाल होता है।
14. काला अक्षर भैंस बराबर
(i) स्याही का रंग काला होता है।
(ii) अक्षर भैंस की तरह काले रंग का होता है।
(iii) अनपढ़ व्यक्ति
(iv) भैंस काला अक्षर नहीं देख सकती
उत्तर-
1. (i)
2. (iv)
3. (iii)
4. (ii)
5. (iv)
6. (iv)
7. (iv)
8. (ii)
9. (iii)
10. (iii)
11. (i)
12. (iv)
13. (iii)
14. (iii)