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Class 2 Short Moral Stories in Hindi for Kids

Class 2 Short Moral Stories in Hindi

Class 2 Short Moral Stories in Hindi these stories are perfect for young minds, filled with fun, adventure, and important lessons. Each tale is simple and short, making them easy for second graders to understand and enjoy. As you read these short moral stories in Hindi, you will meet kind animals, smart children, and wise old characters who teach us about honesty, kindness, and courage. These stories are not just exciting to read, but also help you learn good values in a fun way. So, let’s begin our journey into the world of short moral stories and discover the joy of reading and learning together!

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    Small Moral Stories in Hindi

    ये कहानियाँ बच्चों के लिए बहुत ही आसानी से समझने योग्य और मजेदार तरीके से लिखी गई हैं। हर कहानी के आखिर में एक नैतिक सीख होती है, जो बच्चों को दयालुता, ईमानदारी, हिम्मत, और आदर करना सिखाती है।”

    Top 5 Class 2 Short Moral Stories in Hindi

    Below are 5 short moral stories in Hindi for kids to learn moral value while enjoying the stories.

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    जैसी करनी, वैसी भरनी कहानी

    एक समय की बात है, एक गांव में एक छोटा सा बच्चा था। उसका नाम राजू था। राजू बहुत ही नकली और शरारती था। वह हमेशा अपने माता-पिता की बातों का पालन नहीं करता था। उसे खेलने और मस्ती करने में बड़ा मजा आता था।

    एक दिन, राजू को एक बड़ा सा पौधा दिखाई दिया। पौधे पर बहुत सारे सुंदर फूल थे। राजू ने सोचा, “मैं इसे तोड़ कर अपने कमरे में रख लूँगा।” वह पौधे के पास गया और उसके सभी फूलों को तोड़ने लगा।

    जब राजू ने सभी फूल तोड़ लिए, तो वह अपने कमरे में लौट आया। वह बहुत खुश था कि उसके पास इतने सुंदर फूल हैं। पर वह यह नहीं समझता था कि वहन पर वृक्ष पर कैसे फूल आते हैं।

    कुछ दिन बाद, पौधा मुरझा गया और मर गया। राजू बहुत दुखी हुआ। उसने समझ लिया कि उसने बिना सोचे-समझे पौधे के सभी फूल तोड़ लिए, जिससे पौधा मर गया।

    इसके बाद, राजू ने सीखा कि हमें प्रकृति के साथ सही तरीके से व्यवहार करना चाहिए। उसने कभी भी बिना विचार किए किसी पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाने का निर्णय लिया।

    इसके बाद से, राजू बड़ा समझदार बच्चा बन गया और वह हमेशा ध्यानपूर्वक और सही तरीके से काम करने का प्रयास करता था।”

    नैतिक शिक्षा:

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने कर्मों का सही और जिम्मेदारीपूर्वक पालन करना चाहिए, और प्रकृति और पर्यावरण का सही तरीके से सम्मान करना चाहिए।

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    टोपीवाला और बंदर की कहानी

    बहुत समय पहले की बात है, एक सुनसान गाँव में टोपीवाला नामक एक आदमी रहता था। वह हमेशा अपनी प्यारी टोपी पहने रहते थे। उसकी टोपी उसकी सबसे बड़ी संपत्ति थी और वह हमेशा इसे साफ और चमकदार रखने का ध्यान रखते थे।

    एक दिन, टोपीवाला अपने दोस्त के साथ बाजार गए। वह अपनी टोपी पहनकर बाजार की ओर बढ़ रहे थे, तभी एक शरारती बंदर वहाँ पहुंचा। बंदर ने टोपीवाले की टोपी को पकड़ लिया और उसे उछलने लगा।

    टोपीवाले ने बंदर को ठीक से देखा और उससे कहा, “अरे बंदर, मेरी टोपी छोड़ो। यह मेरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है।”

    बंदर ने मुस्कराते हुए कहा, “क्यों भाई, यह तो सिर्फ एक टोपी है। इसमें क्या खास बात है?”

    टोपीवाले ने बताया, “मेरी टोपी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें मेरा संबंध है और मेरी पहचान है।”

    बंदर ने सोचा कि टोपी उसे बहुत मज़ा आएगा, इसलिए वह टोपी को लेकर एक पेड़ पर चढ़ गया। वह टोपी को उछलता और खेलता रहा।

    टोपीवाले बहुत परेशान हो गए और बंदर से अपनी टोपी वापस पाने के लिए प्रार्थना करने लगे।

    बंदर ने देखा कि टोपीवाले बहुत ही चिंतित हैं और उसकी बात मान ली। वह टोपी को वापस कर दी और कहा, “अब से मैं नहीं उछलूंगा आपकी टोपी को।”

    टोपीवाले ने बंदर का धन्यवाद किया और खुशी-खुशी अपनी टोपी पहन ली। वह समझ गए कि सच्चे दोस्ती के साथ अपने महत्वपूर्ण चीजों को भी साझा करना बेहद महत्वपूर्ण होता है।

    नैतिक शिक्षा:

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि विश्वास और सच्ची दोस्ती कभी भी कीमती चीजों से बढ़कर होते हैं।

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    होशियार सियार की कहानी

    बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक चिंगारी सियार रहता था। वह सियार बहुत होशियार था। उसका नाम रणजीत था। गांव के लोग उसे ‘चालाक सियार’ कहकर पुकारते थे।

    एक दिन, गर्मियों का समय था और धूप बहुत तेज थी। सियार ने सोचा, “अब मेरे पेट में बहुत भूख है, मुझे कुछ खाने का तरीका ढूंढना होगा।” वह गांव की ओर बढ़ा।

    रणजीत सियार गांव में एक आम के पेड़ के पास पहुँचा। वह देखा कि पेड़ पर बहुत सारी सब्जियाँ लटकी हुई हैं, लेकिन पेड़ की ऊंचाइ़ बहुत ज्यादा थी और सियार उसे छू नहीं सकता था।

    रणजीत सियार फिर सोचने लगा, “कैसे करूं कि मुझे ये सब्जियाँ मिल सकें?” तभी उसकी आंखें एक गेंद पर पड़ी। उसने एक योजना बनाई।

    सियार ने गेंद को धीरे-धीरे एक पास लगाने लगा और बोला, “ये गेंद मेरी ताक़त दिखाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है! इसे तोड़ने के लिए कोई भी दिन का समय चुका सकता है।” गांव के लोग उसे सुनकर हैरान हो गए और उसे छूने की कोशिश करने लगे।

    सियार ने गेंद को बहुत तरह से बचाया और उसे अपने मुँह में डालकर भाग लिया। वह धीरे-धीरे गांव की ओर बढ़ने लगा, और जब वह एक खुदाई में पहुँचा जहाँ लोगों ने उसे देखा, तो सियार गेंद को बाहर निकालकर बिल में छुप गया।

    गेंद छूने वाले लोग हार गए और सियार खुशी-खुशी अपनी मनमर्जी करने लगा।

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि होशियारी से काम लेना कितना महत्वपूर्ण होता है। सियार ने अपनी होशियारी से खुद को भूख से बचाया और उसने समय पर समय पर काम किया।

    नैतिक शिक्षा:

    इसलिए, बच्चों, हमें भी होशियारी से काम लेना सिखना चाहिए और हमें कभी भी बड़ी समस्याओं के सामने अपनी छलांग और विचारशीलता से खड़ा होना चाहिए।

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    कपटी मगरमच्छ की कहानी

    बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से नदी के किनारे एक कपटी मगरमच्छ रहता था। उसका नाम मगन था। मगन बहुत ही चालाक और खुशमिजाज़ मगरमच्छ था। वह हमेशा नदी में बिना सोचे समझे दूसरे जानवरों के साथ छल करता रहता था।

    एक दिन, एक हंस नदी के किनारे बैठा हुआ था। मगन ने देखा कि हंस बहुत ही बुद्धिमान और समझदार दिखता है। वह बड़ी चालाकी से हंस के पास गया और बोला, “हेलो, मेरे प्यारे दोस्त! आज मैं तुम्हारे साथ एक खेल खेलने के बारे में सोच रहा था।”

    हंस थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, “ठीक है, मगन, हम कौनसा खेल खेलेंगे?”

    मगन ने मुस्कराते हुए कहा, “चलो हम दौड़ते हैं! जो पहले नदी के पार पहुंचता है, वह विजेता होगा!”

    हंस और मगन दौड़ने लगे, लेकिन जब वे नदी के किनारे पहुंचे, तो मगन ने धीरे से पाँव रोक लिए। हंस नदी के पार पहुंच गया और विजेता बन गया।

    मगन बहुत ही चौंक गया और खुद को बेवकूफ समझने लगा। वह समझ गया कि छल करने से कुछ हासिल नहीं होता और दोस्तों के साथ ईमानदारी से खेलना हमेशा बेहतर होता है।

    इसके बाद से, मगन ने अपनी छल को छोड़ दिया और वह अपने दोस्तों के साथ सच्चाई में खुश रहने लगा।

    नैतिक शिक्षा:

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि छल करना और धोखाधड़ी करना हमें हानि पहुंचा सकता है, जबकि सच्चाई, ईमानदारी और दोस्तों के साथ मिलकर खेलना हमेशा बेहतर होता है।

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    सच्चा मित्र की कहानी

    यह कहानी है एक छोटे से गाँव के दो बच्चों की, राजू और मीनू की। राजू और मीनू बड़े ही अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ खेलते थे, जमीन पर खुदाई करते थे, और एक-दूसरे के साथ सभी खुशियाँ और दुख बाँटते थे।

    एक दिन, राजू और मीनू ने सुना कि उनके गाँव में एक बड़ा मेला आ रहा है। वे बहुत खुश हुए और मेले के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी। वे अपने माता-पिता से पैसे मांग कर खरीदारी करने लगे।

    मेले में वे बहुत सारे खिलौने और मिठाईयाँ खरीदने लगे। वे खुद को खुश महसूस करने लगे, लेकिन एक दिन मेला खत्म हो गया और उनके पास अब ना खिलौने रहे, और ना ही पैसे।

    राजू और मीनू बहुत परेशान हो गए। उन्होंने एक-दूसरे से कहा, “हमने पैसों को बेकार में खर्च कर दिया और अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।”

    तब उन्होंने एक सोची बात की। वे दोनों ने तय किया कि वे एक साथ मिलकर कुछ काम करेंगे और पैसे कमाएंगे।

    राजू और मीनू ने मिलकर एक छोटी सी दुकान खोली और वहाँ पर चाय, समोसे, और बिस्किट बेचने लगे। उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन वे कभी हार नहीं माने।

    धीरे-धीरे, उनकी दुकान चलने लगी और वे पैसे कमाने लगे। वे अब बेहद खुश थे क्योंकि उन्होंने सच्चे मित्र की बजाय फालतू खर्चे में पैसे कमाए थे।

    राजू और मीनू ने यह सीखा कि सच्चे मित्र कभी-कभी आपको सही राह पर ले जाने में मदद कर सकते हैं। वे अब और भी मजबूत दोस्त थे, जो हमेशा एक-दूसरे के साथ थे और साथी में सहायता करते थे।

    नैतिक शिक्षा:

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अच्छे मित्र हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं और हमें हमेशा उनके साथ सही राह पर चलना चाहिए। और हमें अपने पैसों को सही तरीके से खर्च करने की आदत डालनी चाहिए।

    इसलिए, याद रखिए, सच्चे मित्र हमारे सच्चे संपत्ति होते हैं।

    अंगूर खट्टे हैं: लोमड़ी और अंगूर की कहानी

    बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक लोमड़ी रहती थी। वह बहुत ही खुशनुमा और खुशहाल थी। एक दिन वह जंगल में घूमने चली गई। जंगल में वह बहुत सारे अंगूर देखती हैं।

    लोमड़ी को अंगूर बहुत पसंद थे, और वह इन अंगूरों को खाने का सोचने लगी। वह एक उचित योजना बनाने लगी कि कैसे वह इन अंगूरों को पाने के लिए यहाँ वहाँ दौड़ दौड़कर बच सकती है।

    लोमड़ी अंगूरों के पास पहुंची और उनसे बोली, “हेलो, मेरे प्यारे अंगूर, क्या तुम बहुत मीठे हो?”

    अंगूर ने खुशी-खुशी उत्तर दिया, “हां, हम बहुत ही मीठे हैं।”

    लोमड़ी बोली, “तुम तो बिल्कुल खट्टे नहीं दिखते। क्या मुझे यह सबित कर सकते हो कि तुम सचमुच मीठे हो?”

    अंगूर थोड़ी देर सोचा और फिर बोले, “ठीक है, यह देखो, मैं तुम्हें अपनी मीठास से सबित करता हूँ।” फिर उन्होंने एक अंगूर लोमड़ी को दिया।

    लोमड़ी ने अंगूर को खाया और बोली, “वाह, तुम सचमुच मीठे हो। मुझे खेद है कि मैंने पहले गलत तरीके से सोचा।”

    अंगूर मुस्कराए और बोले, “कोई बात नहीं, लोमड़ी। अब तुम मुझसे दोस्ती कर सकती हो।”

    लोमड़ी और अंगूर दोनों दोस्त बन गए और साथ में खुशहाली से रहने लगे।

    नैतिक शिक्षा:

    इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें दूसरों को बिना जांचे-परखे नकारात्मक तरीके से नहीं देखना चाहिए और दोस्ती का महत्व समझना चाहिए।

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