CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2015 Term 1
निर्धारित समय :3 घण्टे
अधिकतम अंक : 90
खण्ड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [12]
आज हम सभी परेशान हैं कि समय पर वर्षा नहीं होती। कहीं अतिवृष्टि है, कहीं अल्पवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि। पिछली सदी के पूर्वार्द्ध की उपेक्षा उत्तरार्द्ध में मौसमी-चक्र बहुत कुछ बदल गया है और अब तो अनिश्चित-सा हो गया है। पहले हर मौसम प्रायः समय पर आता था और वर्षा नियमित रूप से होती थी। यह स्थिति केवल भारत की नहीं है, बल्कि संपूर्ण विश्व की है। कहीं इतनी वर्षा होती है कि बाढ़ के कारण जन और धन की अपार हानि होती है, तो कहीं बिल्कुल वर्षा नहीं होती जिससे खड़ी फसलें खेत में नष्ट हो जाती हैं। कुछ देशों में बर्फ इतनी गिरती है कि जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। कभी-कभी जब फसल पक जाती है तब मूसलाधार वर्षा हो जाती है जिससे अन्न को घर लाना असंभव हो जाता है। वायुमंडल में प्रदूषण और प्रकृति-असंतुलन के कारण भारत के अधिकांश भाग में सन 1987 में बीसवीं शताब्दी का सबसे भयंकर सूखा पड़ा। साथ ही पूर्वी भारत में बाढ़ के भीषण प्रकोप से जन-धन की काफी हानि हुई। यह प्राकृतिक विपदा मनुष्य-निर्मित है, क्योंकि मनुष्य स्वयं प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहा है। मौसम में इस तरह के बदलाव से सामान्य जन पीड़ित हैं और वैज्ञानिक चिंतित ।
वैज्ञानिक खोजों से पता चलता है कि मौसम में परिवर्तन का कारण तथा फेफड़ों में कैंसर व हृदय के रोगों एवं मानसिक तनाव आदि का मुख्य कारण है, प्रकृति में असंतुलन। हम सभी जानते हैं कि धरती पर जीवन प्रकृति, संतुलन से ही संभव हो सका है।
(i) आज मौसम परिवर्तन के क्या-क्या लक्षण दिखाई पड़ते
(ii) बाढ़ से मानव जीवन किस प्रकार दूभर हो जाता है ?
(iii) 1987 में प्राकृतिक असंतुलन से क्या दुष्परिणाम सामने आए थे ?
(iv) मौसम में परिवर्तन से किस प्रकार के रोग होते दिखाई पड़ते हैं।
(v) उत्तरार्द्ध’ व ‘भीषण शब्दों के अर्थ लिखिए।
(vi) मौसम परिवर्तन का प्रमुख कारण क्या है ? उसके लिए आप क्या कर सकते हैं ?
उत्तर:
(i) मौसम परिवर्तन के लक्षण-समय पर वर्षा नहीं होती। इसलिए कहीं अतिवृष्टि है, कहीं अल्पवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि दृष्टिगोचर होती है।
(ii) बाढ़ के कारण जन और धन की अपार हानि होती है। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच जाती है। इसलिए बाढ़ के भीषण प्रकोप
से मानव-जीवन दूभर हो जाता है।
(iii) 1987 में प्राकृतिक असंतुलन के कारण बीसवीं शताब्दी का सबसे भयंकर सूखा पड़ा था और साथ ही पूर्वी भारत में बाढ़ के भीषण प्रकोप से जन-धन की काफी हानि
हुई थी।
(iv) मौसम में परिवर्तन से फेफड़ों में कैंसर, हृदय के रोग एवं मानसिक तनाव आदि रोग होते दिखाई पड़ते हैं।
(v) उत्तरार्द्ध शब्द का अर्थ-ऊपरी ओर का आधा भाग ‘मीषण’ शब्द का अर्थ-बहुत भयानक
(vi) मौसम परिवर्तन का प्रमुख कारण है-प्रकृति में असंतुलन । हम प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास कर सकते हैं। हम प्राकृतिक संपदा की रक्षा करके, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, प्रदूषण को बढ़ने से रोक कर प्रकृति संतुलन में अपना योगदान दे सकते
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [8]
यह कैसी वक्त है
कि किसी को कड़ी बात कहो,
तो भी बुरा नहीं मानता।
जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैं।
उन्हें कोई नहीं जानता।
खूब खिले हुए फूल को देखकर
अचानक खुश हो जाना,
बड़े स्नेही सुहृद की हार पर
मन भर लाना,
झुंझलाना,
अभिव्यक्ति के इन सीधे सादे रूपों को भी
सब भूल गए।
कोई नहीं पहचानता।
यह कैसी लाचारी है
कि हमने अपनी सहजता ही
एकदम बिसारी है।
इसके बिना जीवन कुछ इतना कठिन है
कि फर्क जल्दी समझ में नहीं आता-
यह दुर्दिन है या सुदिन है
जो भी हो संघर्षों की बात तो ठीक है
बेढ़ने वाले के लिए
यही तो एक लीक है।
फिर भी दुःख-सुख से यह कैसी निस्संगता।
कि किसी को कड़ी बात कहो
तो भी वह बुरा नहीं मानता।
यह कैसा वक्त है?
(i) अभिव्यक्ति के सीधे-सादे रूप क्या हैं?
(ii) कवि ने लाचारी किसे माना है और क्यों ?
(iii) सुख-दुःख से निस्संगता का क्या आशय है?
(iv) आशय स्पष्ट कीजिए यह कैसा वक्त है ?
उत्तर:
(i) अभिव्यक्ति के सीधे-सादे रूप हैं-प्रेम, क्रोध, घृणा, हँसना, झुंझलाना।
(ii) अभिव्यक्ति के सीधे-साधे रूपों को सब भूल गए हैं, इन्हें कोई नहीं पहचानता। हमने अपनी सहजता को एकदम भुला दिया है। कवि इसी को लाचारी मानता है, क्योंकि इसके बिना जीवन इतना कठिन हो गया है कि अच्छे और बुरे दिनों की अंतर जल्दी समझ में नहीं आ पता ।
(iii) इसका आशय यह है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करना अत्यंत आवश्यक है, परन्तु सुख-दुःख तो मानव जीवन का अभिन्न अंग है, इससे निस्संगता रखना
गलत है।
(iv) कवि के अनुसार यह कैसा वक्त आ गया है कि किसी को कोई कड़वी बात कहें तो भी वह बुरा नहीं मानता। अभिव्यक्ति के सीधे-साधे रूपों को सब भूल चुके हैं, उन्हें अब कोई नहीं पहचानता। सभी केवल संघर्ष करने में ही लगे हुए हैं।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [3]
(i) उसने ईश्वर से कुछ माँगने की मुद्रा में अपने हाथ ऊपर उठाए। (मिश्र वाक्य में)
(ii) गायें और बकरियाँ भी घास खा रही हैं। (संयुक्त वाक्य में)
(iii) मैंने कल एक ऐसा बच्चा देखा था जो बहुत स्वस्थ था। (सरल वाक्य में)
उत्तर:
(i) जैसे ही उसने ईश्वर से कुछ माँगना चाहा, वैसे ही माँगने की मुद्रा में अपने हाथ ऊपर उठाए ।
(ii) गायें घास खा रही हैं और बकरियाँ भी घास खा रही हैं।
(iii) मैंने कल एक बहुत स्वस्थ बच्चे को देखा।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए- [4]
(i) इस जंगल में एक पागल हाथी हो गया है।
(ii) जो काम करो, वही पूरा जरूर करो।
(iii) शाम को श्रीमती मीरा एक गीत देंगी।
(iv) एक गुलाब की फूलों की माला चाहिए।
उत्तर:
(i) इस जंगल में एक हाथी पागल हो गया है।
(ii) जो काम करो, उसे पूरा जरूर करो।
(iii) शाम को श्रीमती मीरा एक गीत प्रस्तुत करेंगी।
(iv) गुलाब के फूलों की एक माला चाहिए।
प्रश्न 5.
(i) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए तथा समास के नाम लिखिए- [2]
नवरात्रि, चिंतामग्न
(ii) निम्नलिखित शब्दों से समास बनाइए व समास का नाम लिखिए- [2]
देश से निकाला (निष्कासन), लगाम के बिना
उत्तर:
(i) नवरात्रि-नौ रात्रियों का समूह – द्विगु समास
चिंतामग्न-चिंता में मग्न-तत्पुरुष समास
(ii) देश से निकाला (निष्कासन)–देशनिकाला-तत्पुरुष समास लगाम के बिना-बेलगाम अव्ययीभाव समास
प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) भाषा की लघुतम स्वतंत्र इकाई को ___ हैं।
(ii) वाक्य में प्रयुक्त शब्द ___ कहलाता है।
उत्तर:
(i) भाषा की लघुतम स्वतंत्र इकाई को शब्द कहते हैं।
(ii) वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों की पूर्ति उपयुक्त मुहावरों से कीजिए- [2]
(i) सच्चे शूरवीर देश की रक्षा में प्राणों की ___ हैं।
(ii) गरीब माँ-बाप अपना ____कर बच्चों को पढ़ाते हैं और वे चिंता नहीं करते।
उत्तर:
(i) सच्चे शूरवीर देश की रक्षा में प्राणों की बाजी तक लगा देते हैं।
(ii) गरीब माँ-बाप अपना पेट काट कर बच्चों को पढ़ाते हैं। और वे चिंता नहीं करते।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) मैदान का आकर्षण छोटे भाई को कहाँ ले जाता था और क्या-क्या करवाता था ? कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के आधार पर लिखिए। [2]
(ख) 26 जनवरी, 1931 के दिन कोलकाता में मार्गों की क्या स्थिति हो गयी थी। बताइए। [2]
(ग) राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम लिखिए |
उत्तर:
(क) छोटे भाई को मैदान की सुखद हरियाली, हवा के हल्के-हल्के झोंके, फुटबॉल की वह उछल-कूद-कबड्डी के वह दाँव-घात, वालीबॉल की तेजी और फुर्ती का आकर्षण उसे खेल के मैदान की ओर ले जाता था। वहाँ वह कभी कंकरियाँ उछालता था तो कभी कागज की तितलियाँ उड़ाता रहता था। कभी वह फाटक पर सवार होकर मोटर साइकिल चलाने जैसा आनंद लेता था।
(ख) 26 जनवरी, 1931 के दिन कोलकाता में मार्गों की स्थिति अत्यंत असंतोषजनक थी। भीड़ की अधिकता के कारण पुलिस जुलूस को रोक नहीं पा रही थी। पुलिस उन पर लाठियाँ चला रही थी। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था और वातावरण अशांत था।
प्रश्न 9.
तताँरा और वामीरो की मृत्यु कैसे हुई। पठित पाठ के आधार पर लिखिए। [5]
उत्तर:
तताँरा निकोबार द्वीप के एक गाँव का सुंदर एवं बलिष्ठ युवक था। वह बहुत नेक और मददगार था। वह समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना कर्तव्य समझता था। अतः लोग उसे बहुत पसंद करते थे। उसके पास लकड़ी की एक जादुई तलवार रहती थी। एक दिन समुद्र तट पर उसकी मुलाकात वामीरो से हुई। वह लपाती गाँव की सुंदरी थी और बहुत मधुर गाती थी। तताँरा वामीरो से प्रेम करने लगा था। वामीरो भी तताँरा जैसा ही योग्य जीवनसाथी चाहती थी, परंतु स्थानीय परम्परा के अनुसार वामीरो का विवाह किसी अन्य गाँव के नवयुवक से नहीं हो सकता था। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और साथ रहना चाहते थे। जब लोगों के सामने वामीरो की माँ तथा गाँव वालों ने उसका अपमान किया तो वह क्रोध से भर उठा। उसने अपनी तलवार जमीन में गाढ़ दी और धरती को दो टुकड़ों में काट दिया। तताँरा लहुलुहान हो चुका था। अचेत होने के बाद तताँरा समुद्र के जल में बह गया। बाद में उसका क्या हुआ, इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली। तताँरा के खो जाने के बाद वामीरो पागलों की तरह व्यवहार करने लगी। वह तताँरा को खोजती रहती। उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया था, अन्ततः वामीरो का भी दुःखद अंत हो गया। दोनों प्रेम की बलिवेदी पर भेंट
चढ़ गए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
सालाना इम्तिहान हुआ। भाईसाहब फेल हो गये। मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया। मेरे और उनके बीच में केवल दो साल का अंतर रह गया। जी में आया, भाईसाहब को आड़े हाथों लँ-आपकी वह घोर व्यवस्था कहाँ गई ? मुझे देखिए मजे से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हैं, लेकिन वह इतने दुःखी और उदास थे कि उनसे मुझे दिली हमदर्दी हुई और उनके घाव पर नमक छिड़कने का विचार ही लज्जास्पद जान पड़ा। हाँ मुझे अब अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बढ़ा। भाईसाहब का वह रौब मुझ पर न रहा। आजादी से खेलकूद में शरीक होने लगा। दिल मजबूत था। अगर उन्होंने फिर मेरी फजीहत की तो साफ-साफ कह दूंगा आपने अपना खून जलाकर कौन सा तीर मार लिया ?
(क) लेखक के मन में बड़े भाई के प्रति तिरस्कार क्यों जागा ? [2]
(ख) लेखक के प्रथम आने पर क्या-क्या परिणाम हुए ? [2]
(ग) अब लेखक खेलकूद में आजादी से क्यों शरीक होने लगा ? [1]
उत्तर:
(क) लेखक के बड़े भाई परीक्षा के दिनों में उन्हें डाँटते रहते थे तथा उनके खेलने-कूदने पर पाबंदी लगाते थे। वह हमेशा लेखक को पढ़ने के लिए कहते, परन्तु सालाना इम्तिहान के नतीजे में भाईसाहब तो फेल हो गए, पर छोटा भाई (लेखक) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। परीक्षा के परिणाम को देखकर लेखक के मन में अपने बड़े भाईसाहब के प्रति तिरस्कार का भाव जाग उठा कि रात-दिन पढ़कर उन्हें क्या मिला और उन्होंने अपना खून जलाकर कौन-सा तीर मार लिया उन्हें तो असफलता ही मिली।
(ख) लेखक के प्रथम आने पर बड़े भाईसाहब का पहले जैसा रौब नहीं रह गया था। भाईसाहब की डांट का डर अब पहले की अपेक्षा बहुत कम हो गया था। लेखक अब खेलकूद में निर्भय होकर भाग लेने लगा था। इम्तिहान के दौरान खेलकूद में लगे रहने के बावजूद भी लेखक प्रथम श्रेणी से पास हो गया था। इस कारण उसका दिल मजबूत हो गया था। अब उसे बड़े भाईसाहब की डाँट का डर नहीं था इसलिए वह खेलकूद में आजादी से भाग लेने लगा।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) प्रकृति का वेश किस प्रकार बदल रहा है? पंत की कविता के आधार पर लिखिए। [2]
(ख) ‘पोथी पढ़-पढ़ कर भी ज्ञान प्राप्त न होने से कबीर का क्या तात्पर्य है ?
(ग) 1857 की तोप का क्या आशय है ?
उत्तर:
(क) पावस ऋतु में प्रकृति पल-पल में अपना रूप परिवर्तित करती है। इस ऋतु में पहाड़ और निर्झर पूर्ण यौवन पर होते हैं। पेड़-पौधे, पुष्पों तथा नव-पल्लवों से लद जाते हैं। आकाश में बादल छा जाते हैं तथा प्यासी धरती का हृदय आनंद से खिल उठता है।
(ख) ‘पोथी पढ़-पढ़ कर भी ज्ञान प्राप्त न होने से कबीर का तात्पर्य यह है कि पुस्तकों के पढ़ने मात्र से कोई व्यक्ति पंडित या ज्ञानी नहीं बन जाता । पुस्तकों को पढ़ते-पढ़ते संसार के लोग मरते जाते हैं, लेकिन वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। ईश्वर की प्राप्ति पुस्तकीय ज्ञान या पोथियाँ पढ़ने से नहीं हो सकती । ईश्वर तो केवल उसे मिलता है जो प्रभु से प्रेम कर सके और उन्हें समर्पित हो सके।
(ग) कविता में उल्लिखित 1857 की तोप, जो कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में प्रयोग की गई थी, से आशय है कि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, एक न एक दिन उसकी सत्ता का अंत होता ही है। इस तोप ने भारतीयों पर अनेक अत्याचार किए थे, परन्तु अब यह केवल प्रदर्शन मात्र की वस्तु ही रह गयी है। \
प्रश्न 12.
मीराबाई ने हरि से स्वयं का कष्ट दूर करने की जो विनती की है। उसमें स्वयं का कृष्ण से कौन-सा संबंध बताया है ? जिन भक्तों के उदाहरण दिए हैं, उनमें से एक पर की गई कृष्ण कृपा को संक्षेप में लिखिए। [5]
उत्तर:
मीराबाई ने हरि (श्रीकृष्ण) से स्वयं के कष्टों को दूर करने की जो विनती की है उसमें उन्होंने स्वयं को श्रीकृष्ण की सेविका के रूप में दर्शाया है। वह श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वह स्वयं को गिरिधर की दासी कहती हैं। वह उनसे अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। हरि से अपनी पीड़ा को हरने की विनती करते समय मीरा उन्हें समय-समय पर की गई उनकी दया का स्मरण कराती हैं।
मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती करते समय उनकी उदारता के अनेक उदाहरण दिए हैं। द्रौपदी के चीरहरण का उदाहरण-हस्तिनापुर की सभा में जब पांडव कौरवों से जुए में सब कुछ हार गए थे, तब उन्होंने द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया, परंतु दुर्भाग्यवश वे द्रौपदी को भी हार बैठे। जब दुशासन भरी सभा में पांडवों का अपमान करने के उद्देश्य से द्रौपदी का चीरहरण करने लगा तो द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को स्मरण कर सहायता के लिए प्रार्थना की। उनकी करुण पुकार सुन श्रीकृष्ण ने उनकी साड़ी के चीर को इतना बढ़ा दिया कि दुशासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया, परंतु द्रौपदी का चीरहरण न कर पाया। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज की रक्षा की।
प्रश्न 13.
आप कैसे कह सकते हैं कि हरिहर काका संयुक्त परिवार के मूल्यों के प्रति एक समर्पित व प्रेरक मानव थे। पठित पाठ के आधार पर समझाइए। [5]
उत्तर:
हरिहर काकी चार भाई थे। हरिहर काका की दो शादियाँ हुई थीं, परंतु उनके कोई बच्चा नहीं हुआ और उनकी दोनों बीवियाँ भी मर चुकी थीं। उनका परिवार एक संयुक्त परिवार था। परिवार के पास 60 बीघा जमीन थी। उस हिसाब से हरिहर काका के हिस्से में 15 बीघा जमीन आती थी। वैसे तो उनके भाइयों ने अपनी पत्नियों से कह रखा था कि वे हरिहर काका की खूब सेवा करें-पर वे इस बात का पालन नहीं करती थीं। हरिहर काका को खाने में बचाखुचा भोजन ही मिलता था। जब कभी उनकी तबियत खराब हो जाती, तो उनको कोई पानी तक नहीं पूछता था। अपने ही घर में उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था, परन्तु इतना सब कुछ होने के बाद भी वह अपने भाइयों के साथ ही रहना चाहते थे। वे संयुक्त परिवार के मूल्यों के प्रति एक समर्पित व प्रेरक मानव थे। यदि वह चाहते तो अपने परिवार से अलग रहकर सुखी जीवन बिता सकते थे, परन्तु उन्हें मिलजुलकर रहने में ही सुख की अनुभूति होती थी। उनके भाइयों ने उनकी सेवा करके उन्हें प्रभावित करना चाहा जिससे कोका अपने हिस्से की जमीन उनके नाम करके उन्हें समृद्ध कर दें, परंतु जब इससे भाइयों को कुछ प्राप्त न हुआ तो उनकी पत्नियों तथा बच्चों ने काका को जबरन घर में कैद कर लिया। उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा और जमीन के कागजातों पर जबरदस्ती अंगूठा लगवा लिया। हरिहर काका अपने परिवार के स्वार्थ को भली-भाँति समझते थे, परंतु फिर भी वे अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य से अत्यंत प्रेम करते थे।
खण्ड ‘घ’ (लेखन)
प्रश्न 14.
दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। [5]
(क) जहाँ-चाह वहाँ राह
- इच्छाशक्ति का महत्व
- इच्छाएँ और जीवन मूल्य (स्वाभिमान, संतोष, सत्य आदि)
- चाह से राह का निर्माण
(ख) मेरे सपनों का भारत
- भारत प्राकृतिक स्थिति
- उन्नत भारत की चाह
- सुनियोजित भारत
- भारत के बारे में मेरी कल्पना
- भ्रष्टाचार मुक्त भारत
(ग) समय-नियोजन ।
- अर्थ
- व्यवस्था
- लाभ
उत्तर:
(क)
जहाँ-चाह वहाँ राह प्रत्येक व्यक्ति के मन में किसी न किसी लक्ष्य को पाने की कामना रहती है। जिसके मन में जो चाह या कामना होती है वह उसकी पूर्ति की दिशा में कार्य करता है। मानव-जीवन में इच्छाशक्ति का अत्यंत महत्व है। व्यक्ति अपने लक्ष्य पर पहुँचने के लिए परिश्रम करता है। वह कर्म करने में रुचि रखता है तथा अपने लक्ष्य को पाने के लिए सर्वस्व समर्पित करने को तैयार रहता है। ऐसे व्यक्ति के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं, परंतु वह प्रत्येक बाधा का सामना करते हुए अपने पथ पर निरंतर अग्रसर होता है।
कठिनाइयों के बीच में से रास्ता निकालकर निरंतर आगे बढ़ने वाले लोग ही मानव जाति का आदर्श होते हैं। जब अथक परिश्रम के बाद हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। तब हमारे भीतर स्वाभिमान, संतोष, सत्य आदि जीवन मूल्यों का वास होता है। ऐसे लोगों की राह पर चलकर ही अनेक लोग जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी ऐसी ही एक महान नारी थीं। चाह से ही राह का निर्माण होता है। अतः कहा जा सकता है कि जहाँ चाह होती है वहाँ राह अपने आप बन जाती है।
(ख) मेरे सपनों का भारत
भारतवर्ष की पावन धरती का प्राकतिक सौंदर्य अत्यन्त अद्भुत है। हिमालय भारत के माथे का दिव्य मुकुट है। तथा हिंद महासागर भारत माता के चरणों को स्पर्श करे धन्य होता है। उत्तर में हिमालय तथा पूर्व-पश्चिम । एवं दक्षिण में सागर इस महान् देश की रक्षा करते हैं। यहाँ के पर्वत और उनसे निकलने वाले झरने तथा नदियाँ भारत की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। भारत में कहीं पर्वत हैं, तो कहीं मरुभूमि है, कहीं मैदान हैं, तो कहीं पठारे । यहाँ के उपजाऊ खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाती हैं। यहाँ के समुद्रों की छटा देखते ही बनती है।
भारत हमारी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ था। अब भारत की प्रतिष्ठा दिनप्रतिदिन धूमिल होती जा रही है। मैं अपने देश भारत को पुनः विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंकित करना चाहता हूँ। यह तभी संभव हो सकेगा जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का भली-भाँति निर्वाह करेगा। लोग अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्ति दिलाने का प्रयास करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका प्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को खोखला कर रहा है। अतः यदि हम अपने देश भारत को पुनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं, उसे वही ‘सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त सभी बुराइयों को मिलकर मिटाना होगा तभी हमारा देश सुनियोजित रहकर अमन, चैन तथा खुशहाली की मिसाल बन सकेगा।’
(ग) समय-नियोजन
प्रत्येक कार्य को नियोजित समय पर करना समय-नियोजन कहलाता है। समय का बहुत अधिक महत्व है। समय का सदुपयोग हमारे जीवन को खुशियों से भर सकता है और अमूल्य क्षण नष्ट होने से बच जाते हैं। यह सफलता का प्रथम सोपान है।
उपयुक्त समय पर उपयुक्त कार्य करना चाहिए। रोगी के मर जाने पर उसे औषधि प्रदान करने से कोई लाभ नहीं होता। फिर तो वही बात होती है-“अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत ।” अर्थात् किसी भी कार्य को सम्पन्न करने का एक निश्चित समय होता है। उस समय के निकल जाने के बाद यदि कार्य हो भी जाए तो उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है।
आग लगने पर कुआँ खोदने वाला व्यक्ति कभी भी, अपना घर नहीं बचा पाता। उसका सर्वनाश निश्चित ही होता है। जो विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में भी अध्ययन नहीं करता वह परीक्षा परिणाम घोषित होने पर आँसू ही बहाता है। जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट . कर देता है। जो समय को बचाता है, समय का सम्मान करता है, तो समय भी उस व्यक्ति को बचाता है, तथा उसे सम्मान देता है।
प्रश्न 15.
अपनी कक्षा को आदर्श कक्षा का रूप देने के लिए अपने सुझाव देते हुए प्रधानाचार्य महोदय को एक प्रार्थना पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
नवीन भारती पब्लिक स्कूल,
सरोजनी नगर, नई दिल्ली।
विषय : आदर्श कक्षा के सम्बन्ध में सुझाव हेतु।
महोदय,
मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं अपनी कक्षा को एक आदर्श कक्षा के रूप में देखना चाहता हूँ। इसके लिए मैं आपके सम्मुख कुछ सुझाव प्रस्तुत करना चाहता हूँ। आदर्श कक्षा आदर्श विद्यार्थियों से बनती है। अतः ज्ञान को प्राप्त करके ही विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी बन सकता है।
यह विद्या ही है जो मनुष्य को नम्र, सहनशील और गुणवान बनाती है। यदि अध्यापक प्रत्येक छात्र को पढ़ाई हेतु प्रेरित करें तथा उनके लिए उचित समय सारणी तैयार करें तो भविष्य में प्रत्येक छात्र उन्नति कर सकेगा। पढ़ाई के साथ उन्हें नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जाए जिससे वे अच्छाई और बुराई के बीच अंतर कर सकें। जो छात्र पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करे एवं आदर्श विद्यार्थी बनकर दिखाए, उसे पुरस्कृत किया जाना चाहिए ताकि कक्षा के अन्य विद्यार्थी भी उससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफलता की ओर अग्रसर कर पाएं। विद्यार्थियों को अनुशासित किया जाए, कक्षा में साफ-सफाई के लिए प्रेरित किया जाए और समय के महत्व के विषय में जानकारी दी जाए। इस प्रकार की पहल और प्रयास द्वारा हमारी कक्षा एक आदर्श कक्षा बन जाएगी। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मेरे सुझावों पर अवश्य विचार करें। सधन्यवाद !
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
कक्षा दसवीं ‘ब’
दिनांक : 5 फरवरी, 20XX
प्रश्न 16.
विद्यालय के सूचना पट के लिए सूचना तैयार कीजिए कि शरद्कालीन अवकाश के बाद 20 अक्टूबर को विद्यालय में हिन्दी निबन्ध लेखन प्रतियोगिता होगी। प्रतियोगिता की तैयारी के लिए | हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. नीलम से सम्पर्क करें (20-30 शब्दों में)।
उत्तर:
सूचना
एवरग्रीन पब्लिक स्कूल
मोती नगर, दिल्ली
दिनांक : 5 अक्टूबर, 20xx
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। यह प्रतियोगिता शरङ्कालीन अवकाश के बाद 20 अक्टूबर, 20xx को प्रातः 10 बजे से 12 बजे तक स्कूल के सभागार में आयोजित की जाएगी। प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी तैयारी के लिए हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. नीलम से संपर्क करें।
हस्ताक्षर
प्रधानाचार्य
प्रश्न 17.
नौकर और मालिक के मध्य वेतन-वृद्धि के लिए हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
नौकर – साहब ! मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।
मालिक – हाँ बोलो ! क्या बात है ? नौकर – साहब! मेरा वेतन बहुत कम है। जिस कारण मैं अपने परिवार के सदस्यों का पालन-पोषण ठीक प्रकार से नहीं कर पा रहा हूँ। मालिक – मैं इस विषय पर विचार करूंगा। नौकर – मैं पूरी ईमानदारी से अपना कार्य करता हूँ, परन्तु मुझे वेतन बहुत कम मिल रहा है। आपसे अनुरोध है कि मेरे वेतन में वृद्धि कीजिए।
मालिक – तुम्हें तुम्हारे कार्य के अनुरूप उचित वेतन मिल रहा है।
नौकर – यदि मेरे वेतन में वृद्धि नहीं होगी, तो मैं विवश होकर यह नौकरी छोड़ दूंगा।
मालिक – ठीक है। मैं अगले महीने से तुम्हारे वेतन में 2000 रुपये बढ़ा दूंगा। तुम एक ईमानदार व्यक्ति हो और मेहनती भी।
नौकर – धन्यवाद साहब! आपका बहुत-बहुत आभार।
प्रश्न 18.
आपकी माँ बहुत अच्छी चाकलेट्स बनाती है। उन्हें बेचने के लिए आकर्षक विज्ञापन लगभग 20-25 शब्दों में बनाइए। [5]
उत्तर: