Study MaterialsGoing Places Summary Class 12 English

Going Places Summary Class 12 English

Going Places Summary In English

Sophie and Jansie, two school girls, were coming home from school. Sophie declared that she was going to have a boutique. Jansie looked doubtful as something like that took money. Sophie said that she would find it. Jansie observed that it would take a long time to save that much. Sophie said she would be a manager till then. Jansie pointed out that they would not make her manager straight off. However, Sophie persisted in her fantasising. She said that she would be like Mary Quant. She would have the most amazing shop in that city.

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    Jansie knew that they were both earmarked for the biscuit factory. She became melancholy and wished Sophie wouldn’t say those things. She told Sophie to be sensible. They didn’t pay well for shop work. Moreover, her dad would never allow it.

    Sophie changed track. She said that she would become an actress. There was real money in that field. She could also have boutique as side business as actresses did not work full time. Alternatively, she would become a fashion designer-something a bit sophisticated.

    “If ever I come into money I’ll buy a boutique,” she said, entering the house. Little Derek, who was hanging on to the back of his father’s chair, remarked, “She thinks money grows on trees, don’t she, Dad?” Their mother sighed. Sophie watched her back stooped over the sink. The small room was steamy from the stove and cluttered with the heavy-breathing man in his vest at the table and the dirty washing piled up in the corner. Sophie felt a tightening in her throat. She went to look for her brother Geoff.

    Geoff was three years out of school. He was an apprentice mechanic. He travelled to his work each day to the far side of the city. He was kneeling on the floor in the next room and tinkering with a part of his motor cycle. Geoff was almost grown up now. She suspected areas of his life about which she knew nothing, about which he never spoke. He seemed to be away somewhere, in those places she had never seen. These places attained a special fascination simply because they were unknown to her and remained out of her reach. She wished she could be admitted more deeply into her brother’s affections and that someday he might take her with him. She knew that Geoff thought her too young but she felt impatient.

    Sophie told Geoff that she had met Danny Casey in the Arcade. Geoff did not believe her and asked if she had told Dad. Geoff asked her how Casey looked like. She said that he had green, gentle eyes but he was not very tall. Geoff told his father that Sophie had met Danny Casey.

    Sophie wriggled. Her father looked at her with disdain. He considered Casey too young for the first team. Sophie then said that Danny Casey told her that he was going to buy a shop. Her father dismissed it as another of her wild stories. He did not believe her yarn. He warned her that she was going to talk herself into a load of trouble someday.

    In Geoff’s room Sophie looked at the large poster of United’s first team squad. It had a row of coloured photographs beneath. Three of them were of the young Irish prodigy, Casey. Sophie asked Geoff to promise he would not tell anyone about her meeting Casey and asking him for autograph for Derek. Since neither of them had any paper or a pen, he asked her to come to meet him next week. She promised to do so. Geoff said that it was the most unlikely thing he had ever heard.

    On Saturday, they went to watch United. Their team won two-nil and Casey drove in the second goal. Sophie glowed with pride. Geoff was ecstatic.

    Next week Jansie asked Sophie what she had been talking about meeting Danny Casey. She promised to keep it a secret. Sophie said that her father would quarrel with her if he heard about it. Sophie realised that Geoff had not told her about the date.

    After dark she walked by the canal. She sat down on a wooden bench beneath a solitary elm to wait. For sometime, she imagined his coming. Some more time passed. She began to think that Danny might not come. She felt sad. Others would doubt her. Geoff would be disappointed.

    She climbed the steps to the street. Outside the pub, she noticed her father’s bicycle propped against the wall. She was glad he would not be there when she got home. Coming through the arcade she pictured Danny Casey again outside Royce’s. She saw his gentle, gazelle like eyes. She kept waiting in the arcade alone for a long time remembering the soft melodious voice, the shimmer of green eyes.

    Then Sophie remembered another vision. Last Saturday she had seen Casey moving past the defenders without making a sound and kicking the ball into the goal. She remembered the thunderous applause made by fifty thousand supporters.

    Going Places Summary In Hindi

    विद्यालय में पढ़ने वाली दो लड़कियाँ, सोफी तथा जैन्सी, विद्यालय से अपने घर आ रही थीं। सोफी ने घोषणा की कि वह एक बुटीक लेगी। जैन्सी ने संदेह जताया क्योंकि इस प्रकार की वस्तु के लिये धन लगता है। सोफी ने कहा कि वह धन प्राप्त कर लेगी। जैन्सी ने कहा कि इतना अधिक धन जमा करने में काफी लम्बा समय लगेगा। सोफी ने कहा कि तब तक वह मैनेजर बनी रहेगी। जैन्सी ने कहा कि कोई भी उसे एकाएक मैनेजर नहीं बना देगा। किन्तु सोफी ने अपनी कल्पना की उड़ान जारी रखी। उसने कहा कि वह मेरी क्वैन्ट की भाँति बनेगी। वह नगर में सबसे अधिक विस्मयकारी दुकान लेगी।

    जैन्सी जानती थी कि उन दोनों का बिस्कुट की फैक्टरी में जाना तय था। वह उदास हो गई तथा इच्छा करने लगी कि सोफी ऐसी बातें न करें । उसने सोफी को समझदार होने के लिए कहा। दुकान पर काम करने के अच्छे पैसे नहीं मिलते। इसके अतिरिक्त उसका पिता कभी इसकी आज्ञा नहीं देगा। सोफी ने मार्ग बदल लिया। उसने कहा कि वह एक अभिनेत्री बन जायेगी। इसमें तो असली धन था। वह साथ में बुटीक व्यापार के रूप में रख सकती थी, क्योंकि अभिनेत्रियों को प्रत्येक समय काम नहीं करना पड़ता। विकल्प के रूप में, वह एक फैशन डिजाईनर बन जायेगी-कुछ थोड़ी सी परिमार्जित चीज़।

    घर में प्रवेश करते हुये उसने कहा, ”यदि कभी मुझे धन मिला, तो मैं बुटीक खरीद लूंगी।” छोटा डेरेक, जो अपने पिता की कुर्सी की पीठ से झूल रहा था, बोला, ”वह सोचती है, पैसा पेड़ पर उगता है, क्या वह नहीं सोचती, डैड?’ उनकी माँ ने आह भरी। सोफी ने उसकी पीठ को सिंक पर झुके देखा। छोटा कमरा अंगीठी के कारण भाप से तथा मेज पर बनियान पहने बैठे हुये आदमी की भारीभारी सांस एवं कोने में लगे गन्दे कपड़ों के ढ़ेर से भरा पड़ा था। सोफी को अपने गले में कसाव महसूस हुआ। वह अपने भाई ज्योफ को देखने निकल पड़ी।

    ज्योफ को स्कूल छोड़े तीन वर्ष हो चुके थे। वह एक नौसिखिया मिस्त्री थी। वह नगर के दूसरे छोर पर प्रतिदिन अपने काम के लिये यात्रा करता था। वह अगले कमरे में घुटनों के बल झुका हुआ था तथा अपनी मोटरसाइकिल के एक पुर्जे (भाग) के साथ छेड़-छाड़ कर रहा था। ज्योफ अब लगभग बड़ा हो चुका था। वह उसके जीवन के कुछ क्षेत्रों के विषय में सन्देह करती थी, जिनके विषय में वह कुछ नहीं जानती थी तथा जिनके विषय में वह कभी नहीं बोला था। ऐसा प्रतीत होता था कि वह कहीं दूर था, ऐसे स्थानों में जो उसने कभी नहीं देखे थे। ये स्थान एक विशेष आकर्षण लिये हुये थे। मात्र इसलिये क्योंकि वे उसके लिये अनजाने थे तथा उसकी पहुँच से बाहर रहते थे। वह इच्छा करती थी कि वह अपने के भाई स्नेह में अधिक गहराई तक प्रवेश करे तथा किसी दिन वह उसे अपने साथ ले जाये। वह जानती थी कि ज्योफ उसे बहुत छोटी समझता था, किन्तु वह अत्यन्त अधीर थी।

    सोफी ने ज्योफ को बताया कि दुकानों के मेहराबदार गलियारे में उसकी डैनी कैसी से भेंट हो गई। ज्योफ ने उस पर विश्वास नहीं किया तथा उससे पूछा कि क्या उसने पिताजी को बता दिया था। ज्योफ ने उससे पूछा कि कैसी कैसा लगता था। उसने कहा कि उसकी हरी, विनम्र आँखें थीं किन्तु वह अधिक लम्बा नहीं था। ज्योफ ने अपने पिता को बताया कि सोफी डैनी कैसी से मिली थी। सोफी कसमसाई। उसके पिता ने उसकी ओर घृणा से देखा। वह कैसी को प्रथम टीम के लिये बहुत छोटा समझता था। सोफी ने तब कहा कि डैनी कैसी ने उससे कहा था कि वह एक दुकान खरीदने वाला है। उसके पिता ने इसे उसकी एक ऊटपटांग कहानी कहकर ठुकरा दिया। वह उसकी बहकी, झूठी बातों में विश्वास नहीं करता था। उसने उसे चेतावनी दी कि इस प्रकार की बातें करके वह किसी दिन स्वयं को ढेर सारी मुसीबतों में डाल लेगी।

    ज्योफ के कमरे में दीवार पर सोफी ने यूनाइटिड की प्रथम टीम के दल का विशाल पोस्टर देखा। इसके नीचे रंगीन फोटोग्राफ की एक कतार थी। इनमें से तीन आयरलैंडवासी युवा प्रतिभा कैसी के थे। सोफी ने ज्योफ से यह वायदा करने को कहा कि वह उसकी कैसी से भेंट तथा डेरेक के लिये (स्वहस्त लिखित) हस्ताक्षर माँगे। क्योंकि उनमें से किसी के भी पास कोई कागज़ अथवा पेन (कलम) नहीं था, उसने उसे अगले सप्ताह मिलने आने को कहा। उसने ऐसा करने का वायदा किया। ज्योफ ने कहा कि यह सर्वाधिक अनहोनी बात थी जो उसने सुनी थी।

    शनिवार को वे युनाईटिड का मैच देखने गये। उनकी टीम ने दो-शून्य से विजय प्राप्त की। दूसरा गोल कैसी ने किया था। सोफी गर्व से चमकने लगी। ज्योफ अति प्रसन्न था।

    अगले सप्ताह जैसी ने सोफी से पूछा कि डैनी कैसी से भेंट के विषय में वह क्या बातें करती रही थी। उसने इसे गुप्त रखने का वायदा किया। सोफी ने कहा कि यदि उसका पिता इसके विषय में सुन लेगा तो वह उससे झगड़ पड़ेगा। सोफी ने महसूस किया कि ज्योफ ने उसे पुनः मिलने के विषय में नहीं बताया था।

    अन्धेरे के पश्चात वह नहर के साथ चली। वह एक अकेले सरु के वृक्ष के नीचे पड़ी बैन्च पर प्रतीक्षा करने को बैठ गई। कुछ समय तो वह उसके आगमन की कल्पना करती रही। कुछ समय और व्यतीत हुआ। वह सोचने लगी कि शायद डैनी न आये। उसने उदास महसूस किया। अन्य उस पर सन्देह करेंगे। ज्योफ निराश हो जायेगा।

    वह गली में जाने को सीढ़ियाँ चढ़ी। मदिरालय के बाहर, उसने अपने पिता की साईकिल को दीवार के सहारे खड़े हुये देखा। वह प्रसन्न थी कि जब वह घर जायेगी तो उसका पिता वहाँ नहीं होगा। मेहराव वाले गलियारे से निकलते समय उसने फिर रायस की दुकान के सामने डैनी कैसी की कल्पना की। उसने उसके विनम्र बारहसिंघे जैसी आँखें देखीं। उसकी कोमल सुरीली आवाज तथा हरी आँखों की चमक को याद करती हुई वह काफी लम्बे समय तक मेहराबदार गलियारे में प्रतीक्षा करती रही।

    फिर सोफी को एक अन्य दृश्य याद आ गया। पिछले शनिवार को उसने कैसी को रक्षकों के पास से बिना कोई आवाज किये गुजरते हुये तथा गेन्द को गोल में मारते हुये देखा था। उसे पचास हजार समर्थकों द्वारा तालियों की प्रशंसा की गड़गड़ाहट याद आ गई।

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