CBSE Class 10 Hindi A लेखन कौशल पत्र लेखन
पत्र लेखन एक विशेष कला – मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह अपने दुख-सुख दूसरों में बाँटना चाहता है। जब उसका कोई प्रिय व्यक्ति उसके पास होता है तब वह मौखिक रूप से अभिव्यक्त कर देता है परंतु जब वही व्यक्ति दूर होता है तब वह पत्रों के माध्यम से अपनी बातें कहता और उसकी बातें जान पाता है। वास्तव में पत्र मानव के विचारों के आदान-प्रदान का अत्यंत सरल और सशक्त माध्यम है। पत्र हमेशा किसी को संबोधित करते हुए लिखे जाते हैं, अतः यह लेखन की विशिष्ट विधा एवं कला है। पत्र पढ़कर हमें लिखने वाले के व्यक्तित्व की झलक मिल जाती है।
You can also download Science Class 10 to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations.
पत्रों का महत्त्व – पत्र-लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। इसका उल्लेख हमें अत्यंत प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि रुक्मिणी ने एकांत में एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर ब्राह्मण के हाथों श्रीकृष्ण को भिजवाया था। इसके बाद शिक्षा के विकास के साथ विभिन्न उद्देश्यों के लिए पत्र लिखे जाने लगे।
पत्र में हमें शब्दों का सोच-समझकर प्रयोग करना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार धनुष से छूटा तीर वापस नहीं आता उसी प्रकार पत्र में लिखे शब्दों को वापस नहीं लौटा सकते। पत्रों की उपयोगिता हर काल में रही है और रहेगी। मोबाइल फ़ोन और संचार के अन्य साधनों का विकास होने के बाद पत्र-लेखन प्रभावित हुआ है, पर इसकी महत्ता सदैव बनी रहेगी।
परीक्षा में विदयार्थियों को एक पत्र लिखने को कहा जाता है। इसमें परीक्षक का दृष्टिकोण यह देखना होता है कि विदयार्थी किस प्रकार पत्र लिखता है। पत्र का महत्त्वपूर्ण अंश उसका प्रारंभ और उपसंहार होता है। विद्यार्थी को इन्हीं अंशों में कठिनाई होती है। बीच के भाग में तो वे बड़ी आसानी से अपने विचारों को लिख सकते हैं। छात्रों को चाहिए कि पत्र रटने की अपेक्षा वे पत्र-लेखन को ध्यान से समझें कि पत्र का आरंभ कैसे करना चाहिए और उसे समाप्त कैसे करना चाहिए।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातें अवश्य ध्यान में रखें –
1. सरलता- पत्र सरल भाषा में लिखना चाहिए। भाषा सीधी, स्वाभाविक व स्पष्ट होनी चाहिए। अतः पत्र में व्यक्ति को पूरी आत्मीयता और सरलता से उपस्थित होना चाहिए।
2. स्पष्टता- जो भी हमें पत्र में लिखना है यदि स्पष्ट, सुमधुर होगा तो पत्र प्रभावशाली होगा। सरल भाषा-शैली, शब्दों का चयन, वाक्य रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाने में हमारी सहायता करती है।
3. संक्षिप्तता- पत्र में हमें अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। अनावश्यक विस्तार पत्र को नीरस बना देता है। पत्र जितना संक्षिप्त व सुगठित होगा उतना ही अधिक प्रभावशाली भी होगा।
4. शिष्टाचार-पत्र प्रेषक और पत्र पाने वाले के बीच कोई न कोई संबंध होता है। आयु और पद में बड़े व्यक्ति को आदरपूर्वक, मित्रों को सौहार्द से और छोटों को स्नेहपूर्वक पत्र लिखना चाहिए।
5. आकर्षकता व मौलिकता- पत्र का आकर्षक व सुंदर होना भी महत्त्वपूर्ण होता है। मौलिकता भी पत्र का एक महत्त्वपूर्ण गुण है। पत्र में घिसे-पिटे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए। पत्र-लेखक को पत्र में स्वयं के विषय में कम तथा प्राप्तकर्ता के विषय में अधिक लिखना चाहिए।
6. उद्देश्य पूर्णता- कोई भी पत्र अपने कथन या मंतव्य में स्वतः संपूर्ण होना चाहिए। उसे पढ़ने के बाद तद्विषयक किसी प्रकार की जिज्ञासा, शंका या स्पष्टीकरण की आवश्यकता शेष नहीं रहनी चाहिए। पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कथ्य अपने आप में पूर्ण तथा उद्देश्य की पूर्ति करने वाला हो।
पत्र के अंग –
1. पत्र लिखने वाले का पता तथा तिथि – आजकल ये दोनों पत्र के ऊपर बाएँ कोने में लिखे जाते हैं। निजी अथवा व्यक्तिगत
पत्रों में प्रायः यह नहीं लिखे जाते किंतु व्यावसायिक और कार्यालयी पत्रों में पते के साथ-साथ प्रेषक का नाम भी लिखा जाता है। विद्यार्थियों को यह ध्यान रहे कि परीक्षा में पत्र लिखते समय उन्हें भी ऐसा कुछ भी नहीं लिखना चाहिए जिससे उनके निवास स्थान, विद्यालय आदि की जानकारी मिले। सामान्यतः प्रेषक के पते के स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ लिखना ही उचित होता
2. पाने वाले का नाम व पता-प्रेषक के बाद पृष्ठ की बाईं ओर ही पत्र पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता है; जैसे –
सेवा में
थानाध्यक्ष महोदय
केशवपुरम्
लखनऊ।
3. विषय-संकेत – औपचारिक पत्रों में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा सकता है उस विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के पश्चात् बाईं ओर से विषय शीर्षक देकर लिखें। इससे पत्र देखते ही पता चल जाता है कि मूल रूप में पत्र का विषय क्या है।
4. संबोधन – पत्र प्रारंभ करने से पहले पत्र के बाईं ओर दिनांक के नीचे वाली पंक्ति में हाशिए के पास जिसे पत्र लिखा जा रहा
है, उसे पत्र लिखने वाले के संबंध के अनुसार उपयुक्त संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है।
5. अभिवादन – निजी पत्रों में बाईं ओर लिखे संबोधन शब्दों के नीचे थोड़ा हटकर संबंध के अनुसार उपयुक्त अभिवादन शब्द सादर प्रणाम, नमस्ते, नमस्कार आदि लिखा जाता है। व्यावसायिक एवं कार्यालयी पत्रों में अभिवादन शब्द नहीं लिखे जाते।
6. पत्र की विषय – वस्तु-अभिवादन से अगली पंक्ति में ठीक अभिवादन के नीचे बाईं ओर से मूल पत्र का प्रारंभ किया जाता है।
7. पत्र की समाप्ति -पत्र के बाईं ओर लिखने वाले के संबंध सूचक शब्द तथा नाम आदि लिखे जाते हैं। इनका प्रयोग पत्र प्राप्त करने वाले के संबंध के अनुसार किया जाता है; जैसे-औपचारिक-भवदीय, आपका आज्ञाकारी। अनौपचारिक-तुम्हारा, आपका, आपका प्रिय, स्नेहशील, स्नेही आदि।
8. हस्ताक्षर और नाम – समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के ठीक नीचे कोष्ठक में भेजने वाले का पूरा नाम अवश्य दिया जाना चाहिए। यदि पत्र के आरंभ में ही पता न लिख दिया गया हो तो व्यावसायिक व सरकारी पत्रों में नाम के नीचे पता भी अवश्य लिख देना चाहिए। परीक्षा में पूछे गए पत्रों में नाम के स्थान पर प्रायः क, ख, ग आदि
लिखा जाता है। यदि प्रश्न-पत्र में कोई नाम दिया गया हो, तो पत्र में उसी नाम का उल्लेख करना चाहिए।
9. संलग्नक – सरकारी पत्रों में प्रायः मूलपत्र के साथ अन्य आवश्यक कागज़ात भी भेजे जाते हैं। इन्हें उस पत्र के ‘संलग्न पत्र’ या ‘संलग्नक’ कहते हैं।
10. पुनश्च-कभी – कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में से किसी महत्त्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग होता है। विशेष- पहले पत्र भेजने वाले का पता, दिनांक दाईं ओर लिखा जाता था, पर आजकल इसे बाईं ओर लिखने का चलन हो गया है। छात्र इससे भ्रमित न हों। हिंदी में दोनों ही प्रारूप मान्य हैं।
पत्रों के प्रकार
पत्र दो प्रकार के होते हैं –
(क) औपचारिक पत्र
(ख) अनौपचारिक पत्र।
(क) औपचारिक पत्र – अर्ध-सरकारी, गैर-सरकारी या सरकारी कार्यालय को जो भी पत्र लिखे जाते हैं, वे सभी पत्र औपचारिक पंत्रों के अंतर्गत आते हैं। कार्यालय द्वारा अपने अधीनस्थ विभागों को जो पत्र लिखे जाते हैं, वे सब भी इसी श्रेणी में आते हैं।
(ख) अनौपचारिक पत्र-जो पत्र निजी, व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक होते हैं, वे ‘अनौपचारिक’ पत्र कहलाते हैं। इस पत्र में किसी तरह की औपचारिकता के निर्वाह का बंधन नहीं होता। इन पत्रों में प्रेषक अपनी बात व भावना को उन्मुक्तता के साथ, बिना लाग-लपेट लिख सकता है।
औपचारिक एवं अनौपचारिक पत्र के आरंभ व अंत की औपचारिकताओं की तालिका –
औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है –
- प्रधानाचार्य को लिखे जाने वाले पत्र (प्रार्थना-पत्र)।
- कार्यालयी प्रार्थना-पत्र-विभिन्न कार्यालयों को लिखे गए पत्र।
- आवेदन-पत्र-विभिन्न कार्यालयों में नियुक्ति हेतु लिखे गए पत्र ।
- संपादकीय पत्र-विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कराने वाले संपादक को लिखे गए पत्र।
- सुझाव एवं शिकायती पत्र-किसी समस्या आदि के संबंध में सुझाव देने या शिकायत हेतु लिखे गए पत्र।
- अन्य पत्र-बधाई, शुभकामना और निमंत्रण पत्र ।
औपचारिक पत्र
प्रार्थना-पत्र
प्रधानाचार्य को लिखे जाने वाले पत्र का प्रारूप
प्रधानाचार्य के नाम प्रार्थना-पत्र
प्रश्न 1.
आप अर्वाचीन सीनियर सेकेंड्री स्कूल, मयूर विहार, दिल्ली के दसवीं कक्षा के छात्र अभिषेक हो। इस विद्यालय की महँगी फीस के कारण यहाँ गरीब बच्चे प्रवेश नहीं ले पाते हैं। गरीब बच्चों को प्रवेश देने का अनुरोध करते हुए . विद्यालय की प्रधानाचार्या को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्या जी
अर्वाचीन सीनियर सेकेंड्री स्कूल
मयूर विहार, दिल्ली
विषय-गरीब बच्चों के प्रवेश के संबंध में
महोदया
विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विदयालय की दसवीं कक्षा का छात्र हैं। हमारे विद्यालय का शत-प्रतिशत परिणाम, यहाँ के अध्यापक-अध्यापिकाओं की मेहनत और शिक्षण-सुविधाएँ इसकी ख्याति में वृद्धि कर रहे हैं। क्षेत्र के अभिभावक अपने बच्चों को यहाँ प्राथमिकता के आधार पर पढ़ाना चाहते हैं। इस विद्यालय के पढ़े-लिखे छात्र उच्च पदों पर कार्यरत हैं, यह देख बच्चे भी यहाँ पढ़ने की इच्छा रखते हैं। धनीवर्ग अपने बच्चों को आसानी से पढ़ा सकते हैं पर यहाँ की महँगी फीस गरीब बच्चों की शिक्षा में बाधक है। गरीब बच्चे चाहकर न यहाँ प्रवेश ले सकते हैं और न अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय की प्रत्येक कक्षा में 20 प्रतिशत गरीब बच्चों को प्रवेश देकर मानवता की भलाई के लिए एक पुनीत कार्य करें तथा उनके सपनों को साकार करने में अपना योगदान दें।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अभिषेक
X-D, अनुक्रमांक-15
10 अप्रैल, 20xx
प्रश्न 2.
आपकी एस०ए० 1 की परीक्षाएँ अगले महीने से हैं, परंतु अंग्रेज़ी और गणित का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। पाठ्यक्रम पूरा न होने के कारणों का उल्लेख करते हुए अंग्रेज़ी और गणित विषयों की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य जी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय नं० 2
शक्ति नगर, दिल्ली
विषय-अंग्रेज़ी और गणित विषयों की अतिरिक्त कक्षाओं के आयोजन के संबंध में
महोदय
सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारी एस.ए.-1 की परीक्षाएँ सितंबर माह में होनी हैं, परंतु अंग्रेज़ी और गणित का पाठ्यक्रम अभी ठीक से शुरू भी न हो सका है। इसका कारण है-अंग्रेज़ी
और गणित विषयों के अध्यापकों का अवकाश पर रहना। इधर अगस्त महीने का दूसरा सप्ताह भी बीत चुका है, ऐसे में बिना अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाए पाठ्यक्रम समय पर पूरा हो पाना असंभव है। अतः हम छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए छुट्टी के बाद अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित कराकर हमारा कोर्स पूरा करवाया जा सकता है।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि अंग्रेज़ी और गणित विषयों की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने की कृपा करें। हम छात्र आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क्षितिज
मॉनीटर दसवीं ‘अ’
17 अगस्त, 20xx
प्रश्न 3.
आपके पिता जी फैक्ट्री में दुर्घटनाग्रस्त हो गए। आप भी 15 दिन अस्पताल में रुककर उनकी देखभाल करते रहे। इस अवधि में विद्यालय न जाने के कारण आपका नाम काट दिया गया। दुबारा प्रवेश पाने के लिए विद्यालय की प्रधानाचार्या को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में
प्रधानाचार्या जी
जोसेफ एंड मेरी पब्लिक स्कूल
इंदिरापुरम्, गाज़ियाबाद (उ०प्र०)
विषय-दसवीं में पुनः प्रवेश के संबंध में
महोदया
विनम्र प्रार्थना है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी साहिबाबाद की एक फैक्ट्री में मशीन आपरेटर हैं। दुर्भाग्य से एक दिन काम करते हुए उनके साथ दुर्घटना घटित हुई जिससे उनके पैर और हाथ में गंभीर चोटें आईं। उन्हें दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया। यह सूचना मिलते ही मैं भी अस्पताल चला गया। वहाँ मुझे उनकी देखभाल के लिए रुकना पड़ गया जिससे जल्दबाजी में न तो मैं विद्यालय को सूचित कर सका और न विद्यालय आ सका। इससे कक्षाध्यापिका ने मेरा नाम काट दिया है।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मेरा नाम दसवीं में पुनः लिखने की कृपा करें। मैं भविष्य में ऐसा होने पर विद्यालय को अवश्य सूचित कर दूंगा।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
प्रखर
दसवीं डी, अनुक्रमांक-27
28 अगस्त, 20XX
प्रश्न 4.
आपके विद्यालय में खेल-कूद के सामान की कमी है जिससे आपके विद्यालय की टीम खेलों में न अच्छा प्रदर्शन कर पा रही है और न कोई पदक जीत पाती है। इस ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
रा०व०मा० बाल विद्यालय
वाई ब्लॉक मंगोलपुरी, दिल्ली।
28 अक्टूबर, 20XX
विषय-खेलों का नया सामान मँगवाने के संबंध में
महोदय
विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र एवं क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। यहाँ शिक्षण एवं पठन-पाठन की व्यवस्था बहुत अच्छी हैं। विद्यालय का शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम इसका प्रमाण है। यहाँ खेल-कूद का मैदान भी विशाल है, परंतु खेल संबंधी सामान का घोर अभाव है। यहाँ तीन-चार वर्षों से खेलों का नया सामान नहीं खरीदा गया है, जिसमें खिलाड़ी छात्रों को फटी-पुरानी गेंद, फुटबॉल और टूटे बल्ले से अभ्यास करने के लिए विवश होना पड़ता है। इस कारण हमारी तैयारी आधी-अधूरी रह जाती है और हम अपने से कमजोर टीमों से भी हार जाते हैं। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि हमारे खिलाड़ी छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं है। खेल संबंधी सुविधाएँ मिलते ही वे विद्यालय का नाम रोशन करने में कसर नहीं छोड़ेंगे।
अतः आपसे प्रार्थना है कि हम छात्रों के विद्यालय में विभिन्न खेलों के नए सामान; जैसे-गेंद, बैट, फुटबॉल, वालीबाल, रैकेट, जाली आदि खरीदने की कृपा करें ताकि हम छात्र खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
प्रत्यूष कुमार
कप्तान क्रिकेट टीम (विद्यालय)
प्रश्न 5.
आप नवयुग सीनियर सेकेंड्री स्कूल, महावीर एन्क्लेव दिल्ली के दसवीं के छात्र हो। दशहरा अवकाश में राजस्थान भ्रमण के लिए शैक्षिक टूर का आयोजन करने के लिए विद्यालय की प्रधानाचार्या को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्या जी
नवयुग सीनियर सेकेंड्री स्कूल
महावीर एन्क्लेव, दिल्ली
09 अक्टूबर, 20xx
विषय-शैक्षिक भ्रमण हेतु राजस्थान जाने के लिए टूर के आयोजन के संबंध में
महोदया
सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। हमारी एस०ए० 1 की परीक्षाएँ कल समाप्त हो गई हैं। आगामी 18 अक्टूबर से हमारा विद्यालय दशहरा अवकाश के लिए बंद हो रहा है। हम दसवीं की सभी छात्राएँ चाहती हैं कि दशहरे के अवकाश का सदुपयोग शैक्षिक भ्रमण के रूप में किया जाए। ऐसे में राजस्थान जो हमारे देश का प्रसिद्ध राज्य है, वीरता, साहस, त्याग और राष्ट्रभक्ति की कहानियाँ, जिसके रज-रज पर लिखी हैं, भामाशाह, पन्ना जैसे दानी एवं त्यागमयी तथा महाराणा प्रताप जैसे स्वाभिमानी वीर की जन्मभूमि को निकट से देखना-समझना हम छात्राओं के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं रोचक होगा। विद्यालय की सामाजिक विज्ञान शिक्षिका एवं खेल शिक्षिका की देख-रेख में वहाँ जाना हमारे लिए और भी ज्ञानवर्धक रहेगा।
अतः आपसे प्रार्थना है कि इस दशहरे के अवकाश में राजस्थान शैक्षिक भ्रमण का आयोजन करवाने की कृपा करें। हम छात्राएँ आपकी आभारी रहेंगी।
सधन्यवाद
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
प्राची
सांस्कृतिक सचिव एवं
मॉनीटर दसवीं ‘अ’
प्रश्न 6.
अपनी शैक्षिक एवं अन्य उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें छात्रवृत्ति देने का उल्लेख किया गया हो।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
सागर रत्न पब्लिक स्कूल
आलमबाग; लखनऊ (उ०प्र०)
25 अप्रैल, 20XX
विषय-छात्रवृत्ति पाने के संबंध में
महोदय
सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारी कक्षाध्यापिका द्वारा यह जानकर बड़ा हर्ष हुआ कि विद्यालय ने उन छात्रों को छात्रवृत्ति देने का निर्णय किया है, जिन्होंने पिछली कक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं तथा पाठ्य सहगामी किसी एक क्रिया में भी उपलब्धि अर्जित किए हैं।
महोदय, मैंने नौवीं कक्षा में 87 प्रतिशत अंक अर्जित किया है। इसके अलावा मैंने विद्यालय स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मैं इस विद्यालय की हॉकी टीम का कप्तान हूँ। हमारी टीम ने जोनल स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उसमें विपक्षी टीम को 3-2 से हराने वाले फाइनल मैच में मैंने दो गोल किए थे। मैं अब भी खेल के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे रहा हूँ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि छात्रवृत्ति हेतु मेरी पात्रता पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
पुष्कर
दसवीं ‘अ’ अनुक्रमांक-35
प्रश्न 7.
अपने पुस्तकालय में हिंदी की पत्रिकाओं की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को प्रार्थना-पत्र लिखिए। आप दसवीं ‘सी’ में पढ़ने वाले उत्कर्ष हो।
उत्तर
सेवा में
प्रधानाचार्या जी
ज्ञानकुंज पब्लिक स्कूल
दिलशाद गार्डन, दिल्ली
28 नवंबर, 20xx
विषय-पुस्तकालय में हिंदी की पत्रिकाओं की कमी के संबंध में
महोदया
विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं आपका ध्यान अपने विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाओं की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इस विद्यालय के पुस्तकालय में हज़ारों पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएँ हैं। यहाँ अंग्रेज़ी की कई पत्रिकाएँ प्रतिमाह मँगवाई जाती हैं, परंतु हिंदी की पत्रिकाओं की घोर कमी है जिससे हिंदी पत्रिकाएँ पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्र-छात्राओं को निराश होकर लौटाना पड़ता है। अंग्रेज़ी पत्रिकाएँ पढ़ने वाले छात्रों को देखकर वे स्वयं को उपेक्षित-सा महसूस करते हैं। इन छात्रों के लिए सुमन-सौरभ, विज्ञान प्रगति, बाल हंस, पराग, चंपक, नंदन चंदामामा जैसी हिंदी की पत्रिकाओं की आवश्यकता है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि पुस्तकालय में अंग्रेज़ी पत्रिकाओं के साथ-साथ हिंदी की पत्रिकाएँ मँगवाने की कृपा करें। हम छात्र आपके आभारी होंगे।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
उत्कर्ष
दसवीं ‘सी’ अनुक्रमांक-13
आवेदन-पत्र
आवेदन-पत्र का प्रारूप
प्रश्न 1.
भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया प्रधान कार्यालय-नारीमन प्वाइंट, मुंबई को कुछ कंप्यूटर आपरेटर्स की आवश्यकता है। अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए आवेदन-पत्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
मुख्य प्रबंधक महोदय
भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
प्रधान कार्यालय, नरीमन प्वाइंट
मुंबई।
विषय-कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर भरती के संबंध में
महोदय
दैनिक जागरण समाचार पत्र के 15 अक्टूबर, 20XX के अंक से ज्ञात हुआ कि इस बैंक के प्रधान कार्यालय में कंप्यूटर आपरेटर के कुछ पद रिक्त हैं। प्रार्थी भी अपना संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण प्रस्तुत करते हुए अपना आवेदन प्रस्तुत कर रहा है –
- नाम – विपिन कुमार
- पिता का नाम – श्री अमीरचंद
- जन्म तिथि – 20 फरवरी, 1993
- पत्र-व्यवहार का पता – सी-5/28, आशीर्वाद अपार्टमेंट सेक्टर 15 रोहिणी, दिल्ली।
- संपर्क सूत्र – 011-273………..
- शैक्षिक योग्यता
प्रशिक्षण – एफ० टेक संस्था से एक वर्षीय कंप्यूटर प्रशिक्षण A ग्रेड
अनुभव – गत तीन माह से दिल्ली कोआपरेटिव बैंक में कार्यरत।
आशा है कि आप मेरी शैक्षिक योग्यताओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए सेवा का अवसर प्रदान करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
विपिन कुमार
23 अक्टूबर, 20xx
संलग्नक-सभी प्रमाण पत्रों की छायांकित प्रति
प्रश्न 2.
दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापन हेतु अनुबंध के आधार पर कुछ शिक्षकों की आवश्यकता है। अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए निगमायुक्त उत्तरी दिल्ली नगर निगम टाउन हाल दिल्ली को प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
सेवा में
निगमायुक्त महोदय
उत्तरी दिल्ली नगर निगम
टाउन हाल, दिल्ली
विषय-प्राथमिक शिक्षकों की भरती हेतु आवेदन-पत्र
महोदय
26 अक्टूबर, 20XX के नवभारत टाइम्स समाचार पत्र द्वारा ज्ञात हुआ कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में अनुबंध पर आधारित शिक्षकों के कुछ पद रिक्त हैं। प्रार्थी भी अपना विवरण प्रस्तुत कर रहा है –
- नाम – राजेश वर्मा
- पिता का नाम – रामरूप शर्मा
- जन्म तिथि – 19 नवंबर, 1994
- पत्र-व्यवहार का पता – 205/3 बी, महावीर एन्क्ले व, नई दिल्ली।
- संपर्क सूत्र – 981155………..
- शैक्षिक योग्यता
अनुभव-अभिनव पब्लिक स्कूल, उत्तम नगर, दिल्ली में 2 साल से अब तक प्राथमिक शिक्षक पद पर कार्यरत। आशा है कि आप मेरी योग्यताओं पर विचार कर सेवा का अवसर प्रदान करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
राकेश वर्मा
02 नवंबर, 20XX
संलग्नक-सभी योग्यताओं के प्रमाण प्रत्रों की छाया प्रतियाँ
प्रश्न 3.
सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल के कुछ पद रिक्त हैं। इस पद पर भरती के लिए सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक को प्रार्थना पत्र लिखें।
उत्तरः
सेवा में
महानिदेशक
सीमा सुरक्षा बल
सी०जी०ओ० कांप्लैक्स
लोदी रोड, नई दिल्ली
विषय-सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल पद पर भरती के संबंध में
महोदय
25 सितंबर 20XX को प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ‘हिंदुस्तान’ से ज्ञात हुआ कि आपके कार्यालय के माध्यम से सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पदों की रिक्तियाँ विज्ञापित की गई हैं। इस पद के लिए मैं भी अपना प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
- नाम – रोहित शर्मा ।
- पिता का नाम – श्री राम रतन शर्मा
- जन्म तिथि – 15 नवंबर, 1996
- पत्राचार का पता – सी-51, रेलवे स्टेशन रोड, भोपाल, मध्य प्रदेश
- शैक्षिक योग्यता
(क)
(ख) शारीरिक योग्यताएँ –
लंबाई – 178 सेमी
सीना – 80 सेमी बिना फुलाए, 85 सेमी फुलाने पर
स्वास्थ्य – उत्तम
आशा है आप मेरी योग्यताओं पर विचार करते हुए देश सेवा का अवसर प्रदान करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
रोहित शर्मा
28 सितंबर, 20XX
संलग्न प्रमाण पत्रों की छायांकित प्रति –
- X अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र
- XII अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र
प्रश्न 4.
हिमानी कॉस्मेटिक्स प्रा० लिमिटेड दिल्ली को कुछ क्लर्कों की आवश्यकता है। अपनी योग्यता का विवरण देते हुए एक आवेदन-पत्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रबंधक महोदय
हिमानी कॉस्मेटिक्स प्रा. लिमिटेड
पंडारा रोड, नई दिल्ली
विषय- क्लर्कों की भरती के संबंध में
महोदय
20 अक्टूबर, 20XX को प्रकाशित नवभारत टाइम्स समाचार पत्र से ज्ञात हुआ कि आपके कार्यालय को कुछ क्लर्कों . की आवश्यकता है। प्रार्थी भी अपनी योग्यता एवं अनुभव का संक्षिप्त विवरण देते हुए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा है, जिसका विवरण निम्नलिखित है –
- नाम – राजीव कुमार
- पिता का नाम – उदय पाल
- जन्म तिथि – 20 नवंबर, 1995
- पत्राचार का पता – 128/3 रामा भवन, चूना फैक्ट्री रोड, सतना (म०प्र०)
- शैक्षिक योग्यता –
आशा है कि आप मेरी योग्यताओं पर विचार करते हुए सेवा का अवसर अवश्य प्रदान करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
राजीव कुमार
कक्षा
संलग्नक – प्रमाण पत्र एवं अंक पत्र-X ..
प्रमाण पत्र एवं अंक पत्र-XII
प्रमाण पत्र एवं अंक पत्र-बी०ए०
प्रमाण पत्र ………… कंप्यूटर डिप्लोमा
संपादकीय-पत्र
संपादक के नाम पत्र का प्रारूप
संपादकीय पत्रों के उदाहरण
प्रश्न 1.
आप 29/5 संस्कार अपार्टमेंट, सेक्टर-14 रोहिणी, दिल्ली के निवासी हैं। आप चाहते हैं कि लोग दीपावली में पटाखों का कम से कम प्रयोग करें। पटाखों से होने वाली हानियों से अवगत कराते हुए नवभारत टाइम्स के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
नई दिल्ली
विषय-पटाखों से होने वाली हानि से अवगत कराने के संबंध में
महोदय
मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से लोगों का ध्यान पटाखों से होने वाली हानियों की ओर आकर्षित कराना चाहताdfdsfdsfs
खुशियों के विभिन्न मौकों एवं दीपावली के त्योहार पर लोग पटाखों का जमकर प्रयोग करते हैं। बच्चों तथा युवा वर्ग का पटाखों से विशेष लगाव होता है। अपनी खुशी में वे यह भूल जाते हैं कि इनसे पर्यावरण तथा आसपास के लोगों को कितना नुकसान होता है। पटाखों में प्रयुक्त बारूद और फॉस्फोरस के जलने से एक ओर जोरदार धमाका होता है तो दूसरी ओर फॉस्फोरस पेंटा ऑक्साइड गैस उत्सर्जित होती है जो बच्चों और स्वांस के रोगियों के लिए अत्यधिक हानिकारक होती है। इनकी आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है तथा वायुमंडल में वायु प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे साँस लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा पटाखों से पैसों का भी अपव्यय होता है। पटाखों के
प्रयोग से बच्चों के जलने की घटनाएँ प्रायः सुनने को मिलती हैं, इसलिए पटाखों का प्रयोग न करें ताकि मनुष्य और पर्यावरण दोनों ही स्वस्थ रहें।
आपसे प्रार्थना है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए इसे अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें ताकि लोग पटाखें और उससे होने वाली हानियों के प्रति सजग हो सकें।
सधन्यवाद
भवदीय
अनुभव वर्मा
29/5 संस्कार अपार्टमेंट
सेक्टर-14 रोहिणी, दिल्ली
03 नवंबर, 20xx
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए समाचार को पढ़िए। इसको पढ़कर जो विचार आपके मन में आते हैं, उन्हें किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र के रूप में अपने शब्दों में लिखिए। (Foreign 2015)
ईमानदारी की मिसाल
बीते शुक्रवार को बाईस वर्षीय शेख लतीफ़ अली अपने खाते में मौजूद कुल पाँच सौ में से दो सौ रुपए निकालने स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के एक ए०टी०एम० पर गया। पैसे निकालने के क्रम में मशीन के किनारे का एक दरवाजा खुल गया और उसमें से सारे नोट बाहर गिर गए। वहाँ न कोई सुरक्षा गार्ड तैनात था न ही सी०सी०टी०वी० कैमरा लगा था। यानी चुपचाप सुरक्षित तरीके से ढेर सारी रकम ले जाने के लिए लतीफ़ के सामने पूरा मौका था, लेकिन उसके भीतर पल भर के लिए भी ऐसा खयाल नहीं आया और उसने बाहर खड़े अपने साथियों से सुरक्षा गार्ड को खोजने के लिए कहा। गार्ड के न मिलने पर पुलिस को फ़ोन करके सारी स्थिति बताई।
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
हिंदुस्तान दैनिक
कस्तूरबा गांधी मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय-ईमानदारी की नई मिसाल प्रस्तुत करने के संबंध में
महोदय
मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से शेख लतीफ़ अली द्वारा प्रस्तुत ईमानदारी की मिसाल की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ जो सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है।
महोदय, बाईस वर्षीय लतीफ़ अली के खाते में मात्र पाँच सौ रुपये होना और उसमें दो सौ रुपये निकालने का प्रयास उसकी आर्थिक स्थिति की कमज़ोरी की कहानी स्वयं कह देता है। इस स्थिति के बाद भी अचानक ए०टी०एम० का दरवाजा खुलना नोटों का बाहर आ जाना, गार्ड का मौजूद न होना, सी०सी०टी०वी० कैमरे की गैर मौजूदगी उसके लिए सोने पर सुहागा वाली स्थिति उत्पन्न कर रहे थे पर लतीफ़ अली ने गार्ड को खोजने का प्रयास करना और न मिलने पर पुलिस को सूचित करना उसकी ईमानदारी का साक्षात प्रमाण है। आज समाज को शेख लतीफ़ अली जैसा एक-दो नहीं बल्कि सभी को बनने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसी ईमानदारी दुर्लभ होती है।
आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र के मुख्य पृष्ठ पर ‘ईमानदारी की अद्भुत मिसाल’ शीर्षक से छापने का कष्ट करें ताकि दूसरे भी इससे प्रेरित हो सकें।
सधन्यवाद
भवदीय
मयंक मौर्य
275/3 बी
राणा प्रताप बाग, दिल्ली
10 नवंबर, 20xx
प्रश्न 3.
कई जगह सूचनापट्ट पर अशुद्ध हिंदी लिखी मिलती है। इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रसिद्ध दैनिक पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। (CBSE Sample Paper 2015)
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
नई दिल्ली
विषय-सूचनापट्टों पर अशुद्ध हिंदी लेखन के संबंध में
महोदय
आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं लोगों का ध्यान सूचनापट्ट पर लिखी गई अशुद्ध हिंदी की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
हिंदी हमारी राजभाषा है और दिल्ली हमारे देश की राजधानी। ऐसी महत्त्वपूर्ण जगह के सूचनापट्ट पर बहुतों की मातृभाषा और राजभाषा के अति महत्त्वपूर्ण पद पर सुशोभित हिंदी का अशुद्ध लेखन देखकर दुख होता है। दुख तो तब और भी होता है जब पढ़े-लिखे लोगों के द्वारा ऐसा अशुद्ध लेखन किया जाता है। यह कार्य जिनकी देख-रेख में होता है, वे तो उच्चशिक्षित होते हैं परंतु यह सोचकर कि ‘सब चलता है’, इसे देखकर भी अनदेखा कर जाते हैं। उनकी यह अनदेखी विद्यार्थियों और नव साक्षर के मन में भ्रम की स्थिति पैदा करती है कि आखिर सही कौन-सा है, उनके द्वारा सीखा हुआ या यह जो लिखा है।
आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें ताकि संबंधित अधिकारी और कर्मचारीगण इस गलती पर ध्यान दें, इसे सुधारें और भविष्य में सावधान रहें।
सधन्यवाद
भवदीय
विकास कुमार
ए-129/3, दरियागंज,
दिल्ली
25 जुलाई, 20xx
प्रश्न 4.
आजकल दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों में हिंसा और अर्धनग्नता का बोलबाला होता है। इन कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए अनुरोध करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
राष्ट्रीय सहारा (दैनिक)
नई दिल्ली
विषय-दूरदर्शन पर प्रसारित आपत्तिजनक कार्यक्रमों पर रोक लगाने के संबंध में
महोदय
मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से दूरदर्शन पर प्रसारित उन कार्यक्रमों पर रोक लगाने का अनुरोध करना चाहता हूँ जिनमें हिंसा और अश्लीलता का बोलबाला होता है।
इन दिनों दूरदर्शन के अनेक चैनलों पर ऐसे धारावाहिकों तथा अन्य कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है जिनमें हिंसा, मार-काट और अश्लीलता का खुला प्रदर्शन किया जा रहा है। दर्शकों को हँसाने के नाम पर द्विअर्थी संवादों का प्रयोग किया जा रहा है। बात-बात में बंदूक निकाल कर यूँ दिखाई जाती है जैसे खिलौना हो। इसके अलावा महिला पात्रों के वस्त्र इतने छोटे दिखाए जाते हैं कि ये पात्र अर्धनंगे से नज़र आते हैं। इसका सबसे अधिक बुरा असर बाल एवं किशोर मन पर होता है। उनका कोमल मन भ्रमित होता है। इससे छेड़-छाड़, हिंसा, बलात्कार जैसी असामाजिक घटनाओं में वृद्धि हुई है जो किसी भी समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है। ऐसे में इन कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगाया जाना चाहिए।
अतः आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि ऐसे कार्यक्रमों के निर्माता एवं प्रसारण अधिकारी इनके प्रसारण को रोकने के लिए यथोचित कदम उठाएँ।
सधन्यवाद
भवदीय
अंकुर वर्मा
पता : ………………
8 अक्टूबर, 20xx
प्रश्न 5.
जमाखोरी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे वस्तुओं के मूल्य आसमान छूने लगते हैं। जमाखोरी की दुष्प्रवृत्ति पर चिंता प्रकट करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफ़र मार्ग
नई दिल्ली
विषय-जमाखोरी की दुष्प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के संबंध में
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से दुकानदारों की जमाखोरी की दुष्प्रवृत्ति तथा इससे उत्पन्न समस्याओं की ओर दुकानदारों एवं संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।
लाभ कमाना हर दुकानदार की आकांक्षा होती है, परंतु ये दुकानदार लाभ कमाने के लिए जब अनैतिक कार्यों का सहारा लेते हैं। इसी क्रम में कुछ दुकानदार खान-पान की वस्तुओं को जमा करना शुरू कर देते हैं जिससे इन वस्तुओं की नकली कमी हो जाती है और इनके दाम आसमान छूने लगते हैं। वस्तुओं के दाम बढ़ने से ये लोगों की पहुँच से दूर होती जाती है। जमाखोरी रोकने का दायित्व जिन पर सौंपा जाता है वे भी इन दुकानदारों से मिलीभगत करके उनका सहयोग ही करते हैं। दाल का दाम 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुँचना और छापे में 82000 टन से ज्यादा दालें बरामद होना इसका प्रमाण है। आम आदमी की समस्या को ध्यान में रखकर इस प्रवृत्ति पर तुरंत नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार पत्र में स्थान दें ताकि संबंधित अधिकारियों और लोगों का ध्यान इस ओर जाए और वे इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ।
सधन्यवाद
भवदीय
राजन राय
पता : ………….
30 अक्टूबर, 20XX
कार्यालयी प्रार्थना-पत्र का प्रारूप
प्रश्न 1.
आपको चेक बुक की आवश्यकता है। नई चेक बुक प्राप्त करने के लिए स्टेट बैंक मालवीय नगर, दिल्ली शाखा के प्रबंधक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रबंधक महोदय
भारतीय स्टेट बैंक
शाखा-मालवीय नगर, दिल्ली
विषय-नई चेक बुक प्राप्त करने के संबंध में
महोदय
विनम्र निवेदन यह है कि मैं बैंक का नियमित खाता धारक हूँ। मेरा खाता क्रमांक 1066688…………… है। मुझे भविष्य में लेन-देन के लिए चेक बुक की आवश्यकता है।
आपसे प्रार्थना है कि मुझे उपर्युक्त खाते के लिए नई चेक बुक प्रदान करने का कष्ट करें।
सधन्यवाद
भवदीय
ए-1035/3
मालवीय नगर, दिल्ली
26 अक्टूबर, 20XX
प्रश्न 2.
बाज़ार से घर आते समय आपके पिता जी का ए०टी०एम० कार्ड खो गया है। इसकी सूचना देते हुए संबंधित बैंक के प्रबंधक को प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें नया ए०टी०एम० कार्ड प्रदान करने का अनुरोध किया गया हो।
उत्तर
सेवा में
प्रबंधक महोदय
पंजाब नेशनल बैंक
कुंदन भवन, आजादपुर
दिल्ली
विषय-खोए ए०टी०एम० की सूचना देने तथा नया ए०टी०एम० प्राप्त करने के संबंध में।
महोदय
निवेदन यह है कि कल शाम आदर्शनगर मेन मार्केट से घर जाते समय इसी बैंक का ए०टी०एम० कहीं खो गया है। बहुत ढूँढ़ने के बाद भी यह कार्ड मुझे न मिल सका। मैंने इसकी सूचना संबंधित थाने में दे दिया है, जिसकी प्रति मेरे पास है। इस ए०टी०एम० कार्ड से कोई लेन-देन न कर सके, इसलिए इसे ब्लॉक करने (रोकने) का कष्ट करें तथा नया कार्ड देने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें।
अतः आपसे प्रार्थना है कि पुराने ए०टी०एम० कार्ड को बंद कर नया ए०टी०एम० कार्ड जारी करने की कृपा करें।
सधन्यवाद,
भवदीय
रोहित कुमार
125/4 बी
महेंद्र एन्क्लेव, दिल्ली
05 नवंबर, 20XX
शिकायती-पत्र
शिकायती पत्रों का प्रारूप
प्रश्न 1.
समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करने के बाद भी आधार पहचान पत्र’ न मिलने की शिकायत करते हुए अपने क्षेत्र के संबंधित अधिकारी को पत्र लिखिए। (Delhi 2014)
उत्तरः
130 ए/4
रानी लक्ष्मीबाई मार्ग
बलजीत नगर, दिल्ली
13 अगस्त, 20XX
उपनिदेशक
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण
(आधार पहचान पत्र)
जीवन भारती भवन
कनाट प्लेस, नई दिल्ली
विषय-आधार पहचान पत्र न मिलने के संबंध में
महोदय
मैं आपका ध्यान अपने आधार पहचान पत्र की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। इसका नामांकन क्रमांक 1415/73038/00556 है जिसे मैंने सर्वोदय बाल विद्यालय, बलजीत नगर पर बने आधार केंद्र पर 15-11-20XX को नामांकित करवाया था। आधार पहचान पत्र बनवाने के लिए मैंने निवास एवं पहचान संबंधी औपचारिकताएँ पूरी कर दी थी। आज लगभग दो साल का समय बीतने को है, परंतु मेरा आधार पहचान पत्र मुझे अब तक नहीं मिल पाया है जबकि उसी केंद्र पर उसी दिन नामांकित अन्य लोगों के आधार पहचान पत्र मिल गए हैं। बैंक खाते से संबद्ध करवाने, गैस कनेक्शन में सब्सिडी प्राप्त करने के लिए यह पहचान पत्र आवश्यक हो चुका है।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी समस्याओं एवं कठिनाइयों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए आधार पहचान पत्र शीघ्रातिशीघ्र मेरे पते पर भेजने का कष्ट करें।
धन्यवाद सहित
भवदीय
अमित कुमार
संलग्नक-आधार नामांकन पत्र की छायाप्रति ।
प्रश्न 2.
परिवहन निगम के प्रबंधक को अपनी कॉलोनी तक बस चलाने के लिए एक पत्र लिखिए। (All India 2014)
उत्तरः
सेवा में
प्रबंधक महोदय
दिल्ली परिवहन निगम
आईपी स्टेट डिपो नई दिल्ली
विषय-‘हरित विहार’ कॉलोनी तक बस चलाने के संबंध में
महोदय
मैं आपका ध्यान ‘हरित विहार’ कॉलोनी की परिवहन समस्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। यमुना पार क्षेत्र में दिल्ली और गाज़ियाबाद की सीमा पर बसी इस कॉलोनी की आबादी दस हजार से अधिक है। यह कॉलोनी 12 या 13 साल पुरानी है परंतु यहाँ से होकर जाने वाली दिल्ली परिवहन निगम की कोई बस नहीं है। इसका पूरा फायदा फटफट सेवा आटो और अन्य प्राइवेट वाहन वाले उठाते हैं। वे यात्रियों से मनमाना किराया तो वसूलते ही हैं पर अपनी मर्जी से आते-जाते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों और महिलाओं को विशेष कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि इस कालोनी से केंद्रीय टर्मिनल, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन जैसे प्रमुख स्थानों तक जाने वाली बस चलवाने की कृपा करें। हम क्षेत्र के निवासी गण आपके आभारी होंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
अमर दीप
सचिव
हरित विहार रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन
दिल्ली
22 जुलाई, 20XX
प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र के विधायक को पत्र लिखकर अपने गाँव में एक बालिका विद्यालय की स्थापना के लिए अनुरोध कीजिए। (All India 2014)
उत्तर-
सेवा में
माननीय विधायक महोदय
विधानसभा रजोपुरा
जनपद-सतना, मध्य प्रदेश
विषय-रजोपुरा विधानसभा के रजतपुरा ग्राम में बालिका विद्यालय की स्थापना के संबंध में
महोदय
मैं आपका ध्यान रजोपुरा विधानसभा के रजतपुरा और उसके आसपास के क्षेत्र की ओर ले जाना चाहता हूँ, जहाँ बालिका विद्यालय नहीं है, जिससे इस क्षेत्र की अधिकांश लड़कियाँ अनपढ़ रह जाती हैं।
मान्यवर, इस क्षेत्र की छह सात किलोमीटर की परिधि में लडकियों की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। यहाँ से दो किलोमीटर दूर एक प्राइमरी पाठशाला है जहाँ लड़के-लड़कियाँ पाँचवीं तक पढ़ लेते हैं। उसके बाद यहाँ के अभिभावक लड़कियों को घर बिठा लेते हैं। लड़के तो जैसे-तैसे दूरस्थ पाठशालाओं में पढ़ने चले जाते हैं पर लड़कियों के साथ किसी अनहोनी के डर से लोग लड़कियों को इतनी दूर पढ़ने नहीं भेजते हैं। इस कारण वे भविष्य में अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती हैं और उनके सपने अधूरे रह जाते हैं।
अतः आपसे प्रार्थना है कि इस विधानसभा क्षेत्र के रजतपुरा गाँव की खाली पड़ी जमीन पर बालिकाओं के लिए बारहवीं तक विद्यालय खुलवाने की कृपा करें ताकि इस क्षेत्र की लड़कियों के लिए भी शिक्षा का द्वार खुल सके और उनका भविष्य सँवर सके।
सधन्यवाद
भवदीय
राम रतन
ग्राम-रजतपुरा
सतना, मध्य प्रदेश
20 फरवरी, 20XX
अन्य पत्र
प्रश्न.
आप साक्षात्कार में शामिल होने लखनऊ जा रहे थे। रास्ते में आपका बैग खो गया। चार दिन बाद कोई अपरिचित आपका बैग लौटा गया। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तरः
अपरिचित भास्कर जी
सादर नमस्ते
मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगे। वास्तव में मेरी कुशलता में आपका बड़ा योगदान है। 5 मई को मैं दिल्ली से लखनऊ जाने के लिए बस से यात्रा करने का निश्चय किया क्योंकि ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं
मिला पा रहा था। मुरादाबाद पहुँचने पर बस रुकी तो आधे से अधिक यात्री जलपान के लिए उतर गए। मैं भी हाथ में बैग लिए रेस्टोरेंट पर चला गया। अभी मैं कुछ खा ही रहा था कि ड्राइवर ने चलने के लिए हॉर्न बजाना शुरू कर दिया। मैं भी जल्दी से खाना समाप्त किया और बस पकड़ने दौड़ गया। लखनऊ पहुँचने पर ध्यान आया कि मेरा बैग कहीं खो गया। मैं साक्षात्कार भी नहीं दे सका क्योंकि सारे प्रमाण पत्र उसी बैग में थे। चौथे दिन जब कोई नवयुवक यह बैग लौटाने मेरे घर आया, तब पता चला कि उसे आपने भेजा है। अपना बैग और उसमें सारा सामान यथावत पाकर भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हकीकत है। अभी भी दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है, इसे आपने प्रमाणित कर दिया। मेरा बैग लौटाकर आपने मुझे बहुत बड़ी समस्या से उबार लिया है। इसके लिए आपको जितना भी धन्यवाद दूं, कम है।
एक बार पुनः आपको धन्यवाद देते हुए पत्र यहीं समाप्त करता हूँ।
सादर नमस्ते
भवदीय
चंद्र प्रकाश
पत्र पानेवाले का नाम एवं पता
श्री भास्कर कुमार
28ए रेलवे स्टेशन रोड,
मुरादाबाद (उ०प्र०)
10 जुलाई, 20XX
अनौपचारिक पत्रों का प्रारूप
मित्र को पत्र
प्रश्न 1.
आपका मित्र आई०आई०टी० की परीक्षा में चयनित हो गया है। उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-
प्रिय मित्र पुष्कर
सप्रेम नमस्ते
मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और मैं ईश्वर से यही मनाया करता हूँ। कुछ ही देर पहले अमित नामक एक मित्र से सुना कि तुम्हारा चयन आई०आई०टी० की परीक्षा में हो गया है तो मैं खुशी से उछल पड़ा। इसके लिए मैं तुम्हें बार-बार बधाई देता हूँ।
मित्र राष्ट्रीय स्तर की इस परीक्षा में चुना जाना कोई आसान काम नहीं है। यह तुम्हारे निरंतर कठिन परिश्रम का फल है। परिश्रम से मनचाही सफलता अर्जित की जा सकती है, इसका तुमने एक बार फिर से प्रमाण दे दिया है। तुम्हारी यह सफलता तुम्हारे छोटे भाई-बहनों के अलावा हम मित्रों के लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य करेगी। अब वह दिन दूर नहीं जब तुम इंजीनियर बनकर माता-पिता का नाम रोशन करोगे तथा देश की उन्नति में अपना योगदान दोगे। ऐसी शानदार सफलता के लिए एक बार पुनः बधाई स्वीकार करो। तुम्हारी इस सफलता से मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष सब ठीक है। उज्ज्वल भविष्य की खूब सारी शुभकामनाएं देते हुए।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
सलिल
10 जुलाई, 20XX
प्रश्न 2.
आपको अपने विज्ञान शिक्षक के साथ खेल प्रतियोगिता में भाग लेने लंदन जाने का अवसर मिला। उन सुनहरी यादों का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रिय मित्र संचित
सप्रेम नमस्ते।
मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र, इसी अक्टूबर के आरंभ में मुझे अपने खेल शिक्षक और सात अन्य सहपाठियों के साथ लंदन में आयोजित विभिन्न देशों की अंतर विद्यालयी प्रतियोगिता में शामिल होने का सुनहरा अवसर मिला। इस प्रतियोगिता की यादें मुझे आजीवन याद रहेंगी।
हम सभी इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लंदन गए। वहाँ एक दिन के विश्राम के बाद खेल प्रतियोगिता में हम भाग लेने लगे। मैं कुश्ती के लिए चुना गया था। वहाँ विभिन्न देशों के चार अन्य पहलवान छात्रों को हराने के बाद भी फाइनल न जीत सका और रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हमारी टीम का एक छात्र दौड़ में तृतीय स्थान पर रहकर कांस्य पदक जीत सका। इस प्रतियोगिता का रोमांच हमें अब भी रोमांचित कर जाता है। आशा है कि मेरी खुशी में तुम अवश्य शामिल होगे।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह कहना। शेष मिलने पर पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
विख्यात
10 अक्टूबर 20XX
प्रश्न 3.
‘सामाजिक सेवा कार्यक्रम’ के अंतर्गत किसी ग्राम में सफाई अभियान के अनुभवों का उल्लेख करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए। (Delhi 2014)
उत्तरः
125/4ए, अंसारी नगर
नई दिल्ली
29 अक्टूबर, 20xx
प्रिय मित्र शगुन
सप्रेम नमस्ते
मैं स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र, आशा करता हूँ कि तुमने इस शरदकालीन अवकाश को मस्ती से बिताया होगा। ज़रूर तुम इस बार किसी नई जगह पर घूमने निकल गए होगे और एक नया अनुभव सँजोए लौटे होगे। छुट्टियों का सदुपयोग करते हुए इस बार मैं भी एक स्वयंसेवी संस्था ‘सहयोग’ से जुड़ गया था। इसमें एक ‘स्वयंसेवक’ की भाँति मैंने अपना योगदान दिया।
यह संस्था शहर से दूर कच्ची कॉलोनियों और मलिन बस्तियों यहाँ तक कि झुग्गी-झोपड़ियों में और गाँवों में सफ़ाई के प्रति जागरूकता अभियान चलाती है। इस बार के अवकाश में उन्होंने गाज़ियाबाद जनपद के मीरपुर गाँव में साफ़-सफ़ाई का कार्यक्रम बनाया। इस गाँव की गलियाँ अभी भी कच्ची हैं। वहाँ पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था नहीं है। घरों का गंदा पानी नालियों और सड़कों पर फैला रहता है। हमारी संस्था ने लोगों को एकत्र किया और उन्हें साफ़-सफ़ाई का महत्त्व समझाया तथा इस कार्य में लोगों से सहयोग देने की अपील की। लोग खुशी-खुशी हमारे साथ आ गए। गाँव से सबसे पहले पानी की निकासी का प्रबंध किया गया फिर कूड़े के ढेर को उठवाकर आबादी से दूर ले जाया गया। जानवरों के रहने की जगह को भी साफ़ सुथरा बनाया गया। पाँच दिन की मेहनत के बाद गाँव की दशा देखने लायक थी। अब गाँव वाले हमारे काम की प्रशंसा करते हुए धन्यवाद दे रहे थे। इस कार्यक्रम से जुड़कर मुझे अजीब सा सुखद अनुभव हो रहा है। हो सके तो तुम भी किसी ऐसे कार्यक्रम से जुड़ना।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और सुनयना को स्नेह कहना। शेष मिलने पर, पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
कुणाल
प्रश्न 4.
आपने छुट्टियों में देहरादून और उसके आसपास के भ्रमण का आनंद उठाया। इस कार्य में देहरादून में रहने वाले आपके मित्र ने आपको पहाड़ी स्थलों को दिखाया और पहाड़ी संस्कृति से परिचय कराया। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तरः
137 बी/4
डेसू कॉलोनी
सागरपुर, दिल्ली
प्रिय मित्र नमन जोशी
सप्रेम नमस्ते
स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी अपने परिवार के साथ सकुशल होगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र। पिछले सप्ताह जब से देहरादून और आसपास के मनोरम स्थलों को देखकर आया हूँ तब से मन में वहीं की यादें बसी हुई हैं। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरा यह भ्रमण इस तरह यादगार बन जाएगा और यह सब तुम्हारे कारण ही हो सका। तुमने वहाँ अपने घर पर रुकने का स्थान ही नहीं दिया बल्कि तुमने मंसूरी, सहस्त्र धारा, लक्ष्मण झूला जैसे मनोरम स्थानों की सैर भी कराई। सहस्त्रधारा के शीतल जल में स्नान करना और गंधक युक्त जल पीना मानो कल की बातें हों। तुमने एक ओर पहाड़ी गाँवों का दर्शन कराया, वहाँ की परिश्रमपूर्ण दिनचर्या से सामना कराया साथ ही वहाँ की संस्कृति से भी परिचित कराया। हरिद्वार आकर गंगा स्नान करना और मंशा देवी के मंदिर जाकर मन्नतें माँगना सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था। इस यात्रा को इस तरह यादगार बनाने में सहयोग देने के लिए मैं तुम्हें बार-बार धन्यवाद देता हूँ। अगली छुट्टियों में तुम दिल्ली आओ हम दोनों साथ-साथ दिल्ली दर्शन करेंगे।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और रमन को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
पंकज कुमार
छोटे भाई को पत्र
प्रश्न 1.
अपका छोटा भाई दसवीं की परीक्षा में अच्छा ग्रेड लाने पर मोटरसाइकिल उपहार स्वरूप पिता जी से लेना चाहता है उसे समझाते हुए पत्र लिखिए कि इस उम्र में मोटरसाइकिल लेना उचित नहीं है।
उत्तरः
स्वामी विवेकानंद छात्रावास
उत्तर प्रदेश
29 अक्टूबर, 20xx
प्रिय उमेश
शुभाशीष
मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे होगे। यह जानकर काफ़ी खुशी हुई कि इस वर्ष तुमने एस०ए० 1 परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है।
प्रिय भाई, पिता जी के पत्र से ज्ञात हुआ कि दसवीं में अच्छा ग्रेड लाने के फलस्वरूप तुम पिता जी से मोटरसाइकिल लेना चाहते हो, पर तुम्हारी यह माँग पूर्णतया अनुचित है। एक तो अभी तुम्हारी उम्र 18 वर्ष नहीं है। 18 साल से कम उम्र वालों का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनता है और ड्राइविंग लाइसेंस के बिना मोटरसाइकिल चलाना कानूनी अपराध है। इसके अलावा पिता जी हम दोनों भाइयों की पढ़ाई के साथ-साथ अन्य खर्चों की व्यवस्था अपनी सीमित आय से कर रहे हैं। मोटरसाइकिल की माँग करना उनको आर्थिक संकट में डालना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि तुम सबसे पहले दसवीं और बारहवीं परीक्षा की पढ़ाई मन लगाकर करो और वयस्क होने का इंतजार करो तब मोटर साइकिल अवश्य लेना।।
आशा है कि तुम मेरी बात पर पुनर्विचार करोगे तथा मोटरसाइकिल की अनुचित माँग अपने दिमाग से निकाल दोगे। शेष सब ठीक है। अपनी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान देना।
तुम्हारा बड़ा भाई
आलोक कुमार
प्रश्न 2.
मोटरसाइकिल सुविधा के लिए है-तेज़ चलाने, करतब दिखाने के लिए नहीं, यह समझाते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए। (Fereign 2014)
उत्तरः
परीक्षा भवनं नई दिल्ली
07 जुलाई, 20XX
प्रिय छोटे भाई करन
शुभाशीष
मैं स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे होगे। – अनुज, पिता जी के पत्र से ज्ञात हुआ कि तुमने इस मई-जून की छुट्टियों में मोटरसाइकिल सीख लिया है। यह अच्छी बात है जिसे जानकर मुझे खुशी हुई पर यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि मोटरसाइकिल तेज़ चलाने के साथ ही उससे तरहतरह के करतब दिखाने और स्टंट करने का प्रयास करने लगे हो। यह तुम्हारे लिए घातक सिद्ध हो सकता है। तनिक-सी – लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। मोटरसाइकिल की सवारी हमारी यात्रा को सुगम बनाने के साथ समय की बचत भी कराती है। यह हमारी सुविधा के लिए है न कि स्टंट करने के लिए। जब तक हम इसका उपयोग करेंगे तब तक यह सुविधाजनक और लाभदायी है, परंतु इसका दुरुपयोग जानलेवा साबित हो सकता है।
आशा है कि तुम मेरी बात मानकर मोटरसाइकिल से कोई स्टंट नहीं करोगे और न ही सामान्य रफ़्तार से तेज़ चलोगे और इसका उपयोग सुविधा के लिए ही करोगे। शेष सब ठीक है।
पूज्य माता-पिता को प्रणाम कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा बड़ा भाई
नमन कुमार
पिता को पत्र
प्रश्न 1.
अपने पिता जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव किस तरह मनाया गया।
उत्तरः
राजा राम मोहन राय छात्रावास
सेक्टर-21, रोहिणी
दिल्ली 15 फरवरी, 20xx
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श
मैं स्वयं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हुए आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से कामना भी करता हूँ। इस पत्र के द्वारा मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव किस तरह मनाया गया।
पिता जी, हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव. अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी तैयारी 15 से 20 दिन पहले से शुरू कर दी जाती है। छात्र-छात्राएँ विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारियां शुरू कर देते हैं। 9 फरवरी को मनाए गए इस वार्षिकोत्सव के लिए आवश्यक टेंट तथा आगंतुकों के बैठने की व्यवस्था कर दी गई। साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था देखने लायक थी। चूना आदि छिड़ककर आने जाने के रास्ते बनाए गए। नियत दस बजे देशभक्ति गीत बजने के साथ ही कार्यक्रम शुरू हो गया। मुख्य अतिथि के आते ही सरस्वती पूजन और दीप प्रज्ज्वलन किया गया। छात्र-छात्राओं ने सामूहिक स्वर में ‘वर दे वीणा वादिनी वर दे’ प्रस्तुत किया। फिर स्वागत है श्रीमान आपका…स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में देशभक्ति पूर्ण नाटक का मंचन किया गया। फिर तो एक-एककर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इनमें लोकगीत, पंजाबी नृत्य, झूमर आदि मुख्य थे। प्रधानाचार्य जी विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी और कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए आशीर्वचन द्वारा छात्रों का उत्साहवर्धन किया। अंत में मिष्ठान्न वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।
पूज्या माता जी को चरण स्पर्श और सुरभि को स्नेह कहना। शेष सब ठीक है।
आपका प्रिय पुत्र
पल्लव
माता को पत्र
प्रश्न 1.
नए विद्यालय में दाखिला दिलाने के बाद आपकी माता जी आपके विद्यालय के छात्रावास में मिलने वाले भोजन और अन्य बातों को लेकर चिंतित रहती हैं। उनकी चिंता दूर करते हुए एक पत्र द्वारा स्थिति को बताइए।
उत्तरः
दयानंद सरस्वती छात्रावास
प्रशांत विहार, रोहिणी
दिल्ली
10 अप्रैल, 20xx
पूज्या माता जी
सादर चरण स्पर्श
आपका पत्र कल मिला। पढ़कर सब हाल मालूम किया। यह जानकर अच्छा लगा कि आप सभी सकुशल हैं। मैं भी यहाँ आकर पढ़ाई में मन लगा लिया है। पत्र में आपकी चिंता स्पष्ट दिख रही थी कि छात्रावास का वातावरण, भोजन व्यवस्था तथा अन्य बातें कैसी हैं ? इस पत्र में उन्हीं बातों को लिखकर भेज रहा हूँ।
माँ यद्यपि घर-घर होता है और घर का वातावरण अन्यत्र मिलना कठिन होता है, पर मैंने यहाँ आकर एक सप्ताह में स्वयं को छात्रावास के माहौल में ढाल लिया है। यहाँ का चौकीदार हमें पाँच-साढ़े पाँच बजे तब जगा देता है। छह बजे तक दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर व्यायामादि करते हैं। लौटकर नहाना, नाश्ता करना तथा पाठ को एक बार दोहराकर आठ बजे तक विद्यालय आ जाते हैं। यहाँ पढ़ाई का वातावरण अच्छा है। अध्यापक परिश्रमी और लगन से पढ़ाने वाले हैं। दो बजे हम छात्रावास आ जाते हैं। छात्रावास के मेस में खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर पढ़ाई करते हैं। शाम को एक घंटे खेलना फिर पढ़ना और आधे घंटे टी०वी० देखने से पूर्व सायं का भोजन करते हैं। साढ़े दस बजे तक हम सभी सो जाते हैं। इसमें विशेष बात यह है कि मेस का भोजन स्वादिष्ट, साफ़ एवं अच्छी गुणवत्ता का है। इसे जानकर अब आपकी चिंता कुछ हद तक दूर हो जाएगी। कोई भी परेशानी होने पर मैं आपको अवश्य लिलूँगा।
पूज्य पिता जी को सादर चरण स्पर्श और पुनीता को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में,
आपका प्रिय पुत्र
समीर शाक्य