Study MaterialsCBSE Class 8 Hindi Grammar समास

CBSE Class 8 Hindi Grammar समास

CBSE Class 8 Hindi Grammar समास

दो या दो से अधिक शब्दों को संक्षिप्त करके नया शब्द बनाने की प्रक्रिया देने की विधि समास कहलाती है। यानी समास शब्द का अर्थ है- संक्षेप अर्थात छोटा करना; जैसे-रसोई के लिए घर के स्थान पर रसोईघर’ कहना। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ प्रकट करना ‘समास’ को मुख्य उद्देश्य है।

समस्त पद – समास की प्रक्रिया के बाद जो नया शब्द बनता है उसे सामासिक पद या समस्त पद कहते हैं।
समास-विग्रह – समस्त पद को फिर से पहले जैसी स्थिति में लाने की प्रक्रिया समास-विग्रह कहलाती है। समस्त पद

    Fill Out the Form for Expert Academic Guidance!



    +91


    Live ClassesBooksTest SeriesSelf Learning




    Verify OTP Code (required)

    I agree to the terms and conditions and privacy policy.

    समस्त पद समास विग्रह
    विद्यालय विद्या के लिए आलय (घर)
    विश्राम गृह विश्राम के लिए घर

    समस्त पद में दो पद होते हैं – पूर्वपद और उत्तर पद

    विद्यालय विद्या आलय विद्या के लिए आलय
    (समस्त पद) (पूर्वपद) उत्तरपद (समास-विग्रह)

    समास के मुख्य चार भेद हैं

    1. अव्ययीभाव समास
    2. तत्पुरुष समास
    3. द्वंद्व समास
    4. बहुब्रीहि समास

    1. अव्ययीभाव समास – जिस समास से पहला पद प्रधान हो और समस्त पद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहली पद दूसरा पद
    आजन्म जन्म भर जन्म

    2. तत्पुरुष समास – जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो और समास करने पर विभक्ति (कारक-चिह्न) का लोप हो जाए, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    रेखांकित रेखा से अंकित रेखा + अंकित

    तत्पुरुष समास छह प्रकार के होते हैं

    1. संप्रदान तत्पुरुष – जिसमें संप्रदान कारक की विभक्ति के लिए’ का लोप हो जाए, उसे संप्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    देशभक्ति देश के लिए भक्ति देश + भक्ति

    2. करण तत्पुरुष – जिसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’ का लोप हो; उसे करण तत्पुरुष समास कहते है; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    हस्तलिखित हस्त से लिखित हस्त लिखित

    3. कर्म तत्पुरुष – जिसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    गगनचुंबी गगन को चूमने वाला गगन चुंबी

    4. अपादान तत्पुरुष – जिसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ का लोप हो जाय, उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते है; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    रोगमुक्त रोग से मुक्त रोग + मुक्त

    5. संबंध तत्पुरुष – जिसमें संबंध कारक की विभक्ति ‘का’ ‘की’ ‘के’ का लोप हो जाए, उसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    राजकुमार राजा का कुमार राज कुमार

    6. अधिकरण तत्पुरुष – जिसमें अधिकरण कारक की विभक्ति में ‘पर’ का लोप हो जाए; उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    गृह प्रवेश गृह में प्रवेश गृह प्रवेश

    तत्पुरुष समास के दो उपभेद हैं

    • कर्मधारय समास
    • विगु समास

    (i) कर्मधारय समास – कर्मधारय समास का पहला पद ‘विशेषण’ और दूसरा पद ‘विशेष्य’ होता है अथवा एक पद ‘उपमान’ और दूसरा पद ‘उपमेय’ होता है; जैसे- ‘पीतांबर’ पीत है जो अंबर। वहाँ ‘पीत’ शब्द विशेषण है और अंबर शब्द विशेष्य।

    (ii) विगु समास – जिस समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो तथा समस्तपद किसी समूह का बोध कराए उसे द्विगु समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    चौराहा चार राहों का समाहार चौ (चार) राहा
    नवरत्न नौ रत्नों का समूह नौ (नौ) रत्न

    3. द्वं द्व समास – जिस समास में दोनों पद समान हों तथा समास करने पर ‘और’ ‘अथवा’ का लोप हो जाए, उसे द्वंद्व समास कहते हैं; जैसे

    समस्त पद विग्रह पहला पद दूसरा पद
    दाल-भात दाल और भात दाल भात
    रात-दिन रात और दिन रात दिन

    4. बहुव्रीहि समास – जहाँ दोनों पद गौड़ होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं, तथा जहाँ कोई भी पद प्रधान न हो, बहुव्रीहि समास होता; जैसे
    पीतांबर – पीत (पीले), अंबर (वस्त्र) है जिसके अर्थात श्रीकृष्ण

    बहुव्रीहि और कर्मधारय समास में अंतर – समास के कुछ उदाहरण ऐसे हैं, जो कर्मधारय और बहुब्रीहि समास, दोनों में समान रूप से पाए जाते हैं। इन दोनों में अंतर जानने के लिए इनके विग्रह को समझना होगा। जैसे-

    समस्त पद विग्रह समास
    नीलकंठ नीला है जो कंठ
    नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव
    (कर्मधारय)
    (बहुव्रीहि).

    बहुब्रीहि और विगु समास में अंतर – विगु समास का पहला पद का संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद उसका विशेष्य। बहुब्रीहि समास में पूरा (समस्त) पद ही विशेषण का कार्य करता है। कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जिन्हें दोनों समासों में रखा जा सकता है। विग्रह करने पर ही स्थिति स्पष्ट होती है। जैसे-
    चतुर्भुज – चार भुजाओं का समूह – द्विगु समास
    चार भुजाएँ हैं जिसकी अर्थात विष्णु – बहुब्रीहि समास

    बहुविकल्पी प्रश्न

    1. जो पहला पद गिनती का होता है
    (i) दुविगु समास
    (ii) द्वंद्व समास
    (iii) तत्पुरुष समास
    (iv) कर्मधारय समास

    2. विशेषण तथा विशेष्य साथ-साथ होते हैं
    (i) अव्ययीभाव समास
    (ii) कर्मधारय समास
    (iii) द्विगु समास
    (iv) बहुब्रीहि समास

    3. जिस समास में पहला पद प्रधान हो उसे कहते हैं।
    (i) कर्मधारय समास
    (ii) द्विगु समास
    (iii) अव्ययीभाव समास
    (iv) तत्पुरुष समास

    4. समास के भेद होते हैं
    (i) दो
    (ii) तीन
    (iii) चार
    (iv) पाँच

    5. तत्पुरुष समास कितने प्रकार के होते हैं
    (i) चार
    (ii) पाँच
    (iii) छह
    (iv) सात

    6. ‘नौ रात्रियों का समूह’ विग्रहों के लिए समास है
    (i) द्वंद्व समास
    (ii) अव्ययीभाव
    (iii) द्विगु समास
    (iv) कर्मधारय समास

    7. चक्र है हाथ में जिसके अर्थात श्रीकृष्ण।
    (i) बहुब्रीहि
    (ii) कर्मधारय
    (iii) अव्ययीभाव
    (iv) तत्पुरुष

    8. नीलांबर’ शब्द समास है
    (i) तत्पुरुष
    (ii) कर्मधारय
    (iii) अव्ययीभाव
    (iv) बहुब्रीहि समास

    उत्तर-
    1. (i)
    2. (iii)
    3. (iii)
    4. (iii)
    5. (iv)
    6. (iii)
    7. (i)
    8. (iii)

     

    Chat on WhatsApp Call Infinity Learn

      Talk to our academic expert!



      +91


      Live ClassesBooksTest SeriesSelf Learning




      Verify OTP Code (required)

      I agree to the terms and conditions and privacy policy.