Study MaterialsCBSE Notesखिलौनेवाला Summary Class 5 Hindi

खिलौनेवाला Summary Class 5 Hindi

खिलौनेवाला Summary Class 5 Hindi

खिलौनेवाला कविता का सारांश

बालक अपनी माँ से कहता है कि आज फिर खिलौनेवाला तरह-तरह के खिलौने लेकर आया है। उसके पास पिंजड़े में हरा-हरा तोता, गेंद, मोटरगाड़ी, गुड़िया आदि खिलौने हैं। रेलगाड़ी चाबी भर देने पर चलने लगती है। खिलौनेवाले के पास छोटे-छोटे धनुष-बाण भी हैं। वह जोर-जोर से आवाज दे रहा है ताकि बच्चे उसके पास आएं और खिलौने खरीदें। मुन्नू ने गुड़िया खरीदी है और मोहन ने मोटरगाडी। मुझे भी माँ से चार पैसे मिले हैं। लेकिन मैं अन्य बच्चों की तरह तोता, बिल्ली, मोटर आदि नहीं खरीदूंगा। मैं तो तलवार या तीर-कमान खरीदूंगा। फिर मैं जंगल में जाकर राम की तरह किसी ताड़का को मार गिराऊँगा। मैं राम बनूंगा और माँ को कौशल्या बनाऊँगा। बालक माँ से कहता है कि उसके आदेश पर वह हँसते-हँसते जंगल को चला जाएगा। लेकिन बालक तुरंत चिंतित हो उठता है। वह कहता है कि हे माँ, मैं तुम्हारे बिना जंगल में कैसे रह पाऊँगा? वहाँ पर किससे रूढ़ेगा और कौन मुझे मनाएगा और गोद में बिठाकर चीजें देगा?

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    काव्यांशों की व्याख्या

    1. वह देखो माँ आज
    खिलौनेवाला फिर से आया है।
    कई तरह से सुंदर-सुंदर
    नए खिलौने लाया है।
    हरा-हरा तोता पिंजड़े में
    गेंद एक पैसे वाली
    छोटी-सी मोटर गाड़ी है।
    सर-सरसर चलने वाली।
    प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-5′ में. संकलित कविता ‘खिलौनेवाला’ से ली गई हैं। इसकी कवयित्री हैं सुभद्रा कुमारी चौहान।
    अर्थ-बालक अपनी माँ से कहता है कि आज फिर खिलौनेवाला तरह-तरह के खिलौने लेकर आया है। उसके पास पिंजड़े में बंद हरा-हरा तोता है। उसके पास एक पैसे वाली छोटी-सी मोटर गाड़ी है। यह मोटर गाड़ी सर-सर-सर करके चलती जाती है।

    2. सीटी भी है कई तरह की
    कई तरह के सुंदर खेल
    चाभी भर देने से भक-भक
    करती चलने वाली रेल।।
    गुड़िया भी है बहुत भली-सी
    पहिने कानों में बाली
    छोटा-सा ‘टी सेट’ है।
    छोटे-छोटे हैं लोटा-थाली।
    प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-5’ में संकलित कविता ‘खिलौनेवाला’ से ली गई हैं। इसकी रचयिता हैं सुभद्रा कुमारी चौहान।
    अर्थ-बालक अपनी माँ से कहता है कि आज फिर खिलौनेवाला सुन्दर-सुन्दर खिलौने लेकर आया है। उसके पास कई तरह की सीटियाँ हैं, चाबी भर देने पर चलने वाली सुन्दर रेल है। जो गुड़िया उसके पास है वह कानों में बाली पहने हुए है। खिलौनेवाला छोटा-सा ‘टी सेट’ और छोटे-छोटे थाली-लोटा भी रखे हुए है।

    3. छोटे-छोटे धनुष-बाण हैं।
    हैं छोटी-छोटी तलवार
    नए खिलौने ले लो भैया
    ज़ोर ज़ोर वह रहा पुकार।
    मुन्नू ने गुड़िया ले ली है।
    मोहन ने मोटर गाड़ी
    मचल-मचल सरला कहती है।
    माँ से लेने को साड़ी
    कभी खिलौनेवाला भी माँ
    क्या साड़ी ले आता है।
    साड़ी तो वह कपड़े वाला
    कभी-कभी दे जाता है।
    प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-5 में संकलित कविता ‘खिलौनेवाला’ से ली गई हैं। इसकी रचयिता हैं सुभद्रा कुमारी चौहान।।
    अर्थ-बालक अपनी माँ से कहता है कि आज फिर खिलौनेवाला तरह-तरह के खिलौने लेकर आया है। खिलौनेवाला ज़ोर-ज़ोर से बोल रहा है कि उसके पास नए-नए खिलौने हैं। वह अन्य खिलौने के साथ-साथ धनुष-बाण और तलवार भी बेच रहा है। मुन्नू ने गुड़िया खरीदी है और मोहन ने मोटरगाड़ी। सरला अपनी माँ से कहती है कि वह खिलौनेवाले से उसके लिए साड़ी खरीद ढूं। इस पर बालक अपनी माँ से कहता है कि क्या कभी खिलौनेवाले साड़ियाँ भी रखते हैं? साड़ियाँ तो कपड़े बेचनेवाले रखते हैं जो कभी-कभी आते हैं।

    4. अम्मा तुमने तो लाकर के
    मुझे दे दिए पैसे चार
    कौन खिलौना लेता हूँ मैं
    तुम भी मन में करो विचार।
    तुम सोचोगी मैं ले लूंगा।
    तोता, बिल्ली, मोटर, रेल
    पर माँ, यह मैं कभी न लूंगा
    ये तो हैं बच्चों के खेल।
    मैं तलवार खरीदूंगा माँ
    या मैं नँगा तीर-कमान
    जंगल में जा, किसी ताड़का
    को मारूंगा राम समान।
    प्रसंग-पूर्ववत्।
    अर्थ-बालक अपनी माँ से कहता है कि खिलौनेवाले के आने पर तुमने मुझे चार पैसे दे दिए। अब वह विचार कर रहा है कि उसे कौन-सा खिलौना खरीदना चाहिए। वह माँ से कहता है कि वह भी इस बारे में विचार करे। अगर वह सोचती है कि उसका बेटा अन्य बच्चों की तरह तोता, बिल्ली, मोटर या रेलगाड़ी खरीदेगा तो वह गलत सोचती है। उसका बेटा इन खिलौनों को कभी नहीं लेगा। वह कहता है ये खिलौने तो बच्चों के हैं। वह तो तलवार या तीर-कमान खरीदेगा और जंगल में जाकर राम की तरह किसी ताड़का को मार गिराएगा।

    5. तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-
    को मैं मार भगाऊँगा
    यों ही कुछ दिन करते-करते
    रामचंद्र बन जाऊँगा।
    यहीं रहूँगा कौशल्या मैं
    तुमको यहीं बनाऊँगा।
    तुम कह दोगी वन जाने को
    हँसते-हँसते जाऊँगा।
    पर माँ, बिना तुम्हारे वन में
    मैं कैसे रह पाऊँगा।
    दिन भर घूमूंगा जंगल में
    लौट कहाँ पर आऊँगा।
    किससे नँगा पैसे, रूढूँगा।
    तो कौन मना लेगा
    कौन प्यार से बिठा गोद में
    मनचाही चीजें देगा।
    प्रसंग-पूर्ववत्
    अर्थ-बालक अपनी माँ से कहता है कि वह खिलौनेवाले से तलवार या तीर-कमान खरीदेगा और जंगल में जाकर राम की तरह किसी ताड़का को मारेगा। वह सभी असुरों को जंगल से मार भगाएगा ताकि तपस्वीगण शांतिपूर्वक यज्ञ कर सकें। इस प्रकार से वह एक दिन रामचन्द्र बन जाएगा और उसकी माँ कौशल्या । अगर उसकी माँ उसे वन जाने का आदेश देगी तो वह खुशी-खुशी वन भी चला जाएगा। लेकिन बालक शीघ्र ही दुखी हो जाता है। वह माँ से कहता है कि वह जंगल में उसके (माँ के) बिना अकेले कैसे रहेगा। जंगल में वह किससे पैसे माँगेगा? किससे रूठेगा? कौन उसे मनाएगा और गोद में बैठाकर अच्छी-अच्छी चीजें देगा?

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