BlogCBSEBringing Up Kari Summary Class 7 English

Bringing Up Kari Summary Class 7 English

Bringing Up Kari Summary Class 7 English

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    Bringing Up Kari Summary In English

    Karl was an elephant. He was five months old when he came to the author. Karl lived in a pavilion. It was under a thatched roof which rested on thick tree stumps. Karl bumped against the poles as he moved about the enclosure. Yet the poles didn’t give way. It was so because these poles were made of thick tree stumps. Kari enjoyed his morning bath in the river much. He would lie in the water for a long time. On coming out he would squeal with pleasure. After the bath, the author would leave him on the edge of the jungle. He would himself go into the forest to get some twigs for the elephant’s dinner. It took a long time. First, the author would sharpen his hatchet which took half an hour. Then the author had to climb trees to get the most delicate and tender twigs. Doing all this naturally took a long time.

    Karl and the author were good friends. But Kari once pushed him into the stream. It was to save the life of a boy. He saw a boy lying on the bottom of the river. He dived and pulled the body of the drowning boy to the surface. However, the author was not a swimmer. So he could not come ashore. The current began to drag him down. Karl saw it. He came fast into the water. The author caught his trunk. He pulled both the author and the boy ashore.

    Karl was like a baby. Like a baby he had to be told when he was naughty. He developed a taste for bananas. He began to steal them. Large plates of fruit were kept on a table in the dining room, Kari would put his trunk through the window to the bananas. In one attempt he would take them all. He would, then, quietly go to his pavilion. There he ate the bananas at peace without being seen. At last, the author caught him stealing. When he was scolded, he understood like a baby and did not steal again. Again, like babies he was a quick learner. Kari learnt “Mali’ after three lessons but it took him three weeks to learn ‘Dhat’. ‘Dhat was the command to sit while ‘Mali’ was the command to walk. These commands were taught to him just as one teaches a child.

    The teaching of master call to an elephant is a difficult thing. An elephant generally takes five years to learn it. Yet it is the most important signal for an elephant to learn. It is so because it helps an elephant to save his master’s life. Sometimes they are lost in the jungle and there is no way out. Then the master makes a strange. hissing, howling sound in the elephant’s ear. A trained elephant understands it and at once pulls out the tree in front of him. This frightens all the animals away. Even the tiger is frightened. The elephant goes on pulling down the trees one after the other. Thus a path is made out of the forest.

    Bringing Up Kari Summary In Hindi

    कारी एक हाथी था। पाँच मास की उम्र में वह लेखक के पास आया। कारी एक बड़ी खुली जगह (टेन्ट/मण्डप) में रहता था। इसके ऊपर छप्पर पड़ा था जो पेड़ों के मोटे-मोटे बँठों पर टिका था। अपने बाड़े में घूमता हुआ कारी खंभों से टकरा जाता था। फिर भी ये खंभे टूटते नहीं थे। ऐसा इसलिए था कि ये पेड़ों के मोटे बँठ से बने थे। कारी को नदी में अपना प्रात: स्नान बड़ा सुहाता था। वह पानी में बड़ी देर तक लेटा रहता था। बाहर आने पर वह खुशी से चिंघाड़ता था। स्नान के बाद लेखक उसे जंगल के किनारे पर छोड़ देता था। वह स्वयं हाथी के भोजन के लिए शाखाएँ लेने जंगल में चला जाता था। इसमें काफी समय लगता था। पहले लेखक अपनी कुल्हाड़ी तेज करता था जिसमें आधा घंटा लग जाता था। फिर लेखक को वृक्षों पर चढ़ना होता था ताकि सबसे नाजुक और नर्म शाखाएँ मिल सकें। ऐसा सब कुछ करने में स्वाभाविक रूप से बड़ा समय लगता था।

    कारी और लेखक अच्छे मित्र थे। पर कारी ने एक बार उसे नदी में धक्का दे दिया। ऐसा उसने एक लड़के की जान बचाने के लिए किया था। लेखक ने नदी के तल पर एक लड़के को पड़ा देखा। उसने गोता लगाया और डूबते हुए लड़के के शरीर को सतह पर खींच लिया। पर लेखक तैराक नहीं था। अतः वह किनारे पर न आ सका। बहाव उसे नीचे धकेलने लगा। कारी ने यह देख लिया। वह तेज दौड़ता हुआ नदी में आया। लेखक ने उसकी सँड पकड़ ली। वह लेखक और लड़के दोनों को खींचकर तट पर ले आया।

    कारी एक बच्चे की तरह था। बच्चे की तरह शरारत करने पर उसे बताना होता था। उसे केलों का स्वाद लग गया था। उसने उन्हें चुराना प्रारंभ कर दिया। फलों की बड़ी-बड़ी प्लेटें डाइनिंग रूम में एक मेज पर रखी होती थीं। कारी अपनी सैंड को खिड़की से डालकर केलों तक ले आता था। एक ही वार में वह सारे केले उठा लेता था। तब वह चुपचाप अपने टेन्ट में चला आता था। वहाँ बिना किसी के देखे वह शांति से केले खा जाता था। आखिरकार लेखक ने उसे चोरी करते पकड़ लिया। जब उसे डाँटा गया तो वह एक बच्चे की तरह समझ गया और फिर उसने कभी चोरी नहीं की। फिर बच्चों की ही तरह वह जल्दी सीख जाता था। कारी ने ‘माली’ तीन सबक में सीख लिया पर ‘धत’ सीखने में उसे तीन सप्ताह लग गए। ‘धत’ बैठने की आज्ञा थी। और ‘माली’ चलने की आज्ञा। ये आज्ञाएँ उसे इसी तरह सिखाई गयीं जैसे कोई किसी बच्चे को पढ़ाता है।

    हाथी को ‘मास्टर काल’ सिखाना कठिन काम है। इसे सीखने में हाथी को प्रायः पाँच साल लग जाते हैं। फिर भी यह वह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संकेत है जो किसी हाथी को सीखनी होती है। ऐसा इसलिए है कि इसके द्वारा हाथी अपने मालिक की जान बचा सकता है। कभी-कभार वे जंगल में खो जाते हैं और बाहर निकलने का रास्ता नहीं होता है। तब मालिक हाथी के कान में एक अजीब सी फुफकारने और चीखने की आवाज करता है। प्रशिक्षित हाथी इस आवाज को समझता है और तुरंत अपने सामने वाले पेड़ को उखाड़ फेंकता है। इससे सारे जानवर डर कर भाग जाते हैं। यहाँ तक कि चीता भी डर जाता है। हाथी एक के बाद एक पेड़ गिराता जाता है। इस प्रकार जंगल के बाहर जाने का रास्ता बन जाता है।

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